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Kala Gora Bhairav Mandir : तांत्रिक सिद्धि के लिए विख्यात इस मंदिर की हैरान करने वाली है कहानी...

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Published : Mar 8, 2023, 10:01 PM IST

सवाई माधोपुर का वो मंदिर, जिसे कामाख्या के बाद तांत्रिक सिद्धि में दूसरा सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है. इतना ही नहीं, तांत्रिक साधना के दौरान राजा हम्मीर ने दो बार यहां अपना शीश काटा था, जो पत्थर का हो गया था. जानिए हैरान करने वाली कहानी.

Tantric Accomplishment in Rajasthan
काला गोरा भैरव मंदिर
तांत्रिक सिद्धि में द्वितीय स्थान पर आने वाले इस मंदिर की कहानी...

सवाई माधोपुर. राजस्थान के सवाई माधोपुर शहर के प्रवेश द्वार के पास एक पहाड़ी पर काला गोरा भैरव मंदिर वास्तुकला और तांत्रिक सिद्धियों का विख्यात मंदिर है. काला गोरा भैरव मंदिर को 1763 ईस्वी में तत्कालीन महाराजा माधव सिंह प्रथम ने बनवाया था. बताया जाता है कि मंदिर का मुख्य आकर्षक यहां की तांत्रिक विद्या पर आधारित मूर्तिकला है. मंदिर के पुजारी रमेश योगी का कहना है कि पूरे विश्व में यह मंदिर तांत्रिक साधना का विश्वविद्यालय है. मंदिर में एक प्रतिमा काला भैरव की है और दूसरी गोरा भैरव की.

वहीं, मंदिर के द्वार पर 4 हाथियों की आकर्षक मूर्तियां हैं. काला गोरा भैरव मंदिर की पांचवीं मंजिल पर पूरे भारत में विशाल गणेश प्रतिमा एक राक्षस को दबाए बेटी प्रतिमा है. ठीक इसी के सामने एक छतरी है जो 3 खंभों पर टिकी हुई है, जिसका एक खंभा आज भी जमीन पर टिका हुआ नहीं है. पुजारी का ऐसा मानना है कि जिस दिन यह खंभा जमीन पर टिक जाएगा, उस दिन प्रलय हो जाएगी. काला गोरा भैरव मंदिर की पूजा-अर्चना आज भी नाथ समुदाय के द्वारा की जाती है.

पढ़ें : Legendary Heritage: श्रीकृष्ण के पोते और बाणासुर की बेटी का यहां हुआ था विवाह, अब होगा जीर्णोद्धार

पुजारी ने बताया कि मुख्य काला गोरा मूर्ति के पास दोनों ओर दो श्वान की मूर्ति स्थापित है. कहते हैं कि भैरव को प्राप्त करने के लिए पहले इन्हें प्रसन्न करना पड़ता है. इन मुख्य प्रतिमाओं के पास ही एक पालना झूल रहा है, जिसको यहां आने वाले दर्शनार्थी एवं नवविवाहित जोड़े झूलाते हुए संतान प्राप्ति की मन्नत मांगते हैं. वहीं, पालने के पास ही मुख्य दीवार पर एक बड़ी शीला पर सृष्टि चक्र बना हुआ है, जिसे तांत्रिक भाषा में भैरव चक्र कहा जाता है. यह भैरव चक्र तांत्रिक पूजा का सबसे ऊंचा व पवित्र चिन्ह है. सवाई माधोपुर रणथंबोर में स्थापित काला गोरा भैरव मंदिर 9 मंजिला और ऐतिहासिक प्राचीन मंदिर है.

यहां पर अष्ट धातु से बना प्राचीन त्रिशूल मंदिर में स्थापित है जो आज भी मौजूद है. ऐसा माना जाता है कि काला गोरा भैरव मंदिर राजस्थान ही नहीं, संपूर्ण देश के श्रद्धालुओं के द्वारा पूजा जाता है. यहां पर मुख्य रूप से बढ़े हुए व मदिरा का प्रसाद चढ़ाया जाता है. बताया जाता है कि जयपुर दरबार के द्वारा यहां हर वर्ष पूजन करवाया जाता था, उसके बाद जब विरासत खत्म हो गई तो यह मंदिर अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ गया. यहां हर सप्ताह के सोमवार को पुजारियों का पोसरा बदल जाता है और फिर दूसरे योगी परिवार के लिए पूजा का नंबर आता है. यह क्रम पिछले 100 साल से चला आ रहा है.

ऐसा माना जाता है कि राजा हम्मीर ने भी यहां पर तांत्रिक साधना की थी. साधना के दौरान राजा हम्मीर ने दो बार अपना शीश काटा था जो पत्थर का हो गया था. वह आज भी काला गोरा भैरव मंदिर में मौजूद है. यह मंदिर रणथंबोर की अरावली पहाड़ियों के मध्य बसा हुआ मंदिर है. तांत्रिक सिद्धियां प्राप्त होने के कारण यहां कई महारथियों ने इस मंदिर में साधना की थी. इसीलिए सवाई माधोपुर के काला गोरा भैरव मंदिर का विश्व विख्यात कामाख्या के बाद तांत्रिक विद्या में द्वितीय स्थान पर नाम आता है.

तांत्रिक सिद्धि में द्वितीय स्थान पर आने वाले इस मंदिर की कहानी...

सवाई माधोपुर. राजस्थान के सवाई माधोपुर शहर के प्रवेश द्वार के पास एक पहाड़ी पर काला गोरा भैरव मंदिर वास्तुकला और तांत्रिक सिद्धियों का विख्यात मंदिर है. काला गोरा भैरव मंदिर को 1763 ईस्वी में तत्कालीन महाराजा माधव सिंह प्रथम ने बनवाया था. बताया जाता है कि मंदिर का मुख्य आकर्षक यहां की तांत्रिक विद्या पर आधारित मूर्तिकला है. मंदिर के पुजारी रमेश योगी का कहना है कि पूरे विश्व में यह मंदिर तांत्रिक साधना का विश्वविद्यालय है. मंदिर में एक प्रतिमा काला भैरव की है और दूसरी गोरा भैरव की.

वहीं, मंदिर के द्वार पर 4 हाथियों की आकर्षक मूर्तियां हैं. काला गोरा भैरव मंदिर की पांचवीं मंजिल पर पूरे भारत में विशाल गणेश प्रतिमा एक राक्षस को दबाए बेटी प्रतिमा है. ठीक इसी के सामने एक छतरी है जो 3 खंभों पर टिकी हुई है, जिसका एक खंभा आज भी जमीन पर टिका हुआ नहीं है. पुजारी का ऐसा मानना है कि जिस दिन यह खंभा जमीन पर टिक जाएगा, उस दिन प्रलय हो जाएगी. काला गोरा भैरव मंदिर की पूजा-अर्चना आज भी नाथ समुदाय के द्वारा की जाती है.

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पुजारी ने बताया कि मुख्य काला गोरा मूर्ति के पास दोनों ओर दो श्वान की मूर्ति स्थापित है. कहते हैं कि भैरव को प्राप्त करने के लिए पहले इन्हें प्रसन्न करना पड़ता है. इन मुख्य प्रतिमाओं के पास ही एक पालना झूल रहा है, जिसको यहां आने वाले दर्शनार्थी एवं नवविवाहित जोड़े झूलाते हुए संतान प्राप्ति की मन्नत मांगते हैं. वहीं, पालने के पास ही मुख्य दीवार पर एक बड़ी शीला पर सृष्टि चक्र बना हुआ है, जिसे तांत्रिक भाषा में भैरव चक्र कहा जाता है. यह भैरव चक्र तांत्रिक पूजा का सबसे ऊंचा व पवित्र चिन्ह है. सवाई माधोपुर रणथंबोर में स्थापित काला गोरा भैरव मंदिर 9 मंजिला और ऐतिहासिक प्राचीन मंदिर है.

यहां पर अष्ट धातु से बना प्राचीन त्रिशूल मंदिर में स्थापित है जो आज भी मौजूद है. ऐसा माना जाता है कि काला गोरा भैरव मंदिर राजस्थान ही नहीं, संपूर्ण देश के श्रद्धालुओं के द्वारा पूजा जाता है. यहां पर मुख्य रूप से बढ़े हुए व मदिरा का प्रसाद चढ़ाया जाता है. बताया जाता है कि जयपुर दरबार के द्वारा यहां हर वर्ष पूजन करवाया जाता था, उसके बाद जब विरासत खत्म हो गई तो यह मंदिर अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ गया. यहां हर सप्ताह के सोमवार को पुजारियों का पोसरा बदल जाता है और फिर दूसरे योगी परिवार के लिए पूजा का नंबर आता है. यह क्रम पिछले 100 साल से चला आ रहा है.

ऐसा माना जाता है कि राजा हम्मीर ने भी यहां पर तांत्रिक साधना की थी. साधना के दौरान राजा हम्मीर ने दो बार अपना शीश काटा था जो पत्थर का हो गया था. वह आज भी काला गोरा भैरव मंदिर में मौजूद है. यह मंदिर रणथंबोर की अरावली पहाड़ियों के मध्य बसा हुआ मंदिर है. तांत्रिक सिद्धियां प्राप्त होने के कारण यहां कई महारथियों ने इस मंदिर में साधना की थी. इसीलिए सवाई माधोपुर के काला गोरा भैरव मंदिर का विश्व विख्यात कामाख्या के बाद तांत्रिक विद्या में द्वितीय स्थान पर नाम आता है.

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