नई दिल्ली: कर्नाटक भाजपा के सभी बड़े नेताओं को पार्टी नेतृत्व के निर्देश पर महाराष्ट्र के सोलापुर, पुणे, सांगली, कोल्हापुर, उस्मानाबाद, लातूर और नांदेड़ जिलों में चुनाव प्रचार के लिए उतारा गया है. जिन नेताओं को पार्टी आलाकमान ने निर्देश दिए हैं उनमें प्रह्लाद जोशी, शोभा करंजले, वी सोमन्ना और भगवंत खुबा जैसे कुछ नाम शामिल हैं.
इसके अलावा अरविंद बेलाड, मुरुगेश निरानी, महेश तेंगिनाकाई जैसे उत्तर कर्नाटक के लिंगायत नेताओं को भी मराठवाड़ा क्षेत्र में चुनाव प्रचार में उतारा गया है. वे अपनी भाषा और संस्कृति के माध्यम से इस लिंगायत समुदाय के वोटों को रिझाने में लगे हुए हैं. केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी और शोभा करंजले भी मराठवाड़ा क्षेत्र में चुनाव प्रचार कर रहे हैं.
ज्यादातर तटीय कर्नाटक के नेताओं को उनकी संस्कृति के अनुरूप महाराष्ट्र के मुंबई और पुणे में लिंगायत समुदाय के वोट बैंक के बीच जाकर इनसे संपर्क साधने के लिए कहा गया है.
इससे पहले, भाजपा ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल की बहू अर्चना पाटिल चारूरकर जो लिंगायत समुदाय से आती हैं उन्हें भाजपा में शामिल कर इस वोट बैंक को एक संदेश देने की कोशिश की थी. साथ ही इस वोट बैंक को भाजपा के पक्ष में मजबूत करने के लिए पार्टी के कर्नाटक के नेता लगातार इन इलाकों में मौजूद लिंगायत समुदाय से संपर्क साध रहे हैं.
लिंगायत समुदाय के वोट बैंक मुंबई, पुणे, लातूर, सांगली, कोल्हापुर, उस्मानाबाद, नांदेड़ सहित मराठवाड़ा क्षेत्र में ही ज्यादा हैं.
कांग्रेस ने एमबी पाटिल को मैदान में उतारा
इसी तरह देखा जाए तो सिर्फ महायुति (एनडीए) ही नहीं बल्कि महा विकास अघाड़ी (एमवीए) में शामिल दलों की नजर भी इस वोट बैंक पर है. कांग्रेस ने भी कर्नाटक के उद्योग मंत्री एमबी पाटिल और छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव को सोलापुर और पुणे क्षेत्र का प्रचार प्रबंधन संभालने की जिम्मेदारी सौंपी है.
सोलापुर में लिंगायत वोटों पर पकड़ मजबूत करने में जुटी भाजपा
भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में सोलापुर से पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे के खिलाफ लिंगायत संत जय सिद्धेश्वर शिवाचार्य स्वामी को मैदान में उतारा था और इनके माध्यम से पार्टी ने मराठवाड़ा में लिंगायत वोटों पर पकड़ मजबूत करने में सफलता भी हासिल की थी. तब जय सिद्धेश्वर शिवाचार्य ने कांग्रेस नेता शिंदे को एक लाख से ज्यादा वोटों से हराया था.
लेकिन 2024 में जाति प्रमाणपत्र के विवाद में फंसे शिवाचार्य को पार्टी को हटाना पड़ा और यह सीट दोबारा एमवीए के पास चली गई. जहां से सुशील कुमार शिंदे की बेटी चुनाव जीतने में सफल रहीं. विधानसभा चुनाव में भाजपा इस क्षेत्र में फिर से दबदबा बनाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही हैं.
कुल मिलाकर 6-7 प्रतिशत इस लिंगायत वोट बैंक पर सभी पार्टियां दावे कर रही हैं. भाजपा के नेता कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार से संबंधित मुद्दों को भी महाराष्ट्र के इस कन्नड़वासी क्षेत्रों में उठा रहे हैं. केंद्र सरकार की योजनाओं से कर्नाटक में उन्हें कैसे दूर रखा जा रहा है, इन मुद्दों को भी उठाया जा रहा है.
लिंगायत समुदाय महायुति के साथ, भाजपा का दावा
इस संबंध में भाजपा प्रवक्ता प्रेम शुक्ला का कहना है कि लिंगायत समुदाय कर्नाटक में भी भाजपा का साथ देता रहा है और महाराष्ट्र के लिंगायत समुदाय और कन्नड़ भाषी लोग भी महायुति का ही साथ देंगे, क्योंकि वे कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार से भली-भांति परिचित हो चुके हैं. उन्हेंने कहा कि महाराष्ट्र की जनता डबल इंजन की सरकार चाहती है और महायुति को ही वोट करेगी.
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