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Special: धन-धान्य से समृद्ध करती है मां अन्नपूर्णा, श्रद्धालुओं का लग रहा तांता - Rajasthan news

नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है, माता रानी के मंदिरों में भक्तों का ताता लगा हुआ है. ईटीवी भारत भी आपको माता रानी के उन मंदिरों से रूबरू करवा रहा है, जो प्राचीन कालीन हैं. राजसमंद जिला मुख्यालय के समीप पहाड़ी पर प्रमुख शक्तिपीठ मां अन्नपूर्णा माता का मंदिर स्थित है. यहां नवरात्रि उत्सव के तहत श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला लगातार जारी है.

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धन-धान्य से समृद्ध करती है माता अन्नपूर्णा
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Published : Oct 22, 2020, 11:00 PM IST

राजसमंद. नवरात्रि उत्सव के तहत मंदिर में विशेष श्रृंगार के साथ नवदुर्गा के अनुरूप दर्शन की व्यवस्था की जा रही हैं. वहीं श्रद्धालुओं द्वारा भी पूजा-अर्चना अनुष्ठान किए जा रहे हैं. मंदिर में विद्युत झालरों और फूलों की आकर्षक सजावट की गई है. मंदिर में मेवाड़, मारवाड़ सहित प्रदेश के विभिन्न प्रांतों से श्रद्धालु यहां पहुंचकर मां अन्नपूर्णा के मंदिर में अरदास लगा रहे हैं.

धन-धान्य से समृद्ध करती है माता अन्नपूर्णा

मां अन्नपूर्णा माता के प्राचीन मंदिर की ऐसी मान्यता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मां सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. उनके घर में कभी अंजल की कमी नहीं होती. राजसमंद जिला मुख्यालय की दो प्रमुख पहाड़ियों में से एक पहाड़ी स्थित राजमंदिर में विराजित है. मां अन्नपूर्णा माता के मंदिर से झील का नजारा दिव्य दिखाई देता है. मान्यता यह भी है कि अन्नपूर्णा माता के विराजित होने के बाद इस नगर में कभी अकाल नहीं पड़ा और तमाम विधाओं को मां ने दूर किया.

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अंजल की कमी नहीं रहती

कैसे पहुंचे मंदिर तक?

मंदिर तक पहुंचने के लिए दो मार्ग हैं. पहला मार्ग प्राचीन है, जो राजनगर की ओर से आता है. यह मार्ग कच्चा और दुर्गम है. वर्तमान में दूसरा मार्ग जो सड़क मार्ग है. सुगम और मंदिर तक सड़क से पहुंचा जा सकता है. राज मंदिर का निर्माण महाराणा राजसिंह ने अपने मनोकामनाएं पूरी होने पर करवाया था. मंदिर के इतिहास की बात करें तो नगर स्थापना के पूर्व से विराजित है.

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पहाड़ी पर स्थित माता अन्नपूर्णा का मंदिर

यह भी पढ़ें: SPECIAL STORY: राजस्थान में यहां सजता है विजवा माता का दरबार, हर तरह की विकलांगता का होता है उपचार!

मां अन्नपूर्णा जी मान्यता है कि मां के दरबार में आने वाले श्रद्धालुओं के अंजल के भंडार हमेशा भरे रहते हैं और मां उनकी सभी मनोकामनाएं हमेशा पूरी करती है. दुर्गम और कठिन पहाड़ी मार्ग तय कर मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को सारी थकान मां के दर्शन मात्र से दूर हो जाती हैं मां अन्नपूर्णा जी का यह राज मंदिर विशाल रूप में है.

यह भी पढ़ें: नवरात्र स्पेशलः माता के जयकारों से गूंज उठा अजमेर के अंबे मां का दरबार

वहीं कोरोना महामारी को देखते हुए इस बार मंदिर में श्रद्धालुओं को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए विशेष व्यवस्था की गई है, जिससे कि श्रद्धालुओं को कोविड- 19 की पालना के साथ-साथ मंदिर में दर्शन हो रहे हैं. मंदिर में प्रवेश से कोरोना वायरस के प्रति जागरूकता संदेश के साथ प्रमुख रूप से टचलेस आई आर बेस ऑटोमेटिक घंटी लगाई गई है, जिससे कि श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश से पहले बिना छुए घंटी बजा सकते हैं. श्रद्धालु जैसे ही अपने हाथ को घंटी बजाने के लिए ऊपर उठाते हैं कि ऑटोमेटिक घंटी होने से पहले ही बज रही है. वहीं मंदिर के पुजारी गोपाल ने बताया कि माता रानी से अरदास लगाई जा रही है कि कोरोना काल से पूरे देश को मुक्ति दिलाएं.

