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भगवान शिव की आराधना के लिए सोम प्रदोष का विशेष महत्व, जानें शुभ मुहूर्त का समय - SOM PRADOSH VRAT

आज सोम प्रदोष तिथि है और भगवान शिव की आराधना के लिए यह श्रेष्ठ मानी जाती है.

सोम प्रदोष का महत्व
सोम प्रदोष का महत्व (फोटो ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 10, 2025, 6:47 AM IST

बीकानेर. शास्त्रों में भगवान भोलेनाथ अर्थात शिव की पूजा को काफी महत्वपूर्ण बताया गया है. ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव की आराधना करने से नवग्रह का दोष स्वत: ही खत्म हो जाता हैं. वैसे तो भगवान भोलेनाथ की आराधना का महीना सावन मास है और वार सोमवार है लेकिन प्रदोष तिथि का बड़ा महत्व है और सोमवार को पड़ने वाली प्रदोष का कई गुना फल मिलता है. सोमवार और प्रदोष का एक ही दिन होना सोम प्रदोष का संयोग का भी बहुत ही ज्यादा महत्व है.

सोम प्रदोष का महत्व : पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि प्रदोष का व्रत सप्ताह के किसी न किसी वार में आता है और उस वार के नाम से ही प्रदोष का व्रत होता है. हर बार अलग अलग वार के हिसाब से होने वाले प्रदोष व्रत का अपना एक महत्व है. ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी सोम प्रदोष व्रत को पूरे विधि-विधान के साथ करता है तो उसके जीवन से जुड़े सभी दोष, रोग, शत्रु स्वत: ही दूर हो जाते हैं और उससे उसके जीवन में सुख-संपत्ति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. सोम प्रदोष का व्रत करने वाले जातक पर शिव की कृपा हमेशा बरसती रहती है.

पढ़ें: आज का राशिफल: उधार दिया हुआ पैसा मिलेगा वापस, निवेश से होगा फायदा

दूर होते दोष : कहते हैं कि सोम प्रदोष व्रत करने वाले भक्तों से भगवान भोलेनाथ बहुत ही प्रसन्न रहते हैं और उस पर भोलेनाथ की असीम कृपा बनी रहती है. इतना ही नहीं सोम प्रदोष व्रत से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति कमजोर है तो वह मजबूत होती है. यदि पहले से मजबूत है तो और भी ज्यादा मजबूत हो जाती है.

गाय दान बराबर महत्व : प्रदोष के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान, पूजा-अर्चना करनी चाहिए. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत का दिन होता है. इस दिन सुबह सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान, पूजा-अर्चना करनी चाहिए. दिनभर उपवास रखकर सायंकाल पुनः स्नान करके प्रदोष काल में भगवान शिवजी की विधि-विधान पूर्वक पंचोपचार, दशोपचार अथवा षोडशोपचार पूजा-अर्चना करनी चाहिए. स्कन्दपुराण में वर्णित प्रदोष व्रत कथा को पढ़ना या सुनना चाहिए. प्रदोष व्रत से जीवन के समस्त दोषों का शमन अर्थात नाश होता है. साथ ही सुख सौभाग्य में भी वृद्धि होती है. प्रदोष व्रत का लाभ महिलाएं और पुरुष दोनों के लिए समान है. इस दिन व्रत रखने वाले जातक को दो गायों का दान करने के बराबर पुण्य मिलता है. पूरी निष्ठा के साथ सोम प्रदोष व्रत रखने वाले व्यक्ति के जीवन के सारे कष्टों को भगवान शिव दूर कर देते हैं.

बीकानेर. शास्त्रों में भगवान भोलेनाथ अर्थात शिव की पूजा को काफी महत्वपूर्ण बताया गया है. ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव की आराधना करने से नवग्रह का दोष स्वत: ही खत्म हो जाता हैं. वैसे तो भगवान भोलेनाथ की आराधना का महीना सावन मास है और वार सोमवार है लेकिन प्रदोष तिथि का बड़ा महत्व है और सोमवार को पड़ने वाली प्रदोष का कई गुना फल मिलता है. सोमवार और प्रदोष का एक ही दिन होना सोम प्रदोष का संयोग का भी बहुत ही ज्यादा महत्व है.

सोम प्रदोष का महत्व : पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि प्रदोष का व्रत सप्ताह के किसी न किसी वार में आता है और उस वार के नाम से ही प्रदोष का व्रत होता है. हर बार अलग अलग वार के हिसाब से होने वाले प्रदोष व्रत का अपना एक महत्व है. ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी सोम प्रदोष व्रत को पूरे विधि-विधान के साथ करता है तो उसके जीवन से जुड़े सभी दोष, रोग, शत्रु स्वत: ही दूर हो जाते हैं और उससे उसके जीवन में सुख-संपत्ति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. सोम प्रदोष का व्रत करने वाले जातक पर शिव की कृपा हमेशा बरसती रहती है.

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दूर होते दोष : कहते हैं कि सोम प्रदोष व्रत करने वाले भक्तों से भगवान भोलेनाथ बहुत ही प्रसन्न रहते हैं और उस पर भोलेनाथ की असीम कृपा बनी रहती है. इतना ही नहीं सोम प्रदोष व्रत से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति कमजोर है तो वह मजबूत होती है. यदि पहले से मजबूत है तो और भी ज्यादा मजबूत हो जाती है.

गाय दान बराबर महत्व : प्रदोष के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान, पूजा-अर्चना करनी चाहिए. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत का दिन होता है. इस दिन सुबह सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान, पूजा-अर्चना करनी चाहिए. दिनभर उपवास रखकर सायंकाल पुनः स्नान करके प्रदोष काल में भगवान शिवजी की विधि-विधान पूर्वक पंचोपचार, दशोपचार अथवा षोडशोपचार पूजा-अर्चना करनी चाहिए. स्कन्दपुराण में वर्णित प्रदोष व्रत कथा को पढ़ना या सुनना चाहिए. प्रदोष व्रत से जीवन के समस्त दोषों का शमन अर्थात नाश होता है. साथ ही सुख सौभाग्य में भी वृद्धि होती है. प्रदोष व्रत का लाभ महिलाएं और पुरुष दोनों के लिए समान है. इस दिन व्रत रखने वाले जातक को दो गायों का दान करने के बराबर पुण्य मिलता है. पूरी निष्ठा के साथ सोम प्रदोष व्रत रखने वाले व्यक्ति के जीवन के सारे कष्टों को भगवान शिव दूर कर देते हैं.

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