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प्रतापगढ़ः मिट्टी के बर्तनों की बिक्री ठप, कुम्हार परेशान

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया गया है. प्रतापगढ़ में मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार परिवारों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इस बार लॉकडाउन के कारण इनकी बिक्री काफी प्रभावित हुई है. कुंभकारों का कहना है कि तैयार हुए मिट्टी बर्तन रखने की जगह नहीं है.

मिट्टी के बर्तनों की बिक्री ठप , covid 19
मिट्टी के बर्तनों की बिक्री ठप
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Published : Apr 23, 2020, 5:24 PM IST

प्रतापगढ़. कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन के बाद से ही इसका असर छोटे-मोटे उद्योग धंधे करने वाले परिवारों पर देखने को मिल रहा है. कोरोना वायरस की वजह से शहर में मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार परिवारों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

मिट्टी के बर्तनों की बिक्री ठप

बता दें कि अप्रैल के महीने में शुरूआती गर्मी के दौरान मटकों की अच्छी खासी बिक्री होती थी, लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह ब्रिकी काफी प्रभावित हुई हैं. कोरोना संक्रमण के कारण कई लोगों को अपनी रोजी-रोटी चलाना मुश्किल हो रहा है. यही हाल इन दिनों कुम्हार परिवारों का भी है. गर्मियों के जिस मौसम में मटके आदि बनाने का काम करने वाले कुम्हारों को अच्छी खासी कमाई हो जाती थी, वही अब अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम कर पाने में परेशान हो रहे हैं.

पढ़ें- कोटा में फंसे छात्रों पर पटना हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान...बिहार सरकार से 27 अप्रैल तक मांगा जवाब

कुंभकारी का काम करने वाले गर्मी के मौसम को अपना सीजन मानते थे. लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन लग जाने के बाद मिट्टी के बर्तन, मटके आदि की बिक्री बिल्कुल ठप हो गई है. दिन-रात मेहनत कर गर्मी के सीजन के लिए तैयार किए गए मटके, सुराही आदि सभी उनके घरों में भरे पड़े हैं. मटकों की बिक्री नहीं हो पाने से यह वर्ग आर्थिक तंगी में आ गया है.

मिट्टी का बर्तन बनाने वाले लॉकडाउन में मटका, गमला और सुराही तैयार कर रहे हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण यह बिक नहीं पा रहा है. ऐसे में पूरा कुंभकार परिवार गगरी, सुराही, कलश, गुल्लक आदि बना रहा है. कुम्हार का कहना है कि सामानों की बिक्री नहीं हो पा रही है. तैयार हुए मिट्टी बर्तन रखने की जगह नहीं है.

प्रतापगढ़. कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन के बाद से ही इसका असर छोटे-मोटे उद्योग धंधे करने वाले परिवारों पर देखने को मिल रहा है. कोरोना वायरस की वजह से शहर में मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार परिवारों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

मिट्टी के बर्तनों की बिक्री ठप

बता दें कि अप्रैल के महीने में शुरूआती गर्मी के दौरान मटकों की अच्छी खासी बिक्री होती थी, लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह ब्रिकी काफी प्रभावित हुई हैं. कोरोना संक्रमण के कारण कई लोगों को अपनी रोजी-रोटी चलाना मुश्किल हो रहा है. यही हाल इन दिनों कुम्हार परिवारों का भी है. गर्मियों के जिस मौसम में मटके आदि बनाने का काम करने वाले कुम्हारों को अच्छी खासी कमाई हो जाती थी, वही अब अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम कर पाने में परेशान हो रहे हैं.

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कुंभकारी का काम करने वाले गर्मी के मौसम को अपना सीजन मानते थे. लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन लग जाने के बाद मिट्टी के बर्तन, मटके आदि की बिक्री बिल्कुल ठप हो गई है. दिन-रात मेहनत कर गर्मी के सीजन के लिए तैयार किए गए मटके, सुराही आदि सभी उनके घरों में भरे पड़े हैं. मटकों की बिक्री नहीं हो पाने से यह वर्ग आर्थिक तंगी में आ गया है.

मिट्टी का बर्तन बनाने वाले लॉकडाउन में मटका, गमला और सुराही तैयार कर रहे हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण यह बिक नहीं पा रहा है. ऐसे में पूरा कुंभकार परिवार गगरी, सुराही, कलश, गुल्लक आदि बना रहा है. कुम्हार का कहना है कि सामानों की बिक्री नहीं हो पा रही है. तैयार हुए मिट्टी बर्तन रखने की जगह नहीं है.

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