राजसमंद. मानसून सत्र में राजसमंद सांसद दीया कुमारी ने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान रामगढ़ बांध की दुर्दशा पर चिंता जताते हुए कहा कि जयपुर का रामगढ़ बांध पिछले पंद्रह साल से सूखा पड़ा है. इस बांध ने 73 साल तक जयपुर की प्यास को बुझाया था. रामगढ़ बांध को मृत:प्राय देखकर मेरे मन में बहुत गहरी पीड़ा होती है. पिछले पंद्रह सालों में कई बार अच्छी बरसातें हुई लेकिन रामगढ़ बांध का पेट तो खाली ही रहा.
उन्होंने कहा कि उनके पूर्वज महाराजाओं ने वर्षा जल की एक एक बूंद को सहेजने के हिसाब से बहुत ही पक्का इंतजाम किया था. साल 1899 के भीषण छप्पनिया अकाल की पीड़ा को देखने के बाद महाराजा सवाई माधो सिंह जी द्वितीय ने यह सबसे बड़ा बांध बनवाया था. पेयजल के अलावा 120 मील तक सिंचाई भी होती थी. रामगढ़ बांध कभी भी नहीं सूखा था, लेकिन साल 2005 में यह बांध पूरी तरह सूख कर मृत:प्राय हो चुका है.
सांसद दीया कुमारी ने आगे कहा कि रामगढ़ बांध में चार तहसीलों जमवारामगढ़, शाहपुरा, आमेर और विराट नगर इलाके से 700 वर्ग किलोमीटर तक के केचमेंट एरिया का पानी बाणगंगा सहित कई नदी-नालों से आता था. पुराना रिकॉर्ड देखें तो बांध कभी भी नहीं सुखा था. लेकिन साल 2005 में सूखा तब पता लगा कि इसके केचमेंट एरिया में और नदी नालों के बीच में कई फार्म हाउस, होटलें आदि बन गए हैं.
इसकी वजह से पानी वहीं रुक रहा है. इस बार 10 इंच बरसात हुई फिर भी रामगढ़ में एक बूंद भी पानी नदी के द्वारा नहीं पहुंचा. राजस्थान उच्च न्यायालय ने भी अतिक्रमण को हटाने के निर्देश दे रखे हैं. अतिक्रमण हटाकर बांध में पानी लाने के लिए बड़े आंदोलन हो चुके हैं.
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साल 1981 में कई दिनों तक चादर चली और मोरिया खोलनी पड़ी थी. साल 1982 के एशियाई नौकायन में रामगढ़ का नाम दुनिया में मशहूर हुआ. बांध को खाली देख हमारे पूरे परिवार का मन व्यथित है. पुराने लोग बताते हैं कि कभी एक घंटे की वर्षा में बांध भर जाता था. न्यायालय ने भी प्रसंग ज्ञान लेकर पूरा दबाव बना रखा है.
राज्य सरकार ने घोषणा पत्र में प्रत्येक घर को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का वादा कर रखा है. ईसरदा बांध से रामगढ में पानी लाने की योजना भी बनी थी. उस योजना पर आज तक अमल नहीं हुआ. रामगढ़ बांध बड़े अभ्यारण से भी जुड़ा है. इसमें जल नहीं होने से विचरण करने वाले वन्यजीवों पर बहुत बड़ा संकट आया हुआ है.
मगरमच्छ और देसी परदेसी पर परिंदों का ठिकाना भी छूट चुका है. इसमें होने वाला नौकायन, मछली पालन और पिकनिक स्थल अब नहीं रहे. बांध की यह झील पूरी दुनिया की पसंदीदा रही है. बांध के बारे में सरकार को ठोस योजना बनानी चाहिए, ताकि पुरखों की इस बेशकीमती संपदा को समय रहते सुरक्षित रखा जा सके.