कोटा. वर्तमान में कोटा सेंट्रल जेल में क्षमता से ज्यादा बंदी हैं. ऐसे में कारागार विभाग ने दो नई जेल बनाने का प्रस्ताव भी 2011-12 में दिया था, जिसके लिए करीब 50 करोड़ का बजट दिया था. हालांकि, जिस जगह पर यह जमीन आवंटित हुई वहां पर अतिक्रमण था. नगर विकास न्यास ने साल 2013 में जमीन आवंटित की थी, लेकिन इस पर से अतिक्रमण पुलिस और जेल विभाग नहीं हटवा पाया था. ऐसे में आज 12 साल बाद भी नई जेल कोटा में नहीं बन पाई है.
साल 2021 में शंभूपुरा में जमीन आवंटित हुई है, लेकिन इस पर भी अतिक्रमण नहीं हो जाए. इसके लिए फोर्स लगाई हुई है, क्योंकि अब निर्माण के लिए बजट 73 करोड़ चाहिए, वह जेल के पास वर्तमान में नहीं मिला है. ऐसे में लाखों रुपए महीना खर्च कर जेल विभाग अपने प्रहरी की ड्यूटी वहां पर लगा रहा है, ताकि जेल निर्माण शुरू होने तक जमीन को अतिक्रमण मुक्त रखा जा सके. हालांकि, पहले जहां पर दो जेल बननी थी, अभी एक ही जेल वर्तमान जमीन पर बन सकती है.
अतिक्रमण से बचाना ही पहली जिम्मेदारी : नई जेल की भूमि की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल रहे जेल प्रहरी गोपाल महिला का कहना है कि 62 बीघा जमीन है, जिसको अतिक्रमण मुक्त रखने के लिए तीन शिफ्ट में ड्यूटी चल रही है. मुख्य समस्या यहां पर रहने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. बारिश आने पर छत नहीं है और पीने के पानी से लेकर कोई व्यवस्था भी नहीं है. यहां पर टेंट लगाकर भी नहीं रहा जा सकता है. आसपास के लोग हंगामा और लड़ाई झगड़ा करते. दूसरा जंगल का पूरा इलाका है. यहां पर सांप से लेकर आने जंगली जीव भी आते रहते हैं. हर दो घंटे में यहां पर आकर राउंड लेते हैं. 23 खम्बे व 3 बोर्ड भी लगाए हुए हैं, उन्हीं की सुरक्षा कर रहे हैं.
वर्दी में आने पर हो जाता है विवाद : जेल प्रहरी महला का कहना है कि लोग यहां पर बोर्ड को भी तोड़ जाते हैं. कई बोर्ड यहां से गायब भी हो गए हैं. कौन तोड़ रहा है, यह पता नहीं लग पाता है, लेकिन आतंक लोगों का है. वर्दी में यहां पर आने पर लोग एकत्रित हो जाते हैं और कई बार ऐसा होता है कि हंगामा और मारपीट जैसे हालात बन जाते हैं. इसलिए सादा वर्दी में आते हैं. वर्दी में यहां खड़े नहीं हो सकते, क्योंकि विवाद होने पर यहां पर नेटवर्क भी नहीं आता है. ऐसे में लोगों को सूचना भी नहीं दे सकते हैं. थाने को भी फोन नहीं कर सकते है. ऐसे में जो नजदीकी नांता थाने की चौकी है, वहां पर चले जाते हैं, साथ ही पास में होमगार्ड का भी ऑफिस है, जहां पर जाकर हम बैठ जाते हैं.
