रामगंजमंडी (कोटा). कोरोना वायरस के कारण देश में लगे लॉकडाउन में सबसे ज्यादा बेरोजगार मजदूर वर्ग के लोग हुए हैं. ऐसे में सरकार मनरेगा योजना में मजदूरों को रोजगार देने में लगी हुई है. मगर इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग की तरफ कोई भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है. रामगंजमंडी के उंडवा गांव में गुरुवार को 1 व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव मिला है. जिसके बाद प्रशासन लोगों से लगातार नियमों का पालन करने की अपील कर रहा है. लेकिन रामगंजमंडी क्षेत्र के सातलखेड़ी ग्राम पंचायत में मजदूरों की मनरेगा में नाम जुड़वाने के लिए जुटी भीड़ ने सभी नियमों की धज्जियां ही उड़ा दी.
प्रशासन ने कोरोना के संक्रमण को देखते हुए मनरेगा में कार्य के लिए हर ग्राम पंचायत में एक कमेटी का गठन किया हुआ है. लेकिन, यहां मजदूरों की सुनने वाला कोई नहीं है. ऐसी तपती दोपहरी में महिलाएं मनरेगा में नाम जुड़वाने के लिए पंचायत में घंटों इंतजार करती नजर आ रही हैं. बेरोजगार मजदूर काम को लेकर इतने परेशान हैं कि, कोरोना महामारी तक को भूल गए हैं. महिलाओं ने ग्राम पंचायत पर आरोप लगाया कि, घंटों इंतजार करने के बाद भी मनरेगा में नाम नहीं जोड़ा जा रहा है. अगर नाम जुड़ भी गया है तो, आज तक काम नहीं मिला है.
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इस दौरान महिलाओं ने अपना दर्द ईटीवी भारत को बताया तो, सरपंच देवर उन महिलाओं को धमकाने लग गया. उनसे कहने लगा कि, कैमरे के सामने बोले तो, पूरे 5 साल तक तुमको काम नहीं मिलेगा. वहीं, ग्राम पंचायतों में सरपंचों का दादागिरि इतनी बढ़ गई है कि, वो कुर्सियों पर नही बैठ ही नहीं रहे हैं. साथ ही सरपंच देवर मनोज गोठवाल ने ग्राम पंचायत में कवरेज कर रहे पत्रकारों के साथ भी अभद्रता की है.