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मोक्ष और धर्म की प्राप्ति के लिए आज करें भगवान शिव और भगवान श्री हरि की पूजा - ATTAINMENT OF SALVATION AND DHARMA

कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को वैकुंठ चतुर्दशी कहते हैं. मोक्ष और धर्म की प्राप्ति के लिए आज करें भगवान शिव और भगवान श्री हरि की पूजा.

Vaikuntha Chaturdashi 2024
कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को वैकुंठ चतुर्दशी कहते हैं (ETV Bharat Bikanr)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 14, 2024, 8:28 AM IST

बीकानेर: हिंदू धर्म में मान्यता के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल चतुर्दशी का बड़ा महत्व बताया गया है. पौराणिक धर्म ग्रंथो के अनुसार इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु और देवाधिदेव महादेव की आराधना करने से व्यक्ति की जीवन की सभी संकट दूर होते हैं और उन्हें जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिलती है.

भगवान विष्णु ने की थी पूजा : दरअसल इस दिन का महत्व इसलिए है कि एक समय में सृष्टि के पालनहार भगवान श्री हरि विष्णु ने देवाधिदेव महादेव की काशी में आराधना की थी. महादेव की भक्ति में लीन श्री हरि विष्णु ने पूजा के बाद खुद को प्रिय कमल पुष्प भगवान शिव को अर्पित करने की मन में ठानी और 1000 कमल पुष्प भगवान महादेव को अर्पित करना शुरू किया, लेकिन पूजा में एक कमल पुष्प कम पड़ गया, क्योंकि भगवान शंकर ने भगवान विष्णु की परीक्षा ली. भगवान विष्णु ने कम पड़े एक कमल पुष्प की जगह अपनी एक आंख कमल के रूप में भगवान शिव को अर्पित करनी चाही. तब भगवान शिव ने उनसे प्रसन्न होकर उन्हें सुदर्शन चक्र प्रदान किया.

पढ़ें : Aaj ka Panchang: कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष त्रयोदशी आज, कर्मकांड करने की उत्तम तिथि

भक्ति का मार्ग प्रशस्त : मान्यता है कि इस दिन भगवान महादेव और श्री हरि विष्णु की संयुक्त रूप से पूजा करने से भक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है और व्यक्ति के जीवन के सारे संकट दूर होते हैं. व्यक्ति जीवन-मरण के बंधन से मुक्त होकर सीधे बैकुंठ को प्राप्त करता है. इसीलिए इस दिन को बैकुंठ चतुर्दशी कहा जाता है.

ऐसे करें पूजा : पंडित कपिल जोशी कहते हैं कि इस दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए और दोनों का स्मरण करते हुए पूजा करनी श्रेष्ठ होती है. उसके लिए घर में या मंदिर में भगवान शिव के नाम की माला का ॐ नमः शिवाय का जप करने के बाद श्री हरि विष्णु के मंत्र ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जप करना चाहिए.

बीकानेर: हिंदू धर्म में मान्यता के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल चतुर्दशी का बड़ा महत्व बताया गया है. पौराणिक धर्म ग्रंथो के अनुसार इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु और देवाधिदेव महादेव की आराधना करने से व्यक्ति की जीवन की सभी संकट दूर होते हैं और उन्हें जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिलती है.

भगवान विष्णु ने की थी पूजा : दरअसल इस दिन का महत्व इसलिए है कि एक समय में सृष्टि के पालनहार भगवान श्री हरि विष्णु ने देवाधिदेव महादेव की काशी में आराधना की थी. महादेव की भक्ति में लीन श्री हरि विष्णु ने पूजा के बाद खुद को प्रिय कमल पुष्प भगवान शिव को अर्पित करने की मन में ठानी और 1000 कमल पुष्प भगवान महादेव को अर्पित करना शुरू किया, लेकिन पूजा में एक कमल पुष्प कम पड़ गया, क्योंकि भगवान शंकर ने भगवान विष्णु की परीक्षा ली. भगवान विष्णु ने कम पड़े एक कमल पुष्प की जगह अपनी एक आंख कमल के रूप में भगवान शिव को अर्पित करनी चाही. तब भगवान शिव ने उनसे प्रसन्न होकर उन्हें सुदर्शन चक्र प्रदान किया.

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भक्ति का मार्ग प्रशस्त : मान्यता है कि इस दिन भगवान महादेव और श्री हरि विष्णु की संयुक्त रूप से पूजा करने से भक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है और व्यक्ति के जीवन के सारे संकट दूर होते हैं. व्यक्ति जीवन-मरण के बंधन से मुक्त होकर सीधे बैकुंठ को प्राप्त करता है. इसीलिए इस दिन को बैकुंठ चतुर्दशी कहा जाता है.

ऐसे करें पूजा : पंडित कपिल जोशी कहते हैं कि इस दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए और दोनों का स्मरण करते हुए पूजा करनी श्रेष्ठ होती है. उसके लिए घर में या मंदिर में भगवान शिव के नाम की माला का ॐ नमः शिवाय का जप करने के बाद श्री हरि विष्णु के मंत्र ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जप करना चाहिए.

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