कोटा. पश्चिम बंगाल और मुंबई की तर्ज पर अब राजस्थान में भी जल में विसर्जन के लिए प्लास्टर ऑफ पेरिस यानी पीओपी से बनने वाली भगवान की प्रतिमाओं पर रोक लगाने की मांग तेज हो गई है. कोटा में पर्यावरण और जल संरक्षण के लिए काम कर रही हम लोग संस्था ने इसके लिए आवाज उठाते हुए मांग की है कि नदी में विसर्जित करने वाली सभी प्रतिमाओं के लिए मूर्तियों के साथ प्राकृतिक कलर का उपयोग अनिवार्य किया जाए.
मूर्ति के लिए मिट्टी का उपयोग करें
वहीं संस्था के सरंक्षक डॉ. सुधीर गुप्ता के अनुसार अनंत चतुर्दशी पर इस बार समझाइश के बाद भी पीओपी की मूर्तियों का विसर्जन किया गया. जिसका खामियाजा यह हुआ कि पानी में दूसरे दिन सुबह बड़ी संख्या में जलीय जीव व मछलियां मरी हुई मिली. पीओपी को उन्होंने वैज्ञानिक तरीके से भी उपयोगी नहीं मानते हुए इस आवाज को बुलंद किया है. गुप्ता के अनुसार बंगाल में मूर्ति निर्माण के लिए मिट्टी का उपयोग होगा है और मुंबई में तो पीओपी को पूरी तरह से बैन किया जा चुका है, तो फिर राजस्थान में धार्मिक आयोजनों पर पीओपी की जगह मिट्टी के उपयोग को बढ़ावा क्यों नहीं मिल सकता है.
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मूर्तिकारों की समझाइश
इसके लिए उन्होने सभी समाजों को साथ लेकर एक अभियान चलाने का भी आह्वान किया है. जिसके तहत मूर्तिकारों और आमजनता को भी समझाइश की जाएगी. डॉ. सुधीर गुप्ता ने कहा कि इस बार तो वे अनंत चतुर्दशी में इस तरह का कोई अभियान चलाने में पीछे रह गए हैं, लेकिन अग्नि चक्र अनंत चतुर्दशी के लिए उन्होंने अभी से ही तैयारी शुरू कर दी है.