नागौर. जिले में लावारिस और बेसहारा गोवंश के चलते हुए हादसों में कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. गहलोत सरकार की ओर से हादसों को रोकने और लावारिस व बेसहारा गोवंश को सहारा देने के लिए नंदीशाला योजना की शुरुआत की गई थी, लेकिन नागौर जिले में 2 साल बीत जाने के बाद भी यह योजना मूर्त रूप नहीं ले पाई है.
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हालांकि, अब नागौर के लिए सरकार की ओर से बजट आवंटित हुआ है. नागौर के चूंटीसरा में नंदीशाला का निर्माण कार्य शुरू होने की बात कही जा रही है. बजट घोषणा के करीब एक साल बाद भी नागौर जिले में नंदी गौशाला नहीं खुल पाई. बता दें कि पहले नंदीशाला सींगड़ में बनाया जाना था, लेकिन उसका निर्माण अब तक नहीं हो सका. अब वास्तविक स्थिति यह है कि कागजी खानापूर्ति के बीच ग्रामीण क्षेत्रों में लावारिस घूमने वाले गोवंश आमजन के साथ-साथ किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है.
जानकारी के अनुसार शहर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में गोवंशों की बढ़ती संख्या की वजह से वर्ष 2018-19 के बजट में प्रत्येक जिले में एक औक नागौर जिले में दो जगह नंदी गोशाला खोलने की घोषणा की गई थी. यह घोषणाएं केवल कागजी बनकर रह गई. वर्तमान में नागौर की स्थिति यह है कि सरकारी सहायता लेने वाली गोशालाएं नंदी को गौशाला में रखने से साफ इंकार कर देती है. ऐसे में नंदी गौशाला खोलने की आवश्यकता होने के बाद भी गौशाला समय पर नहीं खुल पाई.
राज्य के गोपालन विभाग की ओर से 7 जून 2020 को जारी परिपत्र के अनुसार कोई भी संस्था या पंजीकृत गोशाला नंदी गौशाला के लिए आवेदन कर सकती थी. कुछ संस्थाओं ने दिलचस्पी दिखाई भी थी, लेकिन बात नहीं बनी. वहीं, अब बजट स्वीकृत हो जाने के बाद नंदी गौशाला में 500 या 500 से अधिक नंदी को रखा जा सकेगा. इसके लिए खुद की जमीन या फिर सक्षम स्तर से स्वीकृति प्राप्त लीज की भूमि उपलब्ध होने पर 50 लाख तक का अनुदान दिया जाएगा.
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि पशुपालन विभाग के जिम्मेदारों की ओर से इस संबंध में कोई सकारात्मक प्रयास नहीं किया गयाा. इसके कारण नंदीशाला पहले सींगड़ में खुलना था जो ठंडे बस्ते में चले गया. इसके बाद रूण के प्रस्ताव बनाकर भेजे गए थे, लेकिन वो भी निरस्त हो गए.
वहीं, एक बार फिर नागौर की चूटीसरा की श्रीराम गौशाला को नंदीशाला के चयनित किया गया है और इसके लिए सरकार की ओर से बजट आवंटन किया गया है. नंदी गौशाला के निर्माण के लिए कार्यकारी एजेंसी PWD को बनाया गया है.