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नागौर: टिड्डी दल का एक बार फिर हुआ हमला, किसान वर्ग चिंतित

नागौर के मकराना में एक तरफ जहां खेतों में फसले बोई जा चुकी है, वहीं दूसरी ओर हर एक दो दिन बाद क्षेत्र में लगातार छोटे और बड़े टिड्डियों के दल का आवागमन जारी है. गुरुवार को बूडसू सहित आसपास के कई गांवो में टिड्डी दल का हमला हुआ, जिससे किसान काफी परेशान है.

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किसान वर्ग चिंतित
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Published : Jul 16, 2020, 8:44 PM IST

मकराना (नागौर). जिले के मकराना क्षेत्र में एक के बाद एक लगातार टिड्डियों का हमला जारी है. कभी टिड्डियों के छोटे समूह तो कभी बड़े समूहों के द्वारा लगातार आवागमन से अब खेतों में बोई गई फसल के नुकसान की संभावना को देखते हुए किसान वर्ग काफी चिंतित नजर आ रहा है. गुरुवार को एक बार फिर बूडसू और आसपास के कई गांवों में टिड्डियों के बड़े दल का आगमन हुआ.

इतने बड़े टिड्डी समूह को देखकर किसानों ने अपने स्तर पर बचाव का प्रयास किया. उन्होंने खेतों में जाकर लगातार थाली, टीन और अन्य बर्तंन बजाकर टिड्डियों को भगाने का प्रयास किया. बुधवार रात्रि निकटवर्ती गांव रसाल और रूपपुरा में टिड्डी दल के ठहराव पर क्रषि विभाग द्वारा केमिकल का छिड़काव कर बडी संख्या में टिड्डियों का खात्मा किया गया. इस दौरान केमिकल के छिड़काव के बाद बड़ी संख्या में टिड्डियों के दो बड़े दलों ने नजदीकी गांव बरवाली, बूडसू और भरनाई होते हुए आगे की ओर रूख किया.

टिड्डी दल का एक बार फिर हुआ हमला

पढ़ेंः जयपुर: वर्चुअल बैठक में केंद्र सरकार की योजनाओं पर हुआ मंथन

हालांकि इस दौरान कृषि विभाग द्वारा टिड्डी दल की लगातार लोकेशन ट्रेस कर सोशल मिडिया के माध्यम से ग्रामीणों को जानकारी देकर टिड्डियों को भगाते रहने की हिदायत दी जा रही है. गुरुवार सुबह ही बरवाली, बूडसू, भरनाई, नांदौली बास और चांदावता सहित आसपास के कई गांवो में टिड्डियों के हमले से लोगों ने खेतो में मोर्चा संभालते हुए थाली, पीपे, तगारी आदि जो कुछ भी हाथ लगा उसको बजा कर टिड्डियों को खदेड़ा.

टिड्डियों पर केमिकल छिड़काव करने के बाद बड़ी संख्या में घायल हुई टिड्डियों ने दम तोड़ दिया, पर टिड्डियों ने खेतों में घुसकर फसलों को भी बहुत नुकसान पहुंचाया. क्षेत्र के खेतों में बोई गई फसलों के संभावित नुकसान को देखते हुए अब किसानों को भी चिंता खाए जा रही है.

पढ़ेंः चार दिन से नहीं उठा कचरा...सत्ता बचाने के लिए कांग्रेस रिसोर्ट पॉलिटिक्स में व्यस्त-कालीचरण सर्राफ

बूडसू में कार्यरत कृषि विभाग के राजेन्द्र पारीक ने बताया कि गुरुवार को आए टिड्डी दल में सभी टिड्डियां हरे रंग की बजाय पीले रंग की थी. इस कारण टिड्डियों को थोड़ी सी नमी मिलते ही इनके प्रजनन प्रक्रिया की भी पूरी संभावना है. ऐसे में किसान टिड्डीयों को हर हाल में खेतों से खदेड़ते रहे. इन्हें किसी भी हालत में खेत में बैठने या ठहराव नहीं करने दे.

मकराना (नागौर). जिले के मकराना क्षेत्र में एक के बाद एक लगातार टिड्डियों का हमला जारी है. कभी टिड्डियों के छोटे समूह तो कभी बड़े समूहों के द्वारा लगातार आवागमन से अब खेतों में बोई गई फसल के नुकसान की संभावना को देखते हुए किसान वर्ग काफी चिंतित नजर आ रहा है. गुरुवार को एक बार फिर बूडसू और आसपास के कई गांवों में टिड्डियों के बड़े दल का आगमन हुआ.

इतने बड़े टिड्डी समूह को देखकर किसानों ने अपने स्तर पर बचाव का प्रयास किया. उन्होंने खेतों में जाकर लगातार थाली, टीन और अन्य बर्तंन बजाकर टिड्डियों को भगाने का प्रयास किया. बुधवार रात्रि निकटवर्ती गांव रसाल और रूपपुरा में टिड्डी दल के ठहराव पर क्रषि विभाग द्वारा केमिकल का छिड़काव कर बडी संख्या में टिड्डियों का खात्मा किया गया. इस दौरान केमिकल के छिड़काव के बाद बड़ी संख्या में टिड्डियों के दो बड़े दलों ने नजदीकी गांव बरवाली, बूडसू और भरनाई होते हुए आगे की ओर रूख किया.

टिड्डी दल का एक बार फिर हुआ हमला

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हालांकि इस दौरान कृषि विभाग द्वारा टिड्डी दल की लगातार लोकेशन ट्रेस कर सोशल मिडिया के माध्यम से ग्रामीणों को जानकारी देकर टिड्डियों को भगाते रहने की हिदायत दी जा रही है. गुरुवार सुबह ही बरवाली, बूडसू, भरनाई, नांदौली बास और चांदावता सहित आसपास के कई गांवो में टिड्डियों के हमले से लोगों ने खेतो में मोर्चा संभालते हुए थाली, पीपे, तगारी आदि जो कुछ भी हाथ लगा उसको बजा कर टिड्डियों को खदेड़ा.

टिड्डियों पर केमिकल छिड़काव करने के बाद बड़ी संख्या में घायल हुई टिड्डियों ने दम तोड़ दिया, पर टिड्डियों ने खेतों में घुसकर फसलों को भी बहुत नुकसान पहुंचाया. क्षेत्र के खेतों में बोई गई फसलों के संभावित नुकसान को देखते हुए अब किसानों को भी चिंता खाए जा रही है.

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बूडसू में कार्यरत कृषि विभाग के राजेन्द्र पारीक ने बताया कि गुरुवार को आए टिड्डी दल में सभी टिड्डियां हरे रंग की बजाय पीले रंग की थी. इस कारण टिड्डियों को थोड़ी सी नमी मिलते ही इनके प्रजनन प्रक्रिया की भी पूरी संभावना है. ऐसे में किसान टिड्डीयों को हर हाल में खेतों से खदेड़ते रहे. इन्हें किसी भी हालत में खेत में बैठने या ठहराव नहीं करने दे.

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