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पौष्टिक नहीं निकला बैंगनी, हरा और काला गेहूं, विशेषज्ञों ने किया अस्वीकार - गेहूं का गुणवत्ता परीक्षण

पाली में केवीके द्वारा उत्पादित किया गया बैंगनी, काले व हरे रंग का गेहूं केवीके ने अस्वीकार कर दिया है. हाल ही में केवीके द्वारा प्रशिक्षण के तौर पर अपने खेतों में उपजाए इन तीनों रंगों के गेहूं की गुणवत्ता का परीक्षण किया गया. लेकिन इसमें गुणवत्ता काफी कम पाई गई. जिसके चलते केवीके ने सभी किसानों को इन तीनों ही गई गेहूं को अपने खेतों में जाने से मना कर दिया है.

wheat testing by KVK, quality test of wheat
पौष्टिक नहीं निकला बैंगनी, हरा और काला गेहूं
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Published : Mar 31, 2021, 10:41 AM IST

पाली. लोगों की सेहत में इजाफा करने और पौष्टिक भोजन की संख्या बढ़ाने के लिए पाली में पहली बार केवीके द्वारा उत्पादित किया गया बैंगनी, काले व हरे रंग का गेहूं केवीके ने अस्वीकार कर दिया है. हाल ही में केवीके द्वारा प्रशिक्षण के तौर पर अपने खेतों में उपजाए इन तीनों रंगों के गेहूं की गुणवत्ता का परीक्षण किया गया. लेकिन इसमें गुणवत्ता काफी कम पाई गई. जिसके चलते केवीके ने सभी किसानों को इन तीनों ही गई गेहूं को अपने खेतों में जाने से मना कर दिया है.

पौष्टिक नहीं निकला बैंगनी, हरा और काला गेहूं

केवीके के विशेषज्ञों का कहना है कि इन तीनों ही रंग के गेहूं में वह गुणवत्ता नहीं है, जो पुराने समय में हमारे बुजुर्गों द्वारा उत्पादित की गई थी. इसलिए यह तीनों ही रंग के गेहूं लोगों की सेहत के लिए सही नहीं है. केवीके के विशेषज्ञों ने बताया कि हाल ही में केवीके में उगाए गए इन तीनों ही रंग के गेहूं के दानों को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली को भिजवाया गया, लेकिन इन दोनों के परीक्षण के बाद इन्हें सिरे से नकार दिया गया है.

पढ़ें- कोटा: सबसे लंबे 1545 मीटर के फ्लाईओवर शुरू, स्वतंत्रता सेनानी कमला स्वाधीन ने किया लोकार्पण

इन सभी दानों में कई रोगों का प्रकोप भी पाया गया है. साथ ही परंपरागत गेहूं में आने वाले प्रोटीन, फैट, कार्बोहाइड्रेट, शुगर व विटामिन के प्रतिशत काफी कम मिले हैं. इसके साथ ही इनका उत्पादन भी प्रति हेक्टेयर काफी कम नजर आया है.

पाली केवीके के कृषि विशेषज्ञों ने बताया कि इन तीनों ही किस्म की गेहूं को उगाने के बाद उनका लगातार परीक्षण किया जा रहा था. इन गेहूं में परंपरागत गेहूं की तुलना में पौष्टिकता काफी कम पाई गई है. परंपरागत गेहूं में 12.6 प्रतिशत प्रोटीन, 2 प्रतिशत फैट, 68.5 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 1. 7 प्रतिशत शुगर व 0.6 प्रतिशत विटामिन पाया जाता है, लेकिन काले, बैंगनी और हरे रंग के गेहूं की पौष्टिकता तो सामान्य गेहूं की की तुलना में काफी कम है.

पाली. लोगों की सेहत में इजाफा करने और पौष्टिक भोजन की संख्या बढ़ाने के लिए पाली में पहली बार केवीके द्वारा उत्पादित किया गया बैंगनी, काले व हरे रंग का गेहूं केवीके ने अस्वीकार कर दिया है. हाल ही में केवीके द्वारा प्रशिक्षण के तौर पर अपने खेतों में उपजाए इन तीनों रंगों के गेहूं की गुणवत्ता का परीक्षण किया गया. लेकिन इसमें गुणवत्ता काफी कम पाई गई. जिसके चलते केवीके ने सभी किसानों को इन तीनों ही गई गेहूं को अपने खेतों में जाने से मना कर दिया है.

पौष्टिक नहीं निकला बैंगनी, हरा और काला गेहूं

केवीके के विशेषज्ञों का कहना है कि इन तीनों ही रंग के गेहूं में वह गुणवत्ता नहीं है, जो पुराने समय में हमारे बुजुर्गों द्वारा उत्पादित की गई थी. इसलिए यह तीनों ही रंग के गेहूं लोगों की सेहत के लिए सही नहीं है. केवीके के विशेषज्ञों ने बताया कि हाल ही में केवीके में उगाए गए इन तीनों ही रंग के गेहूं के दानों को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली को भिजवाया गया, लेकिन इन दोनों के परीक्षण के बाद इन्हें सिरे से नकार दिया गया है.

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इन सभी दानों में कई रोगों का प्रकोप भी पाया गया है. साथ ही परंपरागत गेहूं में आने वाले प्रोटीन, फैट, कार्बोहाइड्रेट, शुगर व विटामिन के प्रतिशत काफी कम मिले हैं. इसके साथ ही इनका उत्पादन भी प्रति हेक्टेयर काफी कम नजर आया है.

पाली केवीके के कृषि विशेषज्ञों ने बताया कि इन तीनों ही किस्म की गेहूं को उगाने के बाद उनका लगातार परीक्षण किया जा रहा था. इन गेहूं में परंपरागत गेहूं की तुलना में पौष्टिकता काफी कम पाई गई है. परंपरागत गेहूं में 12.6 प्रतिशत प्रोटीन, 2 प्रतिशत फैट, 68.5 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 1. 7 प्रतिशत शुगर व 0.6 प्रतिशत विटामिन पाया जाता है, लेकिन काले, बैंगनी और हरे रंग के गेहूं की पौष्टिकता तो सामान्य गेहूं की की तुलना में काफी कम है.

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