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पाली में पानी का 'खेल' : एक तरफ पानी के लिए तो दूसरी तरफ पानी से परेशान हैं किसान - पाली न्यूज

पाली में हुई मौसमी बारिश से जिले का हेमावास बांध ओवर फ्लो हो गया है. जिससे हेमावास गांव के किसानों के खेत पूरी तरह से पानी से भर गए हैं. किसानों ने अगले 6 माह तक सिंचाई न होने की बात कही है. वहीं, कुछ दूसरे इलाकों में पानी नहीं होने से किसान परेशान हैं.

पाली न्यूज , Pali News
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Published : Oct 13, 2019, 6:48 PM IST

पाली. जिले में भारी बारिश होने से किसानों के खेतों में पानी भर चुका है, जिसके कारण किसान परेशान हैं. पानी ज्यादा भर जाने से किसानों के खेतों में दलदल की स्थित पैदा हो गई है. जिससे किसान अगले 6 माह तक खेतों में भरे पानी के चलते सिंचाई नहीं कर पाएंगे.

पाली में भारी बारिश से खेतों में भरा पानी

किसान ने क्या बताया

इस दौरान किसानों ने बताया कि एक समय जिले के सबसे बड़े जवाई बांध से सिंचाई का पानी मांगने के लिए किसानों को आंदोलन की धमकी देनी पड़ती थी, लेकिन वहीं वर्तमान में हेमावास बांध की बात करें तो बांध में पानी ओवर फ्लो हो चुका है. जिससे हेमावास गांव के सैकड़ों किसानों की जमीन अगले 6 माह तक सिंचाई के लिए उपयोगी नहीं होगी. उन्होंने बताया कि वहां दलदल की स्थिति पैदा हो गई है.

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हेमावास बांध 15 दिन में हुआ ओवर फ्लो

बता दें कि इस बार पाली में 29 बार मानसूनी बारिश हुई है. जिसके कारण पाली का हेमावास बांध 15 दिन में ही ओवर फ्लो हो गया था. ओवर फ्लो होने से बांध का पानी नीचे खेतों में पहुंचने लगा, जिससे वहां स्थित सभी खेत जलमग्न हो गए.

पढ़ें. उदयपुर से मां वैष्णो के लिए स्पेशल ट्रेन की शुरुआत, राज्य सरकार कराएगी निःशुल्क यात्रा

क्या है वर्तमान स्थिति

इस संबंध में मंगेराम नाम के किसान ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि वर्तमान में बांध के नीचे स्थित खेत के कुओं में जमीन के लेवल का पानी भर चुका है. उन्होंने बताया कि ऐसी स्थिति में किसान अपने खेतों में न ही हल जोत पा रहा है और न ही किसी भी बीज की बुवाई कर पा रहा है.

पाली. जिले में भारी बारिश होने से किसानों के खेतों में पानी भर चुका है, जिसके कारण किसान परेशान हैं. पानी ज्यादा भर जाने से किसानों के खेतों में दलदल की स्थित पैदा हो गई है. जिससे किसान अगले 6 माह तक खेतों में भरे पानी के चलते सिंचाई नहीं कर पाएंगे.

पाली में भारी बारिश से खेतों में भरा पानी

किसान ने क्या बताया

इस दौरान किसानों ने बताया कि एक समय जिले के सबसे बड़े जवाई बांध से सिंचाई का पानी मांगने के लिए किसानों को आंदोलन की धमकी देनी पड़ती थी, लेकिन वहीं वर्तमान में हेमावास बांध की बात करें तो बांध में पानी ओवर फ्लो हो चुका है. जिससे हेमावास गांव के सैकड़ों किसानों की जमीन अगले 6 माह तक सिंचाई के लिए उपयोगी नहीं होगी. उन्होंने बताया कि वहां दलदल की स्थिति पैदा हो गई है.

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हेमावास बांध 15 दिन में हुआ ओवर फ्लो

बता दें कि इस बार पाली में 29 बार मानसूनी बारिश हुई है. जिसके कारण पाली का हेमावास बांध 15 दिन में ही ओवर फ्लो हो गया था. ओवर फ्लो होने से बांध का पानी नीचे खेतों में पहुंचने लगा, जिससे वहां स्थित सभी खेत जलमग्न हो गए.

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क्या है वर्तमान स्थिति

इस संबंध में मंगेराम नाम के किसान ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि वर्तमान में बांध के नीचे स्थित खेत के कुओं में जमीन के लेवल का पानी भर चुका है. उन्होंने बताया कि ऐसी स्थिति में किसान अपने खेतों में न ही हल जोत पा रहा है और न ही किसी भी बीज की बुवाई कर पा रहा है.

Intro:पाली. पाली में मानसून सीजन में हुई अच्छी बारिश ने किसानों के चेहरे पर रौनक तो ला दी। लेकिन इस रोनक के बाद में भी कई जगह किसानों को इस पानी के दो रूप देखने पड़ रहे हैं। पाली के सबसे बड़े जवाई बांध की बात करें तो यहां से सिंचाई का पानी मांगने के लिए किसानों को आंदोलन तक की धमकियां देनी पड़ी है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ पाली शहर के समीप हेमावास बांध की बात करें तो इसके नीचे बसे हेमावास गांव के सैकड़ों किसानों की हजारों बीघा जमीन अगले 6 माह तक पानी के कारण सिंचाई उपयोगी नहीं रहेगी। ऐसे में जिन किसानों ने अच्छे पानी की आवक को देखते पैदावार की उम्मीद की थी। उनकी उम्मीदों पर पानी फिर चुका है। स्थिति यह है कि किसानों को अपने खेतों तक जाने के लिए भी काफी जतन करने पड़ रहे हैं उनके खेत ज्यादातर दलदल की स्थिति में तब्दील हो चुके हैं।


Body:गौरतलब है कि इस बार पाली के 29 बार मानसून की बारिश के बाद और फ्लो हो गए थे। पाली का हेमावास बांध भी बारिश के 15 दिन बाद ही और फ्लो होकर चादर चलने लग गई थी। यह चादर लगभग 1 माह तक चली थी। इस चादर चलने के साथ ही हेमावास बांध का सीपेज पानी भी नीचे खेतों में पहुंचने लग गया था। स्थिति यह है कि वर्तमान में भी बांध के नीचे स्थित खेतों के कुएं खेत के लेवल के बराबर पानी आ चुका है। ऐसे में ना तो किसान इन खेतों में हल जोत पा रहा है और ना ही इसमें किसी भी बीज की बुवाई कर पा रहा है। कुछ किसानों ने आधुनिक तौर पर इसमें बीज बुवाई की कोशिश भी की। लेकिन उनके हजारों रुपए के बीज भी गलन की समस्या से खत्म हो गए। उसके बाद किसानों ने अब इस पानी को सूखने तक का इंतजार करने की ठान ली ऐसे में किसान अगले छह माह के बाद ही इन खेतों से फसल की उम्मीद कर रहे हैं।

समाचार में समस्याग्रस्त किसान की बाईट है।


Conclusion:
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