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राजसमंद दौरे पर जम्मू और कश्मीर के 40 सरपंच, पिपलांत्री गांव में लिया प्रशिक्षण

जम्मू और कश्मीर के 40 सरपंच दो दिवसीय राजसमंद दौरे पर हैं. दौरे के दूसरे दिन सरपंच पिपलांत्री गांव पहुंचे और प्रशिक्षण लिया. इस दौरान उन्होंने वाटर शेड, पर्यावरण आधारित रोजगार, नरेगा के कार्य और पानी की प्रबंधन के कामों को देखा.

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Published : Feb 4, 2021, 4:28 AM IST

Sarpanch of Jammu Kashmir on Rajsamand tour,  Rajasthan News
पिपलांत्री गांव में लिया प्रशिक्षण

राजसमंद. पंचायती राज के तीर्थ माने जाने वाले राजस्थान में जम्मू कश्मीर के सरपंच पंचायती राज विभाग संचालन को बेहतर बनाने के गुण सीख रहे हैं. राजसमंद जिले के दौरे के दूसरे दिन 40 सरपंचों का दल मॉडल ग्राम पंचायत पिपलांत्री में प्रशिक्षण के लिए पहुंचा. यहां पद्मश्री श्याम सुंदर पालीवाल ने पंचायती राज व्यवस्था के साथ ही जीवन और पर्यावरण के बारे में अहम जानकारी दी.

पिपलांत्री गांव में लिया प्रशिक्षण

पिपलांत्री में सरपंचों ने बेटी, पानी, पेड़, गोचर भूमि काम के अलावा आत्मनिर्भर बनने की प्रक्रिया में सरकारी योजनाओं का कैसे इस्तेमाल किया जाए, इसकी जानकारी ली. सरपंचों ने वाटर शेड, पर्यावरण आधारित रोजगार, नरेगा के कार्य और पानी की प्रबंधन के कामों को देखा. साथ ही पंचायत की कोरम में भी भाग लिया.

पढ़ें- धौलपुर: कलेक्टर राकेश जायसवाल ने हाईटेक लाइब्रेरी का किया अनावरण

सरपंचों ने बताया कि घाटी में धारा 370 समाप्त होने के बाद पहली बार पंचायत के चुनाव हुए हैं और वे सरपंच चुने गए हैं. अब केन्द्र सरकार प्रदेश को मुख्यधारा मे लाकर वहां के पंचायतीराज को विकसित करना चाहती है. इसी कारण उन्हे यहां भेजा गया है. सरपंच दल के सदस्यों ने कहा कि उन्होंने पहले राजस्थान की कल्पना एक सूखे प्रदेश के रूप में की थी, लेकिन पिपलांत्री को देखकर उन्होंने इसे छोटा कश्मीर का नाम दिया है.

उन्होंने बताया कि घाटी में पानी बहुत है, लेकिन उसकी कीमत पता नहीं है जो यहां आकर पता चलती है. बिना पानी के ऐसा विकास कार्य किया जाना निश्चित रुप से आश्चर्यजनक है. उन्होंने राजस्थान के सत्कार को भी अतुलनीय बताया.

राजसमंद. पंचायती राज के तीर्थ माने जाने वाले राजस्थान में जम्मू कश्मीर के सरपंच पंचायती राज विभाग संचालन को बेहतर बनाने के गुण सीख रहे हैं. राजसमंद जिले के दौरे के दूसरे दिन 40 सरपंचों का दल मॉडल ग्राम पंचायत पिपलांत्री में प्रशिक्षण के लिए पहुंचा. यहां पद्मश्री श्याम सुंदर पालीवाल ने पंचायती राज व्यवस्था के साथ ही जीवन और पर्यावरण के बारे में अहम जानकारी दी.

पिपलांत्री गांव में लिया प्रशिक्षण

पिपलांत्री में सरपंचों ने बेटी, पानी, पेड़, गोचर भूमि काम के अलावा आत्मनिर्भर बनने की प्रक्रिया में सरकारी योजनाओं का कैसे इस्तेमाल किया जाए, इसकी जानकारी ली. सरपंचों ने वाटर शेड, पर्यावरण आधारित रोजगार, नरेगा के कार्य और पानी की प्रबंधन के कामों को देखा. साथ ही पंचायत की कोरम में भी भाग लिया.

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सरपंचों ने बताया कि घाटी में धारा 370 समाप्त होने के बाद पहली बार पंचायत के चुनाव हुए हैं और वे सरपंच चुने गए हैं. अब केन्द्र सरकार प्रदेश को मुख्यधारा मे लाकर वहां के पंचायतीराज को विकसित करना चाहती है. इसी कारण उन्हे यहां भेजा गया है. सरपंच दल के सदस्यों ने कहा कि उन्होंने पहले राजस्थान की कल्पना एक सूखे प्रदेश के रूप में की थी, लेकिन पिपलांत्री को देखकर उन्होंने इसे छोटा कश्मीर का नाम दिया है.

उन्होंने बताया कि घाटी में पानी बहुत है, लेकिन उसकी कीमत पता नहीं है जो यहां आकर पता चलती है. बिना पानी के ऐसा विकास कार्य किया जाना निश्चित रुप से आश्चर्यजनक है. उन्होंने राजस्थान के सत्कार को भी अतुलनीय बताया.

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