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नागौर के सनख्वास और पांचौड़ी को पंचायत समिति बनाने की उठी मांग

राजस्थान के चार मरुस्थलीय जिलों बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर और बीकानेर की तर्ज पर नागौर के खींवसर क्षेत्र में नई पंचायत समिति और ग्राम पंचायतों के गठन की मांग उठी है. इसके साथ ही पीने के लिए नहरी पानी और 24 घंटे बिजली आपूर्ति की मांग भी जोर पकड़ रही है.

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Published : Jun 26, 2019, 5:41 PM IST

सनख्वास और पांचौड़ी को पंचायत समिति बनाने की मांग

नागौर. मरुस्थलीय नियमों के आधार पर नागौर के खींवसर इलाके में संखवास और पांचौड़ी को नई पंचायत समिति बनाने की मांग की जा रही है. यहां 4000 से 6500 की आबादी के आधार पर पंचायत के परिसीमन को गलत बताते हुए 2500 से 4000 की आबादी पर ही पंचायतों का गठन करने की मांग उठी है.

सनख्वास और पांचौड़ी को पंचायत समिति बनाने की मांग

इसके लिए सामाजिक कार्यकर्ता दुर्ग सिंह खींवसर के नेतृत्व में कई अन्य लोग कलेक्टर से मिले और ज्ञापन दिया. उन्होंने कहा कि खींवसर क्षेत्र में मरुस्थलीय नियमों के आधार पर 2500-4000 की आबादी पर पंचायतों का गठन हो और दो नई पंचायत समितियों का गठन किया जाए. इसके साथ ही कम आबादी के गांवों और ढाणियों में नहर का मीठा पानी पहुंचाने की योजना बनाने और 24 घंटे बिजली देने की भी मांग उठाई है.

उनका कहना है कि सरकार ने बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर और बीकानेर को मरुस्थलीय जिलों का दर्जा दे रखा है. नागौर और चूरू भी भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से मरुस्थलीय इलाके हैं, लेकिन यहां सामान्य नियम लागू होने से विकास की राशि जनता को पर्याप्त नहीं मिल पाती है. इसी के कारण विकास की दृष्टि से नागौर और खींवसर पिछड़ रहे हैं.

नागौर. मरुस्थलीय नियमों के आधार पर नागौर के खींवसर इलाके में संखवास और पांचौड़ी को नई पंचायत समिति बनाने की मांग की जा रही है. यहां 4000 से 6500 की आबादी के आधार पर पंचायत के परिसीमन को गलत बताते हुए 2500 से 4000 की आबादी पर ही पंचायतों का गठन करने की मांग उठी है.

सनख्वास और पांचौड़ी को पंचायत समिति बनाने की मांग

इसके लिए सामाजिक कार्यकर्ता दुर्ग सिंह खींवसर के नेतृत्व में कई अन्य लोग कलेक्टर से मिले और ज्ञापन दिया. उन्होंने कहा कि खींवसर क्षेत्र में मरुस्थलीय नियमों के आधार पर 2500-4000 की आबादी पर पंचायतों का गठन हो और दो नई पंचायत समितियों का गठन किया जाए. इसके साथ ही कम आबादी के गांवों और ढाणियों में नहर का मीठा पानी पहुंचाने की योजना बनाने और 24 घंटे बिजली देने की भी मांग उठाई है.

उनका कहना है कि सरकार ने बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर और बीकानेर को मरुस्थलीय जिलों का दर्जा दे रखा है. नागौर और चूरू भी भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से मरुस्थलीय इलाके हैं, लेकिन यहां सामान्य नियम लागू होने से विकास की राशि जनता को पर्याप्त नहीं मिल पाती है. इसी के कारण विकास की दृष्टि से नागौर और खींवसर पिछड़ रहे हैं.

Intro:राजस्थान के चार मरुस्थलीय जिलों बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर और बीकानेर की तर्ज पर नागौर के खींवसर क्षेत्र में नई पंचायत समिति और ग्राम पंचायतों के गठन की मांग उठी है। इसके साथ ही पीने के लिए नहरी पानी और 24 घंटे बिजली आपूर्ति की मांग भी जोर पकड़ रही है।


Body:नागौर. मरुस्थलीय नियमों के आधार पर नागौर के खींवसर इलाके में संखवास और पांचौड़ी को नई पंचायत समिति बनाने की मांग की जा रही है। यहां 4000 से 6500 की आबादी के आधार पर पंचायत के परिसीमन को गलत बताते हुए 2500 से 4000 की आबादी पर ही पंचायतों का गठन करने की मांग उठी है। इसके लिए सामाजिक कार्यकर्ता दुर्ग सिंह खींवसर के नेतृत्व में कई अन्य लोग कलेक्टर से मिले और ज्ञापन दिया। उन्होंने कहा कि खींवसर क्षेत्र में मरुस्थलीय नियमों के आधार पर 2500-4000 की आबादी पर पंचायतों का गठन हो और दो नई पंचायत समितियों का गठन किया जाए। इसके साथ ही कम आबादी के गांवों और ढाणियों में नहर का मीठा पानी पहुंचाने की योजना बनाने और 24 घंटे बिजली देने की भी मांग उठाई है।


Conclusion:उनका कहना है कि सरकार ने बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर और बीकानेर को मरुस्थलीय जिलों का दर्जा दे रखा है। नागौर और चुरू भी भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से मरुस्थलीय इलाके।हैं। लेकिन यहां सामान्य नियम लागू होने से विकास की राशि जनता को पर्याप्त नहीं मिल पाती है। इसी के कारण विकास की दृष्टि से नागौर और खींवसर पिछड़ रहे हैं।
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बाइट- दुर्गसिंह खींवसर, सामाजिक कार्यकर्ता।
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