जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने देवली-उनियारा विधानसभा उप चुनाव के दौरान एसडीएम को थप्पड़ मारने और बाद में समरावता में हुए उपद्रव के मामले में नरेश मीणा की जमानत याचिका पर दोनों पक्षों की बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. जस्टिस प्रवीर भटनागर की एकलपीठ ने यह आदेश आरोपी नरेश मीणा की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता महेश शर्मा और हर्षिता ने अदालत को बताया कि स्थानीय गांव वाले तहसील मुख्यालय बदलने के लिए कई दिनों से आंदोलन कर रहे थे और उन्होंने मतदान का बहिष्कार भी किया था. इस दौरान एसडीएम उनसे जबरन वोट डलवा रहे थे. इसके चलते उसकी एसडीएम से धक्का-मुक्की भी हुई. इसके चलते पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया. घटना के दौरान पुलिस ने आगजनी कर लोगों के घर जलाए और ग्रामीणों से मारपीट कर उनके वाहनों में भी आग लगा दी. कुल जले वाहनों में से अधिकतर वाहन ग्रामीणों के ही हैं. इससे आक्रोशित होकर ग्रामीणों ने पथराव किया था.
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याचिकाकर्ता की ओर से यह भी बताया गया कि पुलिस ने मामले में उसके खिलाफ हत्या का प्रयास को लेकर आरोप पत्र पेश किया है, जबकि न तो उससे कोई हथियार मिला और ना ही किसी को प्राण घातक चोट आई. इस घटना के बाद उसके खिलाफ राजनीतिक द्वेषता से एक के बाद एक आधा दर्जन मामले दर्ज किए गए. घटना को लेकर नामजद लोगों को पूर्व में जमानत मिल चुकी है. इनमें से कई आरोपियों को तो अग्रिम जमानत का लाभ दिया जा चुका है. सुप्रीम कोर्ट भी कहा चुका है कि बेल नियम है और जेल अपवाद है. ऐसे में उसे जमानत पर रिहा किया जाए. इसका विरोध करते हुए सरकारी वकील ने कहा कि आरोपी ने लोगों को उपद्रव के लिए उकसाया. पूर्व में पेश वीडियो से साबित है कि वह लोगों को उकसा रहा है. घटना में 27 पुलिसकर्मियों को चोट आई है और 42 वाहन जले हैं. ऐसे में मामले की गंभीरता को देखते हुए उसे जमानत नहीं दी जाए. गौरतलब है कि पुलिस ने घटना को लेकर नगर फोर्ट थाने में नरेश मीणा सहित दर्जनों अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.