राजसमंद. नवरात्रि उत्सव के तहत मंदिर में विशेष श्रृंगार के साथ नवदुर्गा के अनुरूप दर्शन की व्यवस्था की जा रही हैं. वहीं श्रद्धालुओं द्वारा भी पूजा-अर्चना अनुष्ठान किए जा रहे हैं. मंदिर में विद्युत झालरों और फूलों की आकर्षक सजावट की गई है. मंदिर में मेवाड़, मारवाड़ सहित प्रदेश के विभिन्न प्रांतों से श्रद्धालु यहां पहुंचकर मां अन्नपूर्णा के मंदिर में अरदास लगा रहे हैं.

धन-धान्य से समृद्ध करती है माता अन्नपूर्णा

मां अन्नपूर्णा माता के प्राचीन मंदिर की ऐसी मान्यता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मां सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. उनके घर में कभी अंजल की कमी नहीं होती. राजसमंद जिला मुख्यालय की दो प्रमुख पहाड़ियों में से एक पहाड़ी स्थित राजमंदिर में विराजित है. मां अन्नपूर्णा माता के मंदिर से झील का नजारा दिव्य दिखाई देता है. मान्यता यह भी है कि अन्नपूर्णा माता के विराजित होने के बाद इस नगर में कभी अकाल नहीं पड़ा और तमाम विधाओं को मां ने दूर किया.

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अंजल की कमी नहीं रहती

कैसे पहुंचे मंदिर तक?

मंदिर तक पहुंचने के लिए दो मार्ग हैं. पहला मार्ग प्राचीन है, जो राजनगर की ओर से आता है. यह मार्ग कच्चा और दुर्गम है. वर्तमान में दूसरा मार्ग जो सड़क मार्ग है. सुगम और मंदिर तक सड़क से पहुंचा जा सकता है. राज मंदिर का निर्माण महाराणा राजसिंह ने अपने मनोकामनाएं पूरी होने पर करवाया था. मंदिर के इतिहास की बात करें तो नगर स्थापना के पूर्व से विराजित है.

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पहाड़ी पर स्थित माता अन्नपूर्णा का मंदिर

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मां अन्नपूर्णा जी मान्यता है कि मां के दरबार में आने वाले श्रद्धालुओं के अंजल के भंडार हमेशा भरे रहते हैं और मां उनकी सभी मनोकामनाएं हमेशा पूरी करती है. दुर्गम और कठिन पहाड़ी मार्ग तय कर मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को सारी थकान मां के दर्शन मात्र से दूर हो जाती हैं मां अन्नपूर्णा जी का यह राज मंदिर विशाल रूप में है.

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वहीं कोरोना महामारी को देखते हुए इस बार मंदिर में श्रद्धालुओं को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए विशेष व्यवस्था की गई है, जिससे कि श्रद्धालुओं को कोविड- 19 की पालना के साथ-साथ मंदिर में दर्शन हो रहे हैं. मंदिर में प्रवेश से कोरोना वायरस के प्रति जागरूकता संदेश के साथ प्रमुख रूप से टचलेस आई आर बेस ऑटोमेटिक घंटी लगाई गई है, जिससे कि श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश से पहले बिना छुए घंटी बजा सकते हैं. श्रद्धालु जैसे ही अपने हाथ को घंटी बजाने के लिए ऊपर उठाते हैं कि ऑटोमेटिक घंटी होने से पहले ही बज रही है. वहीं मंदिर के पुजारी गोपाल ने बताया कि माता रानी से अरदास लगाई जा रही है कि कोरोना काल से पूरे देश को मुक्ति दिलाएं.

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