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रियलिटी चेक: कुछ खामियां छोड़कर बाकी नियमों का पालन करती दिखी राजसमंद में बाल वाहिनी बसें - राजसमंद रियलिटी चेक

ईटीवी भारत पूरे प्रदेशभर में बच्चों की स्कूल बसों को लेकर रियलिटी चेक कर रहा है. बाल वाहिनी और बसों की हकीकत को जानने के लिए ये अभियान चलाया गया है. जिसमें इसकी जांच की जा रही है कि आपके बच्चे जिस वाहन में बैठकर स्कूल जाते और आते वो कितनी सुरक्षित है. इसी के तहत हमारी टीम ने राजसमंद की स्कूल बसों का मुआयना किया.

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Published : Sep 2, 2019, 8:35 PM IST

राजसमंद. राजस्थान के हर जिले में ईटीवी भारत स्कूलों की बाल वाहिनियों और बसों का रियलिटी टेस्ट कर रहा है. बच्चों को घर से लाने और ले जाने के लिए स्कूल बस वाले सरकार के नियमों का पालन कर रहे है या नहीं. इसी क्रम में राजसमंद जिला मुख्यालय की कई स्कूलों की बाल वाहिनी, बसों की तहकीकात की गई. जिसमें जिला मुख्यालय पर स्थित गांधी सेवा सदन स्कूल में ईटीवी भारत की टीम पहुंची.

राजसमंद में बाल वाहिनी बसों का रियलिटी चेक

जहां स्कूल की ओर से लगी बाल वाहिनी बसों में कुछ खामियां छोड़कर बाकी नियमों का पालन करती हुई दिखाई दी. जैसे बाल वाहिनी बसों में बच्चों के बैठने के लिए सीट कवर फटे हुए दिखाई दिए, तो वहीं कहीं पर भी बस चालक और जरूरी सूचनाओं के बार में जानकारियां नहीं दिखाई दी. स्कूल प्राचार्य विजय किशोर त्रिपाठी ने बताया कि हमारी संस्था में सरकार की सभी नियम जो बाल वाहिनी बसों के लिए होने चाहिए वह अपनाए जा रहे हैं. सबसे मुख्य बात स्कूल कि इन बसों में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए है. जिससे किसी प्रकार की अव्यवस्थाओं का बच्चों को सामना ना करना पड़े.

पढ़ें- रियलिटी चेक: अजमेर में बिना गाइडलाइन के धड़ल्ले से सड़कों पर दौड़ती स्कूल बसें...आरटीओ ने की कार्रवाई

आइए देखते हैं. क्या है बाल वाहिनी बसों के लिए गाइडलाइन

  • स्कूल बस का रंग सुनहरी पीला होने के साथ बस पर आगे और पीछे ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा होना चाहिए.
  • बस, कैब, ऑटो के पीछे विद्यालय का नाम और फोन नंबर अनिवार्य रूप से अंकित किया जाए, ताकि आपातस्थिति सहित चालक की लापरवाही करने की दशा में सूचित किया जाए.
  • बस के अंदर ड्राइवर का नाम, पता, लाइसेंस नंबर, हेल्पलाइन यातायात पुलिस और परिवहन विभाग हेल्पलाइन सहित वाहन का पंजीयन क्रमांक लिखा हुआ स्पष्ट रूप से पंजीकृत किया जाना चाहिए.
  • बस चलाने वाले ड्राइवर के पास कम से कम 5 साल का अनुभव हो और उसके पास कम से कम 5 साल पुराना वैध ड्राइविंग लाइसेंस हो.
  • बाल वाहिनी में बैठने की क्षमता सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार डेढ़ गुना से अधिक ना हो.
  • ऑटो में बच्चों को सुरक्षा के लिए बाई और लोहे की जाली लगाकर बंद किया जाना चाहिए.
  • बस में चालक अनिवार्य रूप से नियम अनुसार सीट बेल्ट लगाकर वाहन चलाएं.
  • स्कूल बस में चालक के पास वाली सीट पर 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों का परिवहन नहीं होना चाहिए.
  • बस में छात्रों को उतारते हुए चढ़ाते में सहायता के लिए परिचालक होगा.

पढ़ें- रियलिटी चेक: भीलवाड़ा में बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से कितनी सुरक्षित है स्कूल बसें..देखिए रिपोर्ट

वहीं ईटीवी भारत के रियलिटी टेस्ट में राजसमंद के कुछ स्कूलों में इन नियमों की पालना नहीं होती दिखाई दी. यहां खास करके कुछ नियम जरूर अपनाए जा रहे हैं.

राजसमंद. राजस्थान के हर जिले में ईटीवी भारत स्कूलों की बाल वाहिनियों और बसों का रियलिटी टेस्ट कर रहा है. बच्चों को घर से लाने और ले जाने के लिए स्कूल बस वाले सरकार के नियमों का पालन कर रहे है या नहीं. इसी क्रम में राजसमंद जिला मुख्यालय की कई स्कूलों की बाल वाहिनी, बसों की तहकीकात की गई. जिसमें जिला मुख्यालय पर स्थित गांधी सेवा सदन स्कूल में ईटीवी भारत की टीम पहुंची.

राजसमंद में बाल वाहिनी बसों का रियलिटी चेक

जहां स्कूल की ओर से लगी बाल वाहिनी बसों में कुछ खामियां छोड़कर बाकी नियमों का पालन करती हुई दिखाई दी. जैसे बाल वाहिनी बसों में बच्चों के बैठने के लिए सीट कवर फटे हुए दिखाई दिए, तो वहीं कहीं पर भी बस चालक और जरूरी सूचनाओं के बार में जानकारियां नहीं दिखाई दी. स्कूल प्राचार्य विजय किशोर त्रिपाठी ने बताया कि हमारी संस्था में सरकार की सभी नियम जो बाल वाहिनी बसों के लिए होने चाहिए वह अपनाए जा रहे हैं. सबसे मुख्य बात स्कूल कि इन बसों में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए है. जिससे किसी प्रकार की अव्यवस्थाओं का बच्चों को सामना ना करना पड़े.

पढ़ें- रियलिटी चेक: अजमेर में बिना गाइडलाइन के धड़ल्ले से सड़कों पर दौड़ती स्कूल बसें...आरटीओ ने की कार्रवाई

आइए देखते हैं. क्या है बाल वाहिनी बसों के लिए गाइडलाइन

  • स्कूल बस का रंग सुनहरी पीला होने के साथ बस पर आगे और पीछे ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा होना चाहिए.
  • बस, कैब, ऑटो के पीछे विद्यालय का नाम और फोन नंबर अनिवार्य रूप से अंकित किया जाए, ताकि आपातस्थिति सहित चालक की लापरवाही करने की दशा में सूचित किया जाए.
  • बस के अंदर ड्राइवर का नाम, पता, लाइसेंस नंबर, हेल्पलाइन यातायात पुलिस और परिवहन विभाग हेल्पलाइन सहित वाहन का पंजीयन क्रमांक लिखा हुआ स्पष्ट रूप से पंजीकृत किया जाना चाहिए.
  • बस चलाने वाले ड्राइवर के पास कम से कम 5 साल का अनुभव हो और उसके पास कम से कम 5 साल पुराना वैध ड्राइविंग लाइसेंस हो.
  • बाल वाहिनी में बैठने की क्षमता सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार डेढ़ गुना से अधिक ना हो.
  • ऑटो में बच्चों को सुरक्षा के लिए बाई और लोहे की जाली लगाकर बंद किया जाना चाहिए.
  • बस में चालक अनिवार्य रूप से नियम अनुसार सीट बेल्ट लगाकर वाहन चलाएं.
  • स्कूल बस में चालक के पास वाली सीट पर 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों का परिवहन नहीं होना चाहिए.
  • बस में छात्रों को उतारते हुए चढ़ाते में सहायता के लिए परिचालक होगा.

पढ़ें- रियलिटी चेक: भीलवाड़ा में बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से कितनी सुरक्षित है स्कूल बसें..देखिए रिपोर्ट

वहीं ईटीवी भारत के रियलिटी टेस्ट में राजसमंद के कुछ स्कूलों में इन नियमों की पालना नहीं होती दिखाई दी. यहां खास करके कुछ नियम जरूर अपनाए जा रहे हैं.

Intro:राजसमंद- ईटीवी भारत द्वारा प्रदेश भर में चलाए जा रहे हैं. बाल वाहिनी बसों के संबंध में अभियान के क्रम में जहां प्रदेशभर की स्कूलों के बाल वाहिनी बसों का रियलिटी टेस्ट किया जा रहा है. क्या वे बच्चों को घर से लाने और ले जाने के लिए क्या सरकार के नियमों का पालन कर रहे हैं.इसी क्रम में आज हमने राजसमंद जिला मुख्यालय की कई स्कूलों का बाल वाहिनी बसों का रियलिटी टेस्ट किया. जिसमें जिला मुख्यालय पर स्थित गांधी सेवा सदन स्कूल में ईटीवी भारत की टीम पहुंची.



राजसमंद में कुछ स्कूलों का रियलिटी टेस्ट करने का प्रयास किया गया


Body:जहां स्कूल के द्वारा लगी बाल वाहिनी बसों का रियलिटी टेस्ट किया गया. जिसमें स्कूल की बाल वाहिनी बसों में कुछ खामियां छोड़कर बाकी नियमों का पालन करती हुई दिखाई दी. जैसे बाल वाहिनी बसों में बच्चों के बैठने के लिए सीट कवर फटे हुए दिखाई दिए तो वही कहीं पर भी बस चालक और हमने जानकारियां नहीं दिखाई दी स्कूल प्राचार्य विजय किशोर त्रिपाठी ने बताया कि हमारी संस्था में सरकार की सभी नियम जो बाल वाहिनी बसों के लिए होने चाहिए वह अपनाए जा रहे हैं सबसे मुख्य बात स्कूल कि इन बसों में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं. कि किसी प्रकार की अव्यवस्थाओं का बच्चों को सामना न करना पड़े
आइए देखते हैं. क्या है नियम बाल वाहिनी बसों के लिए



Conclusion:1, स्कूल बस का रंग सुनहरी पीला होने के साथ बस पर आगे और पीछे ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा होना
2,बस कैब ऑटो के पीछे विद्यालय का नाम व फोन नंबर अनिवार्य रूप से अंकित किया जाए ताकि आपात स्थिति में और बालक द्वारा लापरवाही करने की दशा में सूचित किया जाए
3, बस के अंदर ड्राइवर का नाम पता लाइसेंस नंबर वन स्थाई का नाम मोबाइल नंबर हेल्पलाइन यातायात पुलिस व परिवहन विभाग हेल्पलाइन तथा वाहन का पंजीयन क्रमांक रंग में लिखा हुआ स्पष्ट रूप से पंजीकृत किया जाएगा डाबर के बदलते उसका विवरण बदल दिया जाएगा
4, बस चलाने वाले ड्राइवर के पास कम से कम 5 साल का अनुभव हो और उसके पास कम से कम 5 साल पुराना वैध ड्राइविंग लाइसेंस हो
5, बाल वाहिनी में बैठने की क्षमता सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार डेढ़ गुना से अधिक ना हो
6, ऑटो में बच्चों को सुरक्षा के लिए बाई और लोहे की जाली लगाकर बंद किया जाएगा
7 बस में चालक अनिवार्य रूप से नियम अनुसार सीट बेल्ट लगाकर वाहन चलाएं
8 स्कूल बस में चालक के पास वाली सीट पर 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों का परिवहन नहीं किया जाएगा
9, बस में छात्रों को उतारते हुए चढ़ाते में सहायता के लिए परिचालक होगा
तो वहीं ईटीवी भारत के रियलिटी टेस्ट में राजसमंद के कुछ स्कूलों में इन नियमों की पालना होती कोई नहीं दिखाई दी हां खास करके कुछ नियम जरूर अपनाए जा रहे हैं अब देखना होगा कि क्या स्कूल प्रबंधक चंद रुपए के लालच में बच्चों के साथ खिलवाड़ ना करें.
बाइट- विजय किशोर त्रिपाठी स्कूल प्राचार्य
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