राजसमंद. एसआरके कॉलेज में एबीवीपी प्रत्याशी गणपत सिंह के नामांकन पर एनएसयूआई द्वारा लगाई गई आपत्ती पर शनिवार को जांच के बाद नामांकन रद्द कर दिया गया. नामांकन रद्द के होने के बाद नाराज एबीवीपी के कार्यकर्ता कॉलेज के बाहर धरने पर बैठ गए. विवाद इतना गहरा गया कि दोनों छात्र संगठन आमने-सामने हो गए.
दरअसल 23 अगस्त को छात्र संगठन एनएसयूआई ने एबीवीपी के अध्यक्ष पद पर भरे गए गणपत सिंह चौहान के नामांकन पत्र पर गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए कॉलेज चुनाव पर्यवेक्षक को आपत्ति दर्ज करवाई थी. जिस पर शनिवार सुबह से ही कॉलेज में आपत्ति पर सुनवाई चल रही थी. लेकिन जहां इस दौरान कैंपस के मुख्य गेट पर दोनों ही एबीवीपी ने हंगामा कर दिया. 4 घंटों तक चली नामांकन जांच प्रक्रिया के दौरान कई बार छात्र गुट आमने सामने दिखे.
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एक समय तो ऐसी स्थिति बनी थी कि दोनों ही छात्र गुटों में धक्का-मुक्की की नौबत आ गई. ऐसे में वहां तैनात पुलिस टीम को हल्का बल प्रयोग कर भीड़ को हटाना पड़ा. लेकिन देर शाम तक चली जांच प्रक्रिया के बाद कॉलेज प्रशासन द्वारा महाविद्यालय के मुख्य गेट पर एक सूचना चस्पा की गई. जिसमें यह लिखा था कि महाविद्यालय में आयुक्तालय द्वारा जारी निर्धारित कार्यक्रम अनुसार के अनुसार ही छात्र संघ चुनाव संपादित करवाए जाएंगे. इस सूचना को लगते ही एबीवीपी छात्र संगठनों ने मान लिया कि एनएसयूआई द्वारा लगाई गई आपत्ति खारिज हो गई है. और सभी सीटों पर चुनाव लड़ना है.
लेकिन इस मामले में एक नया मोड़ तब आया. जब वहां से छात्रों की भीड़ हटने के बाद कॉलेज के प्राचार्य रचना तैलंग ने जांच समाप्त होने के कुछ देर बाद एबीवीपी के अध्यक्ष पद प्रत्याशी गणपत सिंह चौहान का नामांकन रद्द करने की लिखित सूचना जारी कर दी. जिसके बाद विवाद और बढ़ गया. नामांकन रद्द होने के बाद एबीवीपी के घोषित प्रत्याशी गणपत सिंह ने आरोप लगाया कि जब नामांकन की जांच चल रही थी. उस दौरान मेरे साथ मेरे दो सहयोगी और भी उपस्थित थे. वहीं एनएसयूआई के भी सदस्य उपस्थित थे. जांच पूर्ण होने के बाद जब हमने पैनल में बैठे अधिकारियों से बात की तो उन्होंने कहा कि आप लोग जाइए और चुनाव की तैयारियां करें.
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गणपत सिंह ने बताया कि जब हम घर पहुंचे उसके बाद यह नामांकन रद्द होने की सूचना जारी की. उन्होंने आरोप लगाया कि यह फैसला कहीं ना कहीं राजनीति से प्रेरित है. और प्रदेश सरकार के दबाव में कॉलेज प्रशासन के आदेश को पलटा है. लेकिन इस पूरे मामले में एक बात गौर करने वाली है. कि कॉलेज प्रशासन द्वारा जारी दो आदेश में से एक आदेश में कॉलेज प्राचार्य के हस्ताक्षर के साथ एसआरके कॉलेज के मुख्य निर्वाचन अधिकारी सुमन बडोला का हस्ताक्षर हैं. लेकिन नामांकन निरस्त वाले आदेश में सिर्फ प्राचार्य के ही हस्ताक्षर हैं.