कटक: ओडिशा के कटक जिले में 4 साल की एक छोटी सी बच्ची ने ब्लड कैंसर से जूझ रही अपनी 2 साल को नया जीवन दिया है. बच्ची ने अपनी बहन को बचाने के लिए स्टेम सेल डोनेट किया है. एससीबी मेडिकल कॉलेज में पीडियाट्रिक बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया गया है. इसके साथ ही यह एससीबी मेडिकल कॉलेज राज्य में पहला बाल चिकित्सा अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण करके एक मील का पत्थर साबित किया है. डॉक्टरों के मुताबिक, दोनों बच्ची स्वस्थ हैं.
मेडिकल हेमेटोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने बताया कि, ब्लड कैंसर से पीड़ित दो साल की अलीजा का सफल एलोजेनिक बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया गया. हेमेटोलॉजी विभाग के प्रोफेसर रवींद्र कुमार जेना ने कहा कि दोनों को दो से तीन दिनों में छुट्टी दे दी जाएगी. वहीं, परिवार ने दोनों बच्चों के ठीक होने पर डॉक्टरों के प्रति अपना आभार व्यक्त किया है.
ब्लड कैंसर से जूझ रही अलीजा को 7 जनवरी को एससीबी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. बाद में, चिकित्सा अधिकारियों ने अलीजा के माता-पिता शाहरूख अंसादरी और शाहिदा खातून के साथ चर्चा की और प्रत्यारोपण उपचार (Implant Treatment) के बारे में बताया. झारखंड में धनबाद के रहने वाले इस दंपती ने इलाज के लिए हामी भर दी और फिर 27 जनवरी से बच्ची का इलाज शुरू हुआ. स्टेम सेल डोनर बड़ी बहन आतिफा को 28 जनवरी को एससीबी में भर्ती कराया गया और इलाज शुरू हुआ.
बता दें कि, दंपती शाहरुख अंसादरी और शाहिदा खातून की दो बेटियां हैं. सबसे छोटी बेटी महज दो साल की है. कम उम्र में सर्दी-खांसी होने पर उसके पिता और मां चिंतित हो गए और उसे इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया. लेकिन हालत सुधरने की बजाय बच्ची की तबीयत और ज्यादा बिगड़ती चली गई. वेल्लोर ले जाने पर पता चला कि उसे ल्यूकेमिया है. अलीजा को इलाज के लिए 3 जुलाई 2024 को जमशेदपुर टाटा मेमोरियल अस्पताल में भर्ती कराया गया.
तमाम जांच के बाद डॉक्टर ने बताया कि अलीजा ब्लड कैंसर से पीड़ित है और यह हाई रिस्क पर है. बाद में अलीजा के परिवार को एलोजेनिक बोन मैरो ट्रांसप्लांट कराने और उपयुक्त स्टेम सेल डोनर की पहचान करने को कहा गया. एलोजेनिक बोन मैरो ट्रांसप्लांट कराने में 30 से 40 लाख रुपये का खर्च आता है. परिवार की सहमति से अलीजा की 4 साल की बड़ी बहन आतिफा के स्टेम सेल दान करने को तैयार हो गया.
अलीजा और आतिफा का जब टाटा मेमोरियल अस्पताल में ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन (एचएलए) टेस्ट कराया गया तो वह भी मैच हो गया. बच्ची की मां ने कहा, "इलाज के दौरान तीन कीमो ट्रीटमेंट कराने के बाद भी बच्ची की सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ. उन्होंने पहले वेल्लोर और फिर टाटा मेमोरियल में 2 साल की बेटी का इलाज कराया. हालांकि, बच्ची की सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ.
उसके बाद टाटा मेमोरियल के डॉक्टर ने उन्हें कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज जाने की सलाह दी. दंपती बेटी की इलाज के लिए कटक स्थित एससीबी मेडिकल कॉलेज अस्पताल आ गए. मां ने कहा कि, अब उनकी दोनों बेटियों का स्वास्थ्य अच्छा है. उन्होंने कहा कि, गरीबों के लिए यहां की सरकार का यह अच्छा कदम है. बच्ची की मां ने डॉ. आरके जेना और उनकी टीम के साथ-साथ अन्य विभागों और राज्य सरकार को धन्यवाद दिया.
हेमटोलॉजी के प्रोफेसर और बोन मैरो ट्रांसप्लांट (बीएमटी) के प्रमुख रवींद्र कुमार जेना ने बताया कि, स्टेम सेल डोनर बड़ी बहन आतिफा महज 4 साल की है. ऑपरेशन थियेटर में इतने छोटे बच्चे को संभालना काफी मुश्किल था. हालांकि,मेडिकल प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद यह ट्रांसप्लांट सफल रहा. डॉक्टर ने बताया, प्रत्यारोपण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद, आतिफा अपने मोबाइल पर गेम खेलने लगी. प्रोफेसर ने कहा कि, दोनों बच्ची स्वस्थ है और जल्द ही दोनों को छुट्टी दे दी जाएगी.
इससे पहले जमशेदपुर के 4 से 5 मरीजों में बोन मैरो ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक किया जा चुका है. भविष्य में राज्य सरकार की इस मुफ्त सेवा से कई मरीजों को फायदा होगा. आम लोगों को स्टेम सेल दान करना चाहिए इसके लिए स्वयंसेवी संस्थाओं को आगे आकर पंजीकरण कराना चाहिए. जिनके भाई-बहन नहीं हैं, वे अपने स्टेम सेल का मिलान कराकर इलाज करा सकते हैं. पिछले साल अप्रैल 2024 से अब तक एससीबी में 26 सफल बोन मैरो ट्रांसप्लांट किए जा चुके हैं.
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