राजसमंद. राजस्थान के हर जिले में ईटीवी भारत स्कूलों की बाल वाहिनियों और बसों का रियलिटी टेस्ट कर रहा है. बच्चों को घर से लाने और ले जाने के लिए स्कूल बस वाले सरकार के नियमों का पालन कर रहे है या नहीं. इसी क्रम में राजसमंद जिला मुख्यालय की कई स्कूलों की बाल वाहिनी, बसों की तहकीकात की गई. जिसमें जिला मुख्यालय पर स्थित गांधी सेवा सदन स्कूल में ईटीवी भारत की टीम पहुंची.
जहां स्कूल की ओर से लगी बाल वाहिनी बसों में कुछ खामियां छोड़कर बाकी नियमों का पालन करती हुई दिखाई दी. जैसे बाल वाहिनी बसों में बच्चों के बैठने के लिए सीट कवर फटे हुए दिखाई दिए, तो वहीं कहीं पर भी बस चालक और जरूरी सूचनाओं के बार में जानकारियां नहीं दिखाई दी. स्कूल प्राचार्य विजय किशोर त्रिपाठी ने बताया कि हमारी संस्था में सरकार की सभी नियम जो बाल वाहिनी बसों के लिए होने चाहिए वह अपनाए जा रहे हैं. सबसे मुख्य बात स्कूल कि इन बसों में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए है. जिससे किसी प्रकार की अव्यवस्थाओं का बच्चों को सामना ना करना पड़े.
आइए देखते हैं. क्या है बाल वाहिनी बसों के लिए गाइडलाइन
- स्कूल बस का रंग सुनहरी पीला होने के साथ बस पर आगे और पीछे ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा होना चाहिए.
- बस, कैब, ऑटो के पीछे विद्यालय का नाम और फोन नंबर अनिवार्य रूप से अंकित किया जाए, ताकि आपातस्थिति सहित चालक की लापरवाही करने की दशा में सूचित किया जाए.
- बस के अंदर ड्राइवर का नाम, पता, लाइसेंस नंबर, हेल्पलाइन यातायात पुलिस और परिवहन विभाग हेल्पलाइन सहित वाहन का पंजीयन क्रमांक लिखा हुआ स्पष्ट रूप से पंजीकृत किया जाना चाहिए.
- बस चलाने वाले ड्राइवर के पास कम से कम 5 साल का अनुभव हो और उसके पास कम से कम 5 साल पुराना वैध ड्राइविंग लाइसेंस हो.
- बाल वाहिनी में बैठने की क्षमता सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार डेढ़ गुना से अधिक ना हो.
- ऑटो में बच्चों को सुरक्षा के लिए बाई और लोहे की जाली लगाकर बंद किया जाना चाहिए.
- बस में चालक अनिवार्य रूप से नियम अनुसार सीट बेल्ट लगाकर वाहन चलाएं.
- स्कूल बस में चालक के पास वाली सीट पर 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों का परिवहन नहीं होना चाहिए.
- बस में छात्रों को उतारते हुए चढ़ाते में सहायता के लिए परिचालक होगा.
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वहीं ईटीवी भारत के रियलिटी टेस्ट में राजसमंद के कुछ स्कूलों में इन नियमों की पालना नहीं होती दिखाई दी. यहां खास करके कुछ नियम जरूर अपनाए जा रहे हैं.