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पाली में मनाई तेजा दशमी...कोविड नियमों का किया पालन - covid 19 rules

लोक देवता के रूप में घर-घर में वीर तेजाजी और रामदेव जी की पूजा की जाती है. पाली में हर साल तेजा दशमी पर भव्य मेला भरता है, लेकिन कोरोना काल में इस मेले पर भी असर पड़ा है. बावजूद इसके, कोविड के नियमों को ध्यान में रखते हुए शहर सहित जिलेभर में तेजा दशमी और रामदेव जयंती बड़े धूमधाम से मनाई गई.

Teja Dashami celebrated with pomp
कोविड के नियमों का पालन करते हुए धूमधाम से मनाई तेजा दशमी
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Published : Aug 28, 2020, 4:11 PM IST

पाली. शहर सहित जिलेभर में तेजा दशमी और रामदेव जयंती बड़े धूमधाम से मनाई गई. हालांकि, प्रशासन की ओर से धारा 144 के तहत सभी मंदिरों में भक्तों की भीड़ इकट्ठा होने नहीं दिया गया. धार्मिक स्थलों पर विधि-विधान से पूजा-पाठ होने के बाद में मंदिर के दरवाजे बंद कर दिए गए और जो भी श्रद्धालु आए, उन्हें गेट से ही इन लोक देवताओं के दर्शन करने पड़े. परंपरा अनुसार उम्मेद मिल से भक्त भगवान तेजा महाराज की ध्वजा लेकर ब्यावर की ओर रवाना हुए.

कोविड के नियमों का पालन करते हुए धूमधाम से मनाई तेजा दशमी

बता दें कि तेजा दशमी और रामदेव जयंती को लेकर विभिन्न स्थानों पर बड़े स्तर पर मेले आयोजित होते हैं, लेकिन इस साल भीड़ इकट्ठा होने और भीड़ में कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका को देखते हुए प्रशासन की ओर से 15 अगस्त के बाद से ही जिले में धारा 144 लागू कर दी गई थी. इसके तहत किसी भी प्रकार के धार्मिक आयोजन वाहनों में भीड़ ले जाना और किसी भी प्रकार से जुलूस का आयोजन पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई.

यह भी पढ़ें : कोटा : लोक देवता वीर तेजाजी के थानक पर उमड़ा भक्तों का सैलाब

बता दें कि भादों के महीने में लोक देवता वीर तेजाजी की दशमी का विशेष महत्व होता है. तेजाजी की दशमी के मौके पर लोग घरों में लड्डू बांटी बनाकर थानक पर भोग लगाने पहुंचते हैं. इससे पहले गांव की मंडलियां अलग-अलग गुट बनाकर रात में तेजाजी की गाथाओं का बखान करती है और लोक देवता वीर तेजा की वीर गाथाओं को सुनाते हैं. साथ ही तेजाजी के थानक पर ध्वज भी फहराए जाते हैं, लेकिन इस साल कोरोना महामारी की वजह से इतिहास में पहली बार है जब पाली में तेजाजी का मेला आयोजित नहीं होगा.

पाली. शहर सहित जिलेभर में तेजा दशमी और रामदेव जयंती बड़े धूमधाम से मनाई गई. हालांकि, प्रशासन की ओर से धारा 144 के तहत सभी मंदिरों में भक्तों की भीड़ इकट्ठा होने नहीं दिया गया. धार्मिक स्थलों पर विधि-विधान से पूजा-पाठ होने के बाद में मंदिर के दरवाजे बंद कर दिए गए और जो भी श्रद्धालु आए, उन्हें गेट से ही इन लोक देवताओं के दर्शन करने पड़े. परंपरा अनुसार उम्मेद मिल से भक्त भगवान तेजा महाराज की ध्वजा लेकर ब्यावर की ओर रवाना हुए.

कोविड के नियमों का पालन करते हुए धूमधाम से मनाई तेजा दशमी

बता दें कि तेजा दशमी और रामदेव जयंती को लेकर विभिन्न स्थानों पर बड़े स्तर पर मेले आयोजित होते हैं, लेकिन इस साल भीड़ इकट्ठा होने और भीड़ में कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका को देखते हुए प्रशासन की ओर से 15 अगस्त के बाद से ही जिले में धारा 144 लागू कर दी गई थी. इसके तहत किसी भी प्रकार के धार्मिक आयोजन वाहनों में भीड़ ले जाना और किसी भी प्रकार से जुलूस का आयोजन पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई.

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बता दें कि भादों के महीने में लोक देवता वीर तेजाजी की दशमी का विशेष महत्व होता है. तेजाजी की दशमी के मौके पर लोग घरों में लड्डू बांटी बनाकर थानक पर भोग लगाने पहुंचते हैं. इससे पहले गांव की मंडलियां अलग-अलग गुट बनाकर रात में तेजाजी की गाथाओं का बखान करती है और लोक देवता वीर तेजा की वीर गाथाओं को सुनाते हैं. साथ ही तेजाजी के थानक पर ध्वज भी फहराए जाते हैं, लेकिन इस साल कोरोना महामारी की वजह से इतिहास में पहली बार है जब पाली में तेजाजी का मेला आयोजित नहीं होगा.

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