पाली. जिले का जीवनद कला गांव (Jevanad Kala government school pali) में शिक्षा के स्तर में सुधार और बच्चों को स्कूल तक लाने के लिए अनूठा प्रयोग किया गया है. स्कूल प्रशासन के इस प्रयोग के कारण गांव का यह स्कूल दूर-दूर तक चर्चा का विषय बन गया है. स्कूल के इस प्रयोग से विद्यार्थियों के लिए शिक्षा का सफर आसान होने के साथ उत्साहपूर्ण हो गया है. स्कूल में पढ़ते समय बच्चों को भी लगता है जैसे वे रेल में सफर कर रहे हैं.
जी हां, जिले के जीवनद कला गांव के राजकीय विद्यालय का कायाकल्प हो गया है. खास बात ये है कि स्कूल के भवन को एक रेलगाड़ी का स्वरूप (Jevanad Kala government school train looks) दिया गया है. कक्षाएं भी ऐसी रंगाई-पुताई गई हैं कि मानो बच्चे रेल के डिब्बों में सफर करते हुए पढ़ाई कर रहे हों. कक्षाएं भी ऐसी है कि मानो रेल के कोच हों. स्कूल इस लिए भी चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि यह रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव के पैतृक गांव में स्थापित है.
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दूर दराज से देखने आ रहे लोगः जीवनदकला में राजकीय विद्यालय को रेल का रूप देने से बच्चों में स्कूल आने के प्रति रूझान बढ़ा है. विद्यालय भवन का रंग-रोगन कर उसे रेलगाड़ी जैसा रूप देकर उसे दर्शनीय और मनमोहक बना दिया गया है. ऐसे में स्कूल को देखने के लिए आसपास के गांवों के साथ ही दूरदराज से भी लोग देखने आ रहे हैं.
हाल ही में किया था रेलमंत्री ने दौराः जीवनद कला रेलमंत्री अश्वनी वैष्णव का पैतृक गांव है और हाल ही रेल मंत्री ने पाली का दौरा भी किया था. इस दौरान वहां की व्यवस्थाओं और विकास कार्यों पर भी चर्चा की थी. ऐसे में इस स्कूल का कायाकल्प होना अच्छी खबर है.
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स्कूल बना गांव की पहचानः यूं तो सभी गांवों में स्कूल रहते हैं. लेकिन पाली के जीवनदकला गांव का स्कूल अब उसकी पहचान बन गया है. लोग अब इस गांव को रेल वाले स्कूल के गांव के नाम से भी जानने लगे हैं. गांंव के लोग भी स्कूल को देखकर उत्साहित होते हैं. स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को ऐसा लगता है कि मानो ट्रेन में सफर, करते हुए पढ़ रहे हों.
स्कूल प्रशासन और भामाशाहों का सहयोगः इस स्कूल को निखारने और उसे रेलगाड़ी का स्वरूप देने के लिए जीवनद कला गांव के विद्यालय का विभागीय बजट लगने के साथ ही कई भमाशाहों ने भी सहयोग दिया है. सभी के सहयोग से इस विद्यालय को ट्रेन का रूप दिया जा सका है. इस विद्यालय में लगभग 200 से ज्यादा छात्र-छात्राएं पढ़ने आते हैं.