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राजसमंद सीट पर इस बार किसका होगा कब्जा...ये है जीत का पैटर्न

लोकसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हैं. नेता अपने-अपने क्षेत्र की जनता के बीच पहुंच रहे हैं. राजसमंद में चुनावी माहौल बन चुका है. राजसमंद लोकसभा सीट 2009 से है. इस लोकसभा सीट में 8 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं, जो कि 4 जिलों के अंतर्गत आती हैं .

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Published : Mar 11, 2019, 3:29 PM IST

डिजाइन फोटो.

राजसमंद जिले में 4 विधानसभा सीटें हैं. इसमें नाथद्वारा, कुंभलगढ़, भीम और राजसमंद शामिल हैं. वहीं राजसमंद लोकसभा क्षेत्र में नागौर का मेड़ता और डेगाना क्षेत्र, पाली का जैतारण और अजमेर का ब्यावर सीट क्षेत्र भी शामिल है.


यहां 2009 में पहले लोकसभा चुनाव में हुआ था राजसमंद जिले मैं पढ़ने वाली 4 विधानसभा है जिसमें नाथद्वारा कुंभलगढ़ भीम और राजसमंद शामिल है वहीं तीन अन्य जिलों की विधानसभा सीट नागौर जिले की मेड़ता और डेगाना सीट भी शामिल भी शामिल है वहीं पाली जिले की जैतारण और अजमेर जिले की ब्यावर सीट भी शामिल इन सभी को मिलाकर राजसमंद एक लोकसभा सीट बनती है.


यहां की 8 विधानसभाओं पर नजर डालें तो वर्तमान में 4 विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है. राजसमंद, कुंभलगढ़, जैतारण और ब्यावर की सीटों पर भाजपा के विधायक हैं. वहीं नाथद्वारा, भीम और डेगाना विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. साथ ही इस बार मेड़ता विधानसभा सीट पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी की जीत हुई है. 2013 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो यहां की सभी आठ विधानसभा पर भाजपा का कब्जा था.


राजसमंद लोकसभा सीट पर 2009 के पहले चुनाव में कांग्रेस के गोपाल सिंह शेखावत ने भाजपा के रासा सिंह रावत को 45890 मतों से हराया था. वहीं 2014 में भाजपा के हरि ओम सिंह रावत ने कांग्रेस के गोपाल सिंह शेखावत को करीब 3,45,705 मतों से हराया था. कांग्रेस के उम्मीदवार को 25.80 प्रतिशत वोट मिले थे, वहीं भाजपा की उम्मीदवार को 66.77 प्रतिशत वोट मिले थे. भाजपा कांग्रेस के अलावा अन्य दलों में बहुजन समाज पार्टी के नीरू राम को 1.51 प्रतिशत वोट मिले और समाजवादी पार्टी प्रत्याशी गुलाम फरीद को 0.31 प्रतिशत वोट मिले थे.

राजसमंद सीट का सियासी गणित

प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता के कारण 2014 में राजसमंद लोकसभा सीट पर भाजपा को बढ़त मिली. साथ ही कांग्रेस की आपसी फूट और कांग्रेस के नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण जनता के बीच में गलत मैसेज गया, इस कारण भी भाजपा को बढ़त मिली. जनता में कांग्रेस के 10 साल के शासन के बाद एंटी इनकंबेंसी भी बन गई थी. 2014 से पहले योजनाओं के क्रियान्वयन में यूपीए सरकार के देरी से जागने की वजह से भी कांग्रेस को नुकसान हुआ.
भाजपा के जिला महामंत्री सत्यनारायण पुरबिया का कहना है कि 2014 में कांग्रेस सरकार से जनता का विश्वास उठ गया था और एक लोकप्रिय प्रधानमंत्री के रूप में लोग मोदी की तरफ देख रहे थे. एक आशा और अपेक्षा के साथ, जिस पर वह खरे भी उतरे. उन्होंने कहा कि लगातार कांग्रेस सरकार भ्रष्टाचार की चादर में समाती जा रही थी. इस कारण से भी जनता के पास सिर्फ भाजपा को चुनने का विकल्प था.
वहीं, राजसमंद में कांग्रेस के जिला महासचिव भगवत सिंह गुर्जर का कहना है कि 2014 के चुनाव में भाजपा ने जनता के बीच में बड़े बड़े वादे करके जनता को गुमराह करने का काम किया हैं. जनता इनके झांसे में आ गई थी. इन्होंने 15 लाख रुपये और युवाओं को साल में दो करोड़ रोजगार मुहैया कराने की बात कही थी. इसके अलावा धारा 370 हटाने और राम जन्मभूमि में रामलला का मंदिर बनाने का वादा, लेकिन इसमें कोई भी वादा भाजपा ने पूरा नहीं किया.

राजसमंद जिले में 4 विधानसभा सीटें हैं. इसमें नाथद्वारा, कुंभलगढ़, भीम और राजसमंद शामिल हैं. वहीं राजसमंद लोकसभा क्षेत्र में नागौर का मेड़ता और डेगाना क्षेत्र, पाली का जैतारण और अजमेर का ब्यावर सीट क्षेत्र भी शामिल है.


यहां 2009 में पहले लोकसभा चुनाव में हुआ था राजसमंद जिले मैं पढ़ने वाली 4 विधानसभा है जिसमें नाथद्वारा कुंभलगढ़ भीम और राजसमंद शामिल है वहीं तीन अन्य जिलों की विधानसभा सीट नागौर जिले की मेड़ता और डेगाना सीट भी शामिल भी शामिल है वहीं पाली जिले की जैतारण और अजमेर जिले की ब्यावर सीट भी शामिल इन सभी को मिलाकर राजसमंद एक लोकसभा सीट बनती है.


यहां की 8 विधानसभाओं पर नजर डालें तो वर्तमान में 4 विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है. राजसमंद, कुंभलगढ़, जैतारण और ब्यावर की सीटों पर भाजपा के विधायक हैं. वहीं नाथद्वारा, भीम और डेगाना विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. साथ ही इस बार मेड़ता विधानसभा सीट पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी की जीत हुई है. 2013 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो यहां की सभी आठ विधानसभा पर भाजपा का कब्जा था.


राजसमंद लोकसभा सीट पर 2009 के पहले चुनाव में कांग्रेस के गोपाल सिंह शेखावत ने भाजपा के रासा सिंह रावत को 45890 मतों से हराया था. वहीं 2014 में भाजपा के हरि ओम सिंह रावत ने कांग्रेस के गोपाल सिंह शेखावत को करीब 3,45,705 मतों से हराया था. कांग्रेस के उम्मीदवार को 25.80 प्रतिशत वोट मिले थे, वहीं भाजपा की उम्मीदवार को 66.77 प्रतिशत वोट मिले थे. भाजपा कांग्रेस के अलावा अन्य दलों में बहुजन समाज पार्टी के नीरू राम को 1.51 प्रतिशत वोट मिले और समाजवादी पार्टी प्रत्याशी गुलाम फरीद को 0.31 प्रतिशत वोट मिले थे.

राजसमंद सीट का सियासी गणित

प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता के कारण 2014 में राजसमंद लोकसभा सीट पर भाजपा को बढ़त मिली. साथ ही कांग्रेस की आपसी फूट और कांग्रेस के नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण जनता के बीच में गलत मैसेज गया, इस कारण भी भाजपा को बढ़त मिली. जनता में कांग्रेस के 10 साल के शासन के बाद एंटी इनकंबेंसी भी बन गई थी. 2014 से पहले योजनाओं के क्रियान्वयन में यूपीए सरकार के देरी से जागने की वजह से भी कांग्रेस को नुकसान हुआ.
भाजपा के जिला महामंत्री सत्यनारायण पुरबिया का कहना है कि 2014 में कांग्रेस सरकार से जनता का विश्वास उठ गया था और एक लोकप्रिय प्रधानमंत्री के रूप में लोग मोदी की तरफ देख रहे थे. एक आशा और अपेक्षा के साथ, जिस पर वह खरे भी उतरे. उन्होंने कहा कि लगातार कांग्रेस सरकार भ्रष्टाचार की चादर में समाती जा रही थी. इस कारण से भी जनता के पास सिर्फ भाजपा को चुनने का विकल्प था.
वहीं, राजसमंद में कांग्रेस के जिला महासचिव भगवत सिंह गुर्जर का कहना है कि 2014 के चुनाव में भाजपा ने जनता के बीच में बड़े बड़े वादे करके जनता को गुमराह करने का काम किया हैं. जनता इनके झांसे में आ गई थी. इन्होंने 15 लाख रुपये और युवाओं को साल में दो करोड़ रोजगार मुहैया कराने की बात कही थी. इसके अलावा धारा 370 हटाने और राम जन्मभूमि में रामलला का मंदिर बनाने का वादा, लेकिन इसमें कोई भी वादा भाजपा ने पूरा नहीं किया.
Intro:आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं जिसको लेकर संपूर्ण देश भर में चुनाव महाकुंभ की आहुति में शामिल होने के लिए सभी नेता लोग अपने-अपने क्षेत्र में फिर से जनता जनार्दन के बीच हाजिरी लगाने पहुंचने लगे आइए जानते हैं राजसमंद लोकसभा सीट के बारे में आपको बता देंगे राजसमंद लोकसभा सीट 2009 में बनी थी जिसमें पहला चुनाव 2009 में हुआ था इस लोकसभा सीट में 8 विधानसभा शामिल है जो कि 4 जिलों में शामिल आती है आपको बता दें कि राजसमंद जिले के सहित तीन अन्य जिलों की सीटी भी शामिल है जो इस प्रकार हैं राजसमंद जिले मैं पढ़ने वाली 4 विधानसभा है जिसमें नाथद्वारा कुंभलगढ़ भीम और राजसमंद शामिल है वहीं तीन अन्य जिलों की विधानसभा सीट नागौर जिले की मेड़ता और डेगाना सीट भी शामिल भी शामिल है वहीं पाली जिले की जैतारण और अजमेर जिले की ब्यावर सीट भी शामिल इन सब को मिलाकर राजसमंद एक लोकसभा सीट बनती है


Body:आइए जानते हैं वर्तमान में किस पार्टी के पास कितनी सीटें हैं राजसमंद लोकसभा सीट पर पढ़ने वाली 8 विधानसभाओं पर नजर डालें तो वर्तमान में 4 विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है जिसमें राजसमंद कुंभलगढ़ जैतारण और ब्यावर शामिल है इन सीटों पर वर्तमान में भाजपा के विधायक है वहीं अगर कांग्रेस की बात करें तो 3 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के विधायक है जिसमें नाथद्वारा भीम और डेगाना शामिल है आपको बता दें कि इस बार मेड़ता विधानसभा सीट पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का विधायक भी जीता वहीं अगर 2013 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो राजसमंद मैं शामिल 3 अन्य जिलों समेत आठ विधानसभा पर भाजपा का कब्जा था आपको बता दें कि 2009 में पहली बार राजसमंद लोकसभा सीट बनी जिसमें कांग्रेस के गोपाल सिंह ने भाजपा की रासा सिंह रावत को 45890 मतों से हराया वहीं अगर 2014 लोकसभा पर नजर डाले तो भाजपा के हरि ओम सिंह रावत ने कांग्रेस के गोपाल सिंह शेखावत को करीब 3 लाख 45 हजार 705 मतों से हराया जिसमें कांग्रेस के उम्मीदवार को 25.80 प्रतिशत वोट मिले वहीं भाजपा की उम्मीदवार को 66.77 प्रतिशत वोट मिले वहीं भाजपा कांग्रेस के अलावा अन्य दलों के वोट परसेंट की बात करें तो 2014 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के नीरू राम को 1.51 प्रतिशत वोट मिले वहीं समाजवादी पार्टी प्रत्याशी गुलाम फरीद को 0.31 प्रतिशत वोट मिले


Conclusion:वहीं अगर 2014 के राजसमंद लोकसभा सीट के मुद्दों की बात करें तो पहला तो प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता जिसके कारण भाजपा को बढ़त मिली दूसरा कांग्रेस की आपसी फूट और कांग्रेस के नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण जनता के बीच में गलत मैसेज गया जिसके कारण भाजपा को बढ़त मिली वही जनता कांग्रेस के 10 साल के बाद एंटी इनकंबेंसी भी बन गई थी जिसके कारण जनता एक नए विकल्प की तलाश में थी वही 2014 के चुनाव में मोदी लहर भी प्रमुख थी जिसके कारण कांग्रेस के कई किले ध्वस्त हो गए वहीं यूपीए सरकार की 2014 से पहले योजनाओं के क्रियान्वयन में भी देरी से जागना प्रमुख कारण वही जब हमने भाजपा के जिला महामंत्री सत्यनारायण पुरबिया को पूछा कि 2014 में आप की जीत में सबसे पहला प्लस प्वाइंट क्या था तो उन्होंने बताया कि कांग्रेस सरकार के ऊपर जनता का विश्वास उठ गया था और एक लोकप्रिय प्रधानमंत्री के रूप में लोग मोदी की तरफ देख रहे थे एक आशा और अपेक्षा के साथ जिस पर वह खरे भी उतरे वहीं उन्होंने कहा कि लगातार कांग्रेस सरकार भ्रष्टाचार की चादर में लिप्त होती जा रही थी जिसके कारण जनता के पास में सिर्फ भाजपा को चुनना ही विकल्प था
वहीं राजसमंद कांग्रेस जिला महासचिव भगवत सिंह गुर्जर का कहना है कि 2014 के चुनाव में भाजपा ने जनता के बीच में बड़े बड़े वादे करके जनता को गुमराह करने का काम किया और जनता इनके गुमराह में फस गई इन्होंने 15 लाख रुपए देने की बात कही वहीं युवाओं को दो करोड़ रोजगार साल में मुहैया कराने की बात कही धारा 370 हटाने की बात कही राम जन्मभूमि में रामलला का मंदिर बनाने के बाद कहीं लेकिन यह कोई भी बात
साकार नहीं हो पाई शिवाय 2014 में भाजपा ने जनता को भ्रमित करके सरकार बनाने में सफल हो पाई

~ इस खबर में वरिष्ठ पत्रकार की बाइट नहीं है क्योंकि वे राजसमंद नहीं है
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