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AIADMK पार्षद मारपीट मामले में 22 साल बाद आया फैसला, एम. सुब्रमण्यम सहित 7 लोग बरी - AIADMK COUNCILORS ASSAULT CASE

न्यायाधीश जयवेल ने आज आदेश दिया कि एम. सुब्रमण्यम सहित 7 लोगों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं थे और सभी को बरी कर दिया.

AIADMK COUNCILORS ASSAULT CASE
AIADMK पार्षद मारपीट मामले में फैसला (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 3 hours ago

चेन्नई: साल 2002 में चेन्नई निगम परिषद की एक बैठक में हुए हंगामे में शामिल सभी आरोपियों को 22 साल बाद बरी कर दिया गया है. 22 साल की कार्यवाही के बाद न्यायाधीश जयवेल ने आज 10 जनवरी को डीएमके मंत्री एम. सुब्रमण्यम के खिलाफ मामले में फैसला सुनाया. इसमें उन्होंने आदेश दिया कि एम. सुब्रमण्यम सहित 7 लोगों के खिलाफ अपराध के लिए पर्याप्त सबूत नहीं थे और सभी को बरी कर दिया.

दरअसल, यह घटना तत्कालीन उप महापौर कराटे त्यागराजन की अध्यक्षता में हुई थी, विपक्षी दल डीएमके ने चेन्नई कन्नपन थितल मछली दुकान टेंडर को लेकर मुद्दा उठाया था. इस दौरान बहस इतनी बढ़ गई कि डीएमके सदस्यों ने माइक और प्लास्टिक की कुर्सियों से एआईएडीएमके सदस्यों पर हमला कर दिया था.

हमले में एआईएडीएमके पार्षद जीवरत्नम, परिमाला, मंगैयारकरसी, कुमारी और अन्य के सिर, हाथ और पैर में चोटें आईं थी. जिसके बाद एआईएडीएमके पार्षद सुकुमार बाबू और निगम सचिव रीता ने चेन्नई पेरियामेडु पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत में मंत्री एम. सुब्रमण्यम, पूर्व विधानसभा सदस्य वीएस बाबू, शिवाजी, तमिलवेंथन, नेदुमारन, सुश्री सौंदर्या और कृष्णगिरी मूर्ति सहित 7 लोगों के खिलाफ दो मामले दर्ज किए गए थे. उस समय, सभी आरोपी चेन्नई नगर निगम के सदस्य थे.

वहीं, पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ अवैध रूप से संपत्ति जोड़ने, किसी व्यक्ति को अवैध रूप से हिरासत में रखने, हथियारों से हमला करने, जान से मारने की धमकी देने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था.

कई सालों से लंबित इस मामले में चेन्नई पुलिस ने 2019 में चार्जशीट दाखिल की थी. इस मामले की सुनवाई चेन्नई के अतिरिक्त विशेष न्यायालय के न्यायाधीश जी. जयवेल के समक्ष चल रही थी, जो सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों की सुनवाई करता है. पुलिस पक्ष की ओर से 70 से अधिक गवाहों की जांच और जिरह की गई. 22 साल की कार्यवाही के बाद आज फैसला आया.

यह भी पढ़ें- INDIA Bloc में बढ़ रही दरार! संजय राउत ने कांग्रेस को ठहराया जिम्मेवार

चेन्नई: साल 2002 में चेन्नई निगम परिषद की एक बैठक में हुए हंगामे में शामिल सभी आरोपियों को 22 साल बाद बरी कर दिया गया है. 22 साल की कार्यवाही के बाद न्यायाधीश जयवेल ने आज 10 जनवरी को डीएमके मंत्री एम. सुब्रमण्यम के खिलाफ मामले में फैसला सुनाया. इसमें उन्होंने आदेश दिया कि एम. सुब्रमण्यम सहित 7 लोगों के खिलाफ अपराध के लिए पर्याप्त सबूत नहीं थे और सभी को बरी कर दिया.

दरअसल, यह घटना तत्कालीन उप महापौर कराटे त्यागराजन की अध्यक्षता में हुई थी, विपक्षी दल डीएमके ने चेन्नई कन्नपन थितल मछली दुकान टेंडर को लेकर मुद्दा उठाया था. इस दौरान बहस इतनी बढ़ गई कि डीएमके सदस्यों ने माइक और प्लास्टिक की कुर्सियों से एआईएडीएमके सदस्यों पर हमला कर दिया था.

हमले में एआईएडीएमके पार्षद जीवरत्नम, परिमाला, मंगैयारकरसी, कुमारी और अन्य के सिर, हाथ और पैर में चोटें आईं थी. जिसके बाद एआईएडीएमके पार्षद सुकुमार बाबू और निगम सचिव रीता ने चेन्नई पेरियामेडु पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत में मंत्री एम. सुब्रमण्यम, पूर्व विधानसभा सदस्य वीएस बाबू, शिवाजी, तमिलवेंथन, नेदुमारन, सुश्री सौंदर्या और कृष्णगिरी मूर्ति सहित 7 लोगों के खिलाफ दो मामले दर्ज किए गए थे. उस समय, सभी आरोपी चेन्नई नगर निगम के सदस्य थे.

वहीं, पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ अवैध रूप से संपत्ति जोड़ने, किसी व्यक्ति को अवैध रूप से हिरासत में रखने, हथियारों से हमला करने, जान से मारने की धमकी देने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था.

कई सालों से लंबित इस मामले में चेन्नई पुलिस ने 2019 में चार्जशीट दाखिल की थी. इस मामले की सुनवाई चेन्नई के अतिरिक्त विशेष न्यायालय के न्यायाधीश जी. जयवेल के समक्ष चल रही थी, जो सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों की सुनवाई करता है. पुलिस पक्ष की ओर से 70 से अधिक गवाहों की जांच और जिरह की गई. 22 साल की कार्यवाही के बाद आज फैसला आया.

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