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पाली में आधारभूत सुविधाओं का टोटा...चुनावी मुद्दे को लेकर लोगों ने क्या कहा खुद सुनिए

आज भी जिले में आधारभूत सुविधाओं का टोटा है. वहीं जिले में  पेयजल, बेरोजगारी, क्षतिग्रस्त सड़कें जैसी समस्याएं आज सता रही है.

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Published : Apr 15, 2019, 1:34 PM IST

जिले में आज भी आधारभूत सुविधाओं का टोटा.

पाली. जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव करीब आते जा रहे हैं. वैसे-वैसे चुनावी चहल कदमी बढ़ती जा रही है. वहीं जिले की जनता के बीच चुनावी चर्चा चल रही है. ऐसे में जब ईटीवी भारत की टीम ने जिले की जनता से चुनावी मुद्दों को लेकर बात की तो हर किसी ने मतदाता के रूप में अपनी समस्याएं बताई.

लोगों ने बताया कि आज भी जिले में आधारभूत सुविधाओं का टोटा है. वहीं जिले में पेयजल, बेरोजगारी, क्षतिग्रस्त सड़कें जैसी समस्याएं आज भी सता रही है. वहीं जिले की सबसे बड़ी समस्या प्रदूषण की है, जो पाली शहर सहित आसपास के गांवों को प्रभावित कर रहा है.

जिले में आज भी आधारभूत सुविधाओं का टोटा.

वहीं दूसरी ओर जिले में पेयजल का संकट हर समय गहराता जा रहा है. जबकि औसत से कम बारिश होने पर जिले के लोगों को ट्रेनों के माध्यम से पेयजल लाना पड़ता है. साथ ही गर्मी के समय 4 से 5 दिन के अंतराल में नलों में पानी सप्लाई कि जाती है.

इस संकट को दूर करने के लिए जनप्रतिनिधियों ने पाली के पेयजल स्रोत जवाई बांध की भरण क्षमता बढ़ाने व वहां पर हर समय पानी उपलब्ध रहने के लिए जवाई पुनर्भरण योजना को शुरू किया, लेकिन जनता के बीच इस योजना को धरातल पर नहीं पहुंचाया जा सका. इस कारण आज भी पाली की जनता पेयजल के संकट से जुझ रही है.

पाली. जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव करीब आते जा रहे हैं. वैसे-वैसे चुनावी चहल कदमी बढ़ती जा रही है. वहीं जिले की जनता के बीच चुनावी चर्चा चल रही है. ऐसे में जब ईटीवी भारत की टीम ने जिले की जनता से चुनावी मुद्दों को लेकर बात की तो हर किसी ने मतदाता के रूप में अपनी समस्याएं बताई.

लोगों ने बताया कि आज भी जिले में आधारभूत सुविधाओं का टोटा है. वहीं जिले में पेयजल, बेरोजगारी, क्षतिग्रस्त सड़कें जैसी समस्याएं आज भी सता रही है. वहीं जिले की सबसे बड़ी समस्या प्रदूषण की है, जो पाली शहर सहित आसपास के गांवों को प्रभावित कर रहा है.

जिले में आज भी आधारभूत सुविधाओं का टोटा.

वहीं दूसरी ओर जिले में पेयजल का संकट हर समय गहराता जा रहा है. जबकि औसत से कम बारिश होने पर जिले के लोगों को ट्रेनों के माध्यम से पेयजल लाना पड़ता है. साथ ही गर्मी के समय 4 से 5 दिन के अंतराल में नलों में पानी सप्लाई कि जाती है.

इस संकट को दूर करने के लिए जनप्रतिनिधियों ने पाली के पेयजल स्रोत जवाई बांध की भरण क्षमता बढ़ाने व वहां पर हर समय पानी उपलब्ध रहने के लिए जवाई पुनर्भरण योजना को शुरू किया, लेकिन जनता के बीच इस योजना को धरातल पर नहीं पहुंचाया जा सका. इस कारण आज भी पाली की जनता पेयजल के संकट से जुझ रही है.

Intro:पाली. लोकसभा चुनाव की चहल-पहल तेज हो चुकी है। पाली में भी जनता अब तक हुए चुनाव का बहीखाता अपनी चाय की चौपाल और दोस्तों के बीच करने लग गई है। जनता ने पाली में कई चुनाव देख लिए है। जिन समस्याओं के हल करने का दावा लेकर जन प्रतिनिधि जनता के बीच में जाते हैं। उन समस्याओं की बात करें तो आज भी उन समस्याओं का हल किसी भी सरकार द्वारा नहीं निकाला जा सका है। आज भी पाली में आधारभूत सुविधाओं का जनता के बीच टोटा ही है। मोटे तौर पर बात करें तो पाली में प्रदूषण, पेयजल, बेरोजगारी, क्षतिग्रस्त सड़कें जैसी समस्याएं जनता को आज भी सता रही है।


Body:लोकसभा चुनाव 2019 का बिगुल एक बार फिर बच चुका है। फिर से राजनीति के चेहरे जनता के बीच में जाकर जनता की समस्याओं को खत्म करने का दावा कर रहे हैं। ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने भी जनता की समस्याओं की जानकारी जुटाने के लिए जनता के बीच गई। जनता ने एक मतदाता के रूप में हर समस्या को बताया। जिन्हें प्रतिदिन उन्हें देखना पड़ रहा है। सबसे बड़ी समस्या की बात करें तो पाली की प्रदूषण की समस्या पाली शहर सहित आसपास के गांवों को प्रभावित कर रही है। यहां पर ढाई सौ से ज्यादा कपड़ा इकाई संचालित हो रही है। इससे निकलने वाला रसायनयुक्त रंगीन पानी बिना ट्रीट किए सीधा बांडी नदी में छोड़ा जा रहा है। जिससे बांडी नदी के किनारे बसे 30 से ज्यादा गांव की जमीन खेत बंजर हो चुके हैं। बंजर होती जमीन को देख किसानों ने एनजीटी में मामला दर्ज कराया। मामला दर्ज होने के बाद में एनजीटी ने अपना सख्त रवैया अपनाते हुए कपड़ा इकाइयों के संचालन को लंबे समय तक बंद कर दिया। लगातार बढ़ती सख्ती के चलते पाली के कपड़ा उधमी इकाइयों को बंद कर अब दूसरे शहरों में पलायन कर रहे हैं। पाली में इन कपड़ा इकाइयों के भरोसे पाली बसे हजारों संख्या में श्रमिक बेरोजगार हो चुके हैं। अब उन्हें दो वक्त की रोटी के लिए भी छोटी मोटी मजदूरी करनी पड़ रही है।


Conclusion:कोई दूसरी बड़ी समस्या की बात करें तो पाली में पेयजल का संकट हर समय गहरा रहता है। और औसत से कम बारिश होने पर पाली में ट्रेनों के माध्यम से पेयजल लाना पड़ता है। और गर्मी के समय 4 से 5 दिन के अंतराल में लोगों के नलों में पानी सप्लाई किया जाता है। इस संकट को दूर करने के लिए जनप्रतिनिधियों ने पाली के पेयजल स्रोत जवाई बांध की भरण क्षमता बढ़ाने व वहां पर हर समय पानी उपलब्ध रहने के लिए जवाई पुनर्भरण योजना को शुरू तो किया। लेकिन जनता के बीच इस योजना को धरातल पर नहीं पहुंचाया जा सका। इस कारण आज भी पाली की जनता पेयजल के संकट से त्रस्त।
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