कोटा: जिले में हाईकोर्ट बैंच की मांग (Demand for High Court Bench in kota) बीते 19 साल से अधूरी है. इसको लेकर बीच-बीच में कई बार आंदोलन भी होते रहे हैं. लगातार 40 दिनों तक भी यहां हड़ताल चली हैं. इस दौरान चक्का जाम भी किए गए. मामले में यहां के राजनेताओं से लेकर वकीलों पर भी मुकदमे दर्ज हुए. लेकिन आज तक मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई. राज्य में कांग्रेस और भाजपा दोनों के नेता ही हाईकोर्ट बैंच की मांग वकीलों के साथ करते आ रहे हैं. लेकिन यह मामला सुलझने का नाम नहीं ले रहा है. हाईकोर्ट बैंच की मांग आज भी जारी है.
हाड़ौती संभाग में हाईकोर्ट बैंच की मांग पूरी नहीं हो पाई है. हाल ही में विधानसभा में लगे एक प्रश्न के जवाब में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को उदयपुर में हाईकोर्ट बैंच की स्थापना को लेकर एक पत्र भेजा है. जिसमें परीक्षण करवाने की बात लिखी है. इस सुगबुगाहट के बाद एक बार फिर कोटा में वकीलों ने विरोध शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि हाड़ौती के चारों जिलों कोटा, बारां, बूंदी व झालावाड़ के शहरों और कस्बों में स्थित 150 न्यायालय के 6 हजार वकील इस बात से आक्रोशित हैं.
कई बार किया आंदोलन: कोटा में हाईकोर्ट बैंच की स्थापना की मांग 2003 से चल रही है. जिसमें 2003, 2009, 2010, 2013 व 2018 में बड़े आंदोलन हुए है. जिसमें 2009 में 4 महीने तक आंदोलन हुआ. सड़के जाम हुई. पूरे हाड़ौती में चक्का जाम हुआ. उस समय कई वकीलों सहित वर्तमान लोकसभा स्पीकर ओम बिरला पर भी मुकदमा दर्ज हुआ था. हालांकि केवल इस मामले में आश्वासन ही वकीलों को मिलता रहा है.
कोटा संभाग से मिला सबसे ज्यादा रेवेन्यू: बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष मनोज पुरी का कहना है कि उनकी मांग का बेसिक आधार यही है कि कोटा संभाग सबसे ज्यादा रेवेन्यू सरकार को देता है. सबसे ज्यादा दूरी इस एरिया