फतेहपुर (सीकर). प्रदेश में एका-एक प्राकृतिक प्रकोप आने से किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें बननी शुरू हो गई है. देश में जहां कोरोना के प्रकोप से निजात नहीं मिली थी कि, किसानों के खेतों में टिड्डी ने डेरा डालना शुरू कर दिया था.
टिड्डियों से निजात पाने के लिए किसान हर संभव कोशिश में लगा ही था कि, जहां पर 15 जुलाई रात को टिड्डी ने डेरा डाला था. वहां पर टिड्डी ने अंडे दे दिए. जिससे उसका प्रजनन शुरू हो गया है. अब टिड्डियों के बच्चे निकलने शुरू हो गए हैं. जिन्हें होबर ‘फाका’ कहते हैं. फाका किसानों की फसलों को चट कर जाता है, और बाद में बढ़कर टिड्डी बन जाता है. ऐसे में किसानों के लिए एक नई मुसीबत आन पड़ी है.
सहायक कृषि निदेशक भागीरथ सबल ने बताया कि फाके की सूचना पर कंदलाऊ और बाटड़ानाऊ गांवों का दौरा किया, और वहां पर कृषि विभाग की ओर से तुरंत कार्रवाई करते हुए, दवाई का छिड़काव किया जा रहा है. जिससे फाके को नष्ट किया जा सके.
कृषि विभाग की ओर से टीमें बनाकर भेजी गई हैं, जो जाजोद, पूनणी, दीवान जी का बास, कन्दलाऊ, बाटड़ानाऊ, रोलसाहबसर, गोविन्दपुरा, मरड़ाटू बड़ी, पालास, गोडिया, बलोद गांवों का दौरा कर रही है. जहां पर 15 जुलाई के बाद टिड्डी ने पड़ाव दिया था.
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बता दें कि, अभी टिड्डी का प्रकोप जारी है. मंगलवार को रामगढ़ क्षेत्र में टिड्डी दल के आने की सूचना मिली है. वहीं दूसरी तरफ टिड्डी के प्रजनन से फाका ने भी किसानों की मुसीबतें बढ़ा दी है. कृषि विभाग का कहना है, किसान को खेत में जैसे ही फाका दिखे तुरन्त कृषि विभाग के अधिकारियों को सूचित करे जिससे इस पर निजात पाई जा सके.