नागौर. गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर किए गए पद्म पुरुस्कारों की घोषणा के तहत नागौर के हिम्मतराम भांभू को पद्मश्री से नवाजा जाएगा. हिम्मतराम को ये पुरस्कार पर्यावरण संरक्षण के लिए किए जा रहे अदभुत कार्य के लिए दिया जा रहा है. 69 साल के हिम्मतराम के इस सेवाभावी कार्य को दिखाते हुए सबसे पहले ईटीवी भारत ने उनका इंटरव्यू किया था. जिसमें उन्होंने पर्यावरण के प्रति अपने लगाव और प्यार के बारे में खुलकर बात की.
साल 1975 में 19 साल की उम्र में दादी के कहने पर पीपल का पौधा लगाकर पर्यावरण संरक्षण का बीज रोपने वाले नागौर के हिम्मताराम आज 69 साल की उम्र में भी जीव रक्षा और पर्यावरण संरक्षण का काम कर रहे हैं. हाल में उन्हें राष्ट्रपति ने बुलाया और पर्यावरण संरक्षण पर चर्चा की थी. नागौर में सुखवासी गांव के हिम्मताराम भाम्भू ने 3 जनवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति भवन में पर्यावरण संरक्षण, जीव रक्षा और जनसंख्या नियंत्रण जैसे ज्वलंत मुद्दों पर अपने विचार बताए.
ईटीवी भारत से साझा किए अनुभव
दिल्ली से लौटकर हिम्मताराम ने ईटीवी भारत से अपने अनुभव साझा किए और कहा, कि मूक पशु-पक्षियों के लिए की गई, उनकी सेवा का ही फल है, कि उन्हें देश के प्रथम नागरिक से ना केवल देश बल्कि विश्व के ज्वलंत मुद्दों पर अपनी बात रखने का अवसर मिला.
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19 साल की उम्र में लगाया पहला पीपल का पौधा
हिम्मताराम भाम्भू ने 1975 में 19 साल की उम्र में अपनी दादी के कहने पर पैतृक गांव सुखवासी में पीपल का पौधा रोपकर उसकी नियमित देखभाल की तो उनके मन में पर्यावरण संरक्षण और जीव रक्षा का बीज अंकुरित हुआ. उनके हाथ से लगा पीपल का पौधा आज विशाल पेड़ बन चुका है. इसके साथ ही मन में फूटा पर्यावरण संरक्षण का बीज भी आज विशाल वट वृक्ष बन चुका है.
6 हैक्टेयर जमीन खरीद कर लगाए 11 हजार पौधे
उन्होंने अपनी खुद की जमीन पर 6 हैक्टेयर में 11 हजार पौधे लगाकर हरिमा गांव के धोरों में वन भी तैयार किया हुआ है. जहां हजारों पक्षियों का बसेरा है. इसे पर्यावरण प्रशिक्षण केंद्र नाम दिया गया है. हिम्मताराम को पिछले दिनों राष्ट्रपति भवन से बुलावा आया तो उन्होंने 3 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में देश के प्रथम नागरिक रामनाथ कोविंद से मुलाकात की और पर्यावरण संरक्षण व जीव रक्षा के विषय पर भविष्य की रूपरेखा बताई. हिम्मताराम भाम्भू का कहना है, कि अब उनका लक्ष्य 2030 तक 2 लाख पौधे लगाकर उन्हें पेड़ बनाना है. साथ ही देश को प्लास्टिक मुक्त करने के लिए भी अभियान चलाना है.