पहले की जमीन पर हुआ था अतिक्रमण, दूसरी पर लगा रखी है : कोटा सेंट्रल जेल के सुपरिटेंडेंट पीएस सिद्धू का कहना है कि मेरे पहले का मामला है. अतिक्रमण के चलते पहली वाली जगह बंदा धर्मपुरा में जेल नहीं बन सकी थी. अब शंभूपुरा में प्रस्तावित है, जमीन अलॉट हो गई है. अतिक्रमण ने पुलिस की मदद से यहां से हटा दिया था, फिर भी अतिक्रमण यहां पर भी हो गया था. सुरक्षा गार्ड भी लगाई हुई है. हमारे कर्मचारी पूरा ध्यान रखते हैं, बजट आने पर ही इसका निर्माण होगा.
निर्माण के लिए मांगा है बजट : पीएस सिद्धू का कहना है कि कारागार विभाग से इसके लिए करीब 73 करोड़ का बजट मांगा गया है. यह बजट स्वीकृत होने के बाद ही जेल का निर्माण हो सकेगा. अब तक जमीन को अतिक्रमण मुक्त रखना चुनौती है. नवीन जेल की क्षमता 1000 प्रस्तावित है, जिसमें केवल सजायाफ्ता कैदी ही रहेंगे. वर्तमान में करीब हमारी सेंट्रल जेल में सजायाफ्ता और अंडर ट्रायल दोनों मिलाकर 1500 बंदी हैं. नई जेल बनने के बाद जो वर्तमान में पुरानी जेल को यथावत चलाने के आदेश ही फिलहाल हैं.
12 साल में भी नहीं बन पाई है जेल : साल 2011-12 की बजट घोषणा में कोटा में दो नई सेंट्रल जेल एक-एक हजार क्षमता की बनने की स्वीकृति जारी हुई, जिनमें एक सजायाफ्ता और दूसरे अंडर ट्रायल बंदियों के लिए थी. इनके लिए 51.62 करोड़ रुपए की स्वीकृति जारी हुई. जिसके बाद जमीन आवंटन की प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन पीडब्ल्यूडी का बनाया गया एस्टीमेट कम पड़ गया. ऐसे में बजट स्वीकृति के लिए वापस जेल विभाग को यह भेजा गया. जिसके बाद दोबारा 3.8 करोड रुपए की राशि स्वीकृत हुई. इसके बाद न्यास ने 22 नवंबर 2013 को जमीन आवंटित कर दी, जिसमें बंधा धर्मपुरा इलाके में 62.26 हेक्टेयर जमीन आवंटित की गई. इसके बाद टेंडर जारी हुआ और निर्माण के लिए जब ठेकेदार वहां पर पहुंचा, तो जमीन पर अतिक्रमण था, जिसे पुलिस यूआईटी और जेल प्रशासन भी नहीं हटवा पाया. इस जेल का निर्माण खटाई में पड़ गया था, आज भी जेल को पूर्व में आवंटित हुई जमीन पर अतिक्रमण है.
निर्माण के लिए 73 करोड़, दो की जगह बनेगी केवल एक जेल : पुरानी जेल की जमीन पर अतिक्रमण था. ऐसे में कोटा सेंट्रल जेल के अधिकारियों ने दोबारा 2021 में कोशिश की तब यूआईटी ने शंभूपुरा में जमीन आवंटित की. यह जमीन करीब 9 हेक्टेयर से ज्यादा है, जिसमें बमुश्किल एक जेल ही बन सकती है. पहले पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने इस जमीन को कम बताया, लेकिन जेल विभाग कम जमीन पर भी जेल बनाने के लिए तैयार हो गया.
हालांकि, पहले जहां पर 2 जेलों के लिए राशि जारी हुई थी, अब केवल नई जगह पर एक ही जेल बन पाएगी. उसके लिए भी बजट जारी होना जरूरी है, जबकि जेल के लिए आवंटित शंभूपुरा की जमीन कोटा सेंट्रल जेल के अधीन आ गई है. अब इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी उनके ऊपर ही है. यह काफी टेढ़ी खीर हो रही है, क्योंकि आसपास बड़ी संख्या में अतिक्रमी है. जिनके चलते जमीन की सुरक्षा करना भी काफी मुश्किल हो रहा है.