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राजसमंद: बिछड़े परिजनों से मिलकर खिलखिला उठी हेमा, 3 माह से भटक रही थी अकेली

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Published : Oct 4, 2020, 3:02 PM IST

मूलतः मध्य प्रदेश की रहने वाली हेमा बागरी का राजसमंद के नाथद्वारा नगर के मॉडल बस स्टैंड पर आखिरकार शनिवार देर शाम परिजनों से मिलान हो गया. मानसिक रूप से तनाव झेल रही हेमा कुछ दिन पूर्व भटकते हुए नाथद्वारा पहुंच गई थी. उसने बस स्टैंड को ही अपना घर बना लिया था.

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परिजनों से मिलकर खिलखिला उठी हेमा

राजसमंद. जिले के नाथद्वारा नगर के मॉडल बस स्टैंड पर पिछले कुछ दिनों से रह रही बदहवास हेमा बागरी का आखिरकार शनिवार देर शाम परिजनों से मिलान हो गया. मानसिक रूप से तनाव झेल रही हेमा कुछ दिन पूर्व भटकते हुए नाथद्वारा पहुंच गई थी. उसने बस स्टैंड को ही अपना घर बना लिया था. तभी एएसआई रविन्द्र सिंह ने इसे देखा ओर पूछताछ की. जिसमें उसने अपने गांव और परिजनों के आधे अधूरे नाम बताए.

पढ़ें : हाथरस गैंगरेप मामले को लेकर जयपुर में दलित मुस्लिम संगठनों का प्रदर्शन

एएसआई ने प्रयास करते हुए आखिरकार तीन दिनों में उसके परिजनों का पता लगाया और उनसें सम्पर्क कर उन्हें उनकी बेटी के बारे में बताया. मूल रूप से दसोरिया, मंदसौर (एमपी) जिले की रहने वाली हेमा को परिवार के लोग शनिवार देर रात्रि नाथद्वारा लेने पहुंचे. जहां पिता और मां को देख कर हेमा खुश हो गयी. हेमा के पिता ने बताया कि हेमा के पति की एक हादसे में मौत के बाद वो मानसिक रूप से तनाव में थी.

इसके बाद वो तीन माह पहले घर से निकल गयी, जिसकी तलाश उन्होंने आस पास के गांवों में की. इस बीच हेमा को परिजन ढूंढ़ने निकलते. तभी उन्हें नाथद्वारा थाने से फोन आया कि उनकी बेटी यहां है और वो इसे लेने आ पहुंचे. बेटी को सही सलामत पाकर परिवार ने भी राहत की सांस ली.

राजसमंद. जिले के नाथद्वारा नगर के मॉडल बस स्टैंड पर पिछले कुछ दिनों से रह रही बदहवास हेमा बागरी का आखिरकार शनिवार देर शाम परिजनों से मिलान हो गया. मानसिक रूप से तनाव झेल रही हेमा कुछ दिन पूर्व भटकते हुए नाथद्वारा पहुंच गई थी. उसने बस स्टैंड को ही अपना घर बना लिया था. तभी एएसआई रविन्द्र सिंह ने इसे देखा ओर पूछताछ की. जिसमें उसने अपने गांव और परिजनों के आधे अधूरे नाम बताए.

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एएसआई ने प्रयास करते हुए आखिरकार तीन दिनों में उसके परिजनों का पता लगाया और उनसें सम्पर्क कर उन्हें उनकी बेटी के बारे में बताया. मूल रूप से दसोरिया, मंदसौर (एमपी) जिले की रहने वाली हेमा को परिवार के लोग शनिवार देर रात्रि नाथद्वारा लेने पहुंचे. जहां पिता और मां को देख कर हेमा खुश हो गयी. हेमा के पिता ने बताया कि हेमा के पति की एक हादसे में मौत के बाद वो मानसिक रूप से तनाव में थी.

इसके बाद वो तीन माह पहले घर से निकल गयी, जिसकी तलाश उन्होंने आस पास के गांवों में की. इस बीच हेमा को परिजन ढूंढ़ने निकलते. तभी उन्हें नाथद्वारा थाने से फोन आया कि उनकी बेटी यहां है और वो इसे लेने आ पहुंचे. बेटी को सही सलामत पाकर परिवार ने भी राहत की सांस ली.

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