जयपुरः एसआई भर्ती-2021 को लेकर राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट में जवाब पेश करते हुए स्पष्ट कर दिया गया है कि फिलहाल भर्ती को रद्द नहीं किया जा रहा है. राज्य सरकार के जवाब को रिकॉर्ड पर लेते हुए अदालत ने मामले की सुनवाई 10 फरवरी को तय करते हुए राज्य सरकार को केस से जुडे़ बकाया दस्तावेज पेश करने को कहा है. वहीं, अदालत ने मामले में सहयोग के लिए केंद्र सरकार के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल राज दीपक रस्तोगी को न्यायमित्र नियुक्त किया है. अदालत ने राज्य सरकार को एक बार फिर चेताया है कि वह भर्ती को लेकर ऐसा कोई काम ना करे, जिससे अदालत की ओर से दिए आदेश की अवमानना हो. अदालत ने कहा कि सरकार भर्ती को लेकर मौजूदा स्थिति बनाए रखे. जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश कैलाश चन्द्र शर्मा व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता विज्ञान शाह की ओर से जवाब पेश किया गया. एएजी की ओर से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट किसी भी भर्ती को रद्द करने के संबंध में चार मानक तय कर चुका है. इसके तहत व्यापक नकल, जांच पूरी होने, चयनितों में अधिकांश नकलची होने और चयनितों में से नकलचियों को अलग नहीं कर पाने की सूरत में ही भर्ती रद्द हो सकती है. प्रकरण में फिलहाल जांच चल रही है. सभी आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. वहीं इन मानकों के आधार पर भर्ती की समीक्षा की जा रही है.
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जवाब में यह भी कहाः राज्य सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि याचिका में सरकार पर मामले में निष्क्रिय रहने का आरोप ना होकर एजी, एसआईटी और कमेटी की रिपोर्ट पर भर्ती रद्द करने की गुहार की गई है. याचिका में यह नहीं कहा गया कि राज्य सरकार कार्रवाई नहीं कर रही है. ऐसे में राज्य सरकार को समय सीमा में बांधकर भर्ती निरस्त करने की प्रार्थना अनुचित है. एएजी की ओर से यह भी कहा गया कि राज्य सरकार मामले की तह तक जाना चाहती है, लेकिन याचिका भर्ती को रद्द करवाकर जांच को पटरी से हटाने वाली है.
एएसजी ने जताई असमर्थता, कोर्ट ने कहा केंद्र नहीं है पक्षकारः सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि वे मामले में कानूनी बिंदुओं और जनहित को देखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता का सहयोग चाहते हैं. अदालत ने कहा कि एएसजी आरडी रस्तोगी मामले में न्यायमित्र के तौर पर अदालत का सहयोग करें. इस पर एएसजी ने कहा कि वे केन्द्र सरकार के वकील हैं और प्रकरण में ईडी का पक्ष रख रहे हैं. ऐसे में न्याय मित्र की भूमिका में नहीं रह सकते. इस पर अदालत ने कहा कि इस मामले में केन्द्र सरकार पक्षकार नहीं है, इसलिए वे न्यायमित्र के तौर पर सहयोग करें, यदि किसी पक्ष को इस बात की आपत्ति होगी तो उसे भी सुन लिया जाएगा.
यह कहा अदालत नेः मामले में अदालत ने कहा कि मंत्रियों की कमेटी, एसआईटी और महाधिवक्ता भर्ती को रद्द करने की सिफारिश कर चुके हैं, फिर सरकार में कौन बचा?. अदालत ने पूछा कि मामले में निर्णय लेने का अधिकार किसे है. इस पर एएजी ने कहा कि इन्होंने अपनी राय दी थी और इसे मानने के लिए सरकार बाध्य नहीं है. मुख्यमंत्री और कैबिनेट में उच्च स्तर पर मामला देखा जा रहा है. सरकार सभी पहलुओं को परखने के बाद ही निर्णय लेगी.