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नागौर में चल रहा मंगलामुखी किन्नरों का सम्मेलन... लोगों को परेशान करना हमारा काम नहीं

घर के मांगलिक कार्यों के दौरान किन्नरों का आना और उनका आशीर्वाद देना बड़ा अच्छा माना जाता है. लेकिन कई बार रास्तों में मिलने वाले कुछ किन्नरों के रवैए से लोग परेशान भी हो जाते हैं. ऐसे किन्नरों को मंगलामुखी समाज के किन्नर खुद से काफी अलग मानते हैं.

नागौर में मंगलामुखी किन्नर समाज का सम्मेलन
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Published : Apr 7, 2019, 3:25 PM IST

नागौर. जिले में मंगलामुखी किन्नर समाज का सम्मेलन चल रहा है, जिसमें देशभर के किन्नर शामिल हुए. इस दौरान जब अजमेर से आई गद्दीनशीन सलोनी बाई से जब परेशान करने वाले किन्नरों को लेकर सवाल किया गया ततो उन्होंने कहा कि ऐसे किन्नर अलग होते हैं. उनके मुताबिक ट्रेनों, ट्रैफिक सिग्नल और अन्य सार्वजनिक जगहों पर रुपए मांगने वालो, रात को सड़क पर घूमने वाले किन्नर और लोगों को परेशान करने वाले किन्नर मंगलामुखी नहीं नहीं होते.

किन्नर समाज की अजमेर हवेली की गद्दीनशीन सलोनी बाई का कहना है कि मंगलामुखी किन्नर वो होते हैं, जो किसी के मांगलिक कार्य मसलन शादी, लड़का होने और मकान बनने पर उनके घर बधाई लेकर जाते हैं. वहां से बधाई के रूप में मिलने वाले रुपए उनकी आजीविका का मुख्य स्रोत होते हैं. ट्रेन या अन्य सार्वजनिक जगहों पर रुपए मांगने वाले और लोगों को परेशान करने वाले किन्नरों से इनका कोई संबंध नहीं होता है. उनका तो ये भी कहना है कि ऐसे किन्नर इस समुदाय के नाम पर कलंक होते हैं.

नागौर में मंगलामुखी किन्नर समाज का सम्मेलन

सलोनी बाई का कहना है कि नागौर में जो सम्मेलन चल रहा है. ऐसे ही सम्मेलन देश के अलग-अलग हिस्सों में समय-समय पर होते रहते हैं, जिनमें किन्नर समाज के नियम कायदों की समीक्षा होती है. पुराने हो चुके या समाज के लिए गलतफहमी फैलाने वाले नियमों को इन्हीं सम्मेलनों में बदला भी जाता है. इसके लिए बाकायदा पंचायत बैठती है. बुजुर्ग किन्नर समाज के लिए नियम तय करते हैं, जिनका पालन इस समाज से जुड़े सभी किन्नरों को करना होता है.

नागौर. जिले में मंगलामुखी किन्नर समाज का सम्मेलन चल रहा है, जिसमें देशभर के किन्नर शामिल हुए. इस दौरान जब अजमेर से आई गद्दीनशीन सलोनी बाई से जब परेशान करने वाले किन्नरों को लेकर सवाल किया गया ततो उन्होंने कहा कि ऐसे किन्नर अलग होते हैं. उनके मुताबिक ट्रेनों, ट्रैफिक सिग्नल और अन्य सार्वजनिक जगहों पर रुपए मांगने वालो, रात को सड़क पर घूमने वाले किन्नर और लोगों को परेशान करने वाले किन्नर मंगलामुखी नहीं नहीं होते.

किन्नर समाज की अजमेर हवेली की गद्दीनशीन सलोनी बाई का कहना है कि मंगलामुखी किन्नर वो होते हैं, जो किसी के मांगलिक कार्य मसलन शादी, लड़का होने और मकान बनने पर उनके घर बधाई लेकर जाते हैं. वहां से बधाई के रूप में मिलने वाले रुपए उनकी आजीविका का मुख्य स्रोत होते हैं. ट्रेन या अन्य सार्वजनिक जगहों पर रुपए मांगने वाले और लोगों को परेशान करने वाले किन्नरों से इनका कोई संबंध नहीं होता है. उनका तो ये भी कहना है कि ऐसे किन्नर इस समुदाय के नाम पर कलंक होते हैं.

नागौर में मंगलामुखी किन्नर समाज का सम्मेलन

सलोनी बाई का कहना है कि नागौर में जो सम्मेलन चल रहा है. ऐसे ही सम्मेलन देश के अलग-अलग हिस्सों में समय-समय पर होते रहते हैं, जिनमें किन्नर समाज के नियम कायदों की समीक्षा होती है. पुराने हो चुके या समाज के लिए गलतफहमी फैलाने वाले नियमों को इन्हीं सम्मेलनों में बदला भी जाता है. इसके लिए बाकायदा पंचायत बैठती है. बुजुर्ग किन्नर समाज के लिए नियम तय करते हैं, जिनका पालन इस समाज से जुड़े सभी किन्नरों को करना होता है.

Intro:नागौर. किन्नर शब्द सुनते ही समाज के बड़े तबके के दिमाग में अचानक से कई सवाल कौंधते हैं। आमतौर पर लोग अपने या अपने आसपास के लोगों के घर होने वाले मांगलिक कार्यों के मौके पर किन्नरों को देखते हैं। जबकि, ट्रेनों में सफर के दौरान रुपए मांगते और नहीं देने पर लोगों से बदसलूकी करते हुए भी कई बार किन्नरों को आपने देखा होगा। क्या अंतर होता है इन दोनों तरह के किन्नरों में। इस सवाल के जवाब में अजमेर से आई गद्दीनशीन सलोनी बाई ने कई खुलासे किए। उनका कहना है कि ट्रेनों, ट्रैफिक सिग्नल और अन्य सार्वजनिक जगहों पर रुपए मांगने और लोगों को परेशान करने वाले, रात को सड़क पर घूमने वाले किन्नर किस तरह से उन किन्नरों से अलग हैं। जिन्हें आप मांगलिक कार्यों पर देखते हैं। आपको बता दें कि नागौर में मंगलामुखी किन्नर समाज का सम्मेलन चल रहा है। जिसमें देशभर के किन्नर आए हुए हैं।


Body:किन्नर समाज की अजमेर हवेली की गद्दीनशीन सलोनी बाई का कहना है कि मंगलामुखी किन्नर वे हैं जो किसी के मांगलिक कार्य मसलन शादी, लड़का होने और मकान बनने पर उनके घर बधाई लेकर जाते हैं। वहां से बधाई के रूप में मिलने वाले रुपए उनकी आजीविका का मुख्य स्रोत होते हैं। ट्रैन या अन्य सार्वजनिक जगहों पर रुपए मांगने वाले और लोगों को परेशान करने वाले किन्नरों से इनका कोई संबंध नहीं होता है। उनका तो यह भी कहना है कि ऐसे किन्नर इस समुदाय के नाम पर कलंक होते हैं।

बुजुर्ग किन्नर बनाते हैं समाज के नियम कायदे, सबको करना होता है पालन
सलोनी बाई का कहना है कि नागौर में जो सम्मेलन चल रहा है। ऐसे ही सम्मेलन देश के अलग-अलग हिस्सों में समय-समय पर होते रहते हैं। जिनमें किन्नर समाज के नियम कायदों की समीक्षा होती है। पुराने हो चुके या समाज के लिए गलतफहमी फैलाने वाले नियमों को इन्हीं सम्मेलनों में बदला भी जाता है। इसके लिए बाकायदा पंचायत बैठती है। बुजुर्ग किन्नर समाज के लिए नियम तय करते हैं। जिनका पालन इस समाज से जुड़े सभी किन्नरों को करना होता है।
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बाइट - सलोनी बाई, अजमेर गद्दीनशीन।


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