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पार्षद हत्या मामले में अरुण गवली को जमानत देने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार - SUPREME COURT

सुप्रीम कोर्ट ने गैंगस्टर से नेता बने अरुण गवली की जमानत याचिका पर विचार करने से मना कर दिया.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट (IANS)
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By Sumit Saxena

Published : Feb 20, 2025, 7:52 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को गैंगस्टर से नेता बने अरुण गवली की जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. गवली हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है.

यह मामला जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ के समक्ष आया. गवली ने दावा किया कि उसने 2006 की छूट नीति की सभी शर्तों का पालन किया है. वह मुंबई के शिवसेना पार्षद कमलाकर जामसांडेकर की 2007 में हुई हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है.

बयानों को सुनने के बाद पीठ ने उसे कोई राहत देने से इनकार कर दिया. गवली ने बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी, जिसमें उसकी जमानत खारिज कर दी गई थी.

बता दें कि 7 जनवरी को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने गवली को 28 दिन की छुट्टी दी थी. उन्होंने अपनी रिहाई के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, क्योंकि उनके आवेदन को पहले उप महानिरीक्षक (डीआईजी) जेल, (पूर्वी संभाग) नागपुर ने खारिज कर दिया था. गवली अखिल भारतीय सेना का संस्थापक है और 2004-2009 तक मुंबई की चिंचपोकली सीट से विधायक रहा है.

2006 में, गवली को गिरफ्तार किया गया और जमसांडेकर की हत्या के लिए मुकदमा चलाया गया. अगस्त 2012 में, मुंबई की एक सत्र अदालत ने उन्हें मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

ये भी पढ़ें- भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की मांग करने वाली याचिका, मद्रास हाई कोर्ट न केंद्र से मांगा जवाब

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को गैंगस्टर से नेता बने अरुण गवली की जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. गवली हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है.

यह मामला जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ के समक्ष आया. गवली ने दावा किया कि उसने 2006 की छूट नीति की सभी शर्तों का पालन किया है. वह मुंबई के शिवसेना पार्षद कमलाकर जामसांडेकर की 2007 में हुई हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है.

बयानों को सुनने के बाद पीठ ने उसे कोई राहत देने से इनकार कर दिया. गवली ने बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी, जिसमें उसकी जमानत खारिज कर दी गई थी.

बता दें कि 7 जनवरी को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने गवली को 28 दिन की छुट्टी दी थी. उन्होंने अपनी रिहाई के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, क्योंकि उनके आवेदन को पहले उप महानिरीक्षक (डीआईजी) जेल, (पूर्वी संभाग) नागपुर ने खारिज कर दिया था. गवली अखिल भारतीय सेना का संस्थापक है और 2004-2009 तक मुंबई की चिंचपोकली सीट से विधायक रहा है.

2006 में, गवली को गिरफ्तार किया गया और जमसांडेकर की हत्या के लिए मुकदमा चलाया गया. अगस्त 2012 में, मुंबई की एक सत्र अदालत ने उन्हें मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

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