दांतारामगढ़ ( सीकर). जिले के राणोली में राष्ट्रीय राजमार्ग 52 पर स्थित त्रिलोकपुरा से रानोली मुख्य बाजार जाने वाले रास्ते पर बने हुए अंडरपास में पानी भरा होने से 3 दिन से राहगीरों व वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है लेकिन रेलवे प्रशासन के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है.
रेल फाटकों को समाप्त कर लोगों की सुविधा के लिए रेल लाइनों के नीचे बनाए गए अंडरपास बरसात का मौसम शुरू होते ही दुविधा बन जाते हैं. क्षेत्र में अभी एक-दो बार ही झमाझम बरसात हुई लेकिन यहां बने अंडरपास पानी से लबालब हो गए.
रेलवे ने निर्माण पर करोड़ों रुपए तो खर्च कर दिए, लेकिन पानी भराव की समस्या से निजात नहीं दिला सके. रेल सूत्रों की माने तो एक अंडरपास को बनाने में एक से डेढ़ करोड़ रुपए का खर्चा आता है. लेकिन जिस जगह अंडरपास बनाया जाता है उस जगह पानी का भराव न रहे इसके लिए अंडरपास में वाटर रिचार्ज सिस्टम भी बनाया जाना तय रहता है. इस अंडरपास पर वॉटर रिचार्ज सिस्टम नहीं होने से यहां बरसात का पानी कई दिनों तक भरा रहता है.
मौत के मुंह से गुजरना पड़ता है राहगीरों को
त्रिलोकपुरा से राणोली की तरफ जाने वाले राहगीरों को अंडरपास में पानी भरा होने की वजह से रेल पटरी पर से गुजरना पड़ता है. ज्यादा परेशानी तो बुजुर्गों व महिलाओं को उठानी पड़ती है. रेलवे की पटरियों के दोनों तरफ किसानों के खेत होने की वजह से किसान महिलाएं पशुओं के लिए चारा लाते समय पटरियां पार कर आने से मौत के मुंह से गुजरने जैसा अनुभव रहता है.
अंडरपास में स्कूल बस फंसने से निकाला था क्रेन से...
2 दिन पूर्व ही इस अंडरपास में निजी विद्यालय की स्कूल बस पानी में फंसने से ग्रामीणों द्वारा बस चालक को भला बुरा कहते हुए क्रेन की मदद से बस को निकाला गया था. अंडरपास में पानी भरा होने की वजह से वाहन चालको को रानोली मुख्य बाजार, वेद की ढाणी, टोडी, सांगरवा, माला की ढाणी, बराल, गुढा, पलासरा आदि गांवों में जाने के लिए 4 किलोमीटर से अधिक का अतिरिक्त चक्कर लगाना पड़ता है.
ग्रामीण प्रभुदयाल सैनी का कहना है कि अंडरपास में पानी भरा होने की वजह से वाहनों को निकालने सहित राहगीरों को भी आवागमन में परेशानी होती है. रेलवे अंडरपास में पानी भरा होने की वजह से स्कूली बच्चों, बुजूर्गों व महिलाओं सहित वाहन चालकों को परेशा नी का सामना करना पड़ रहा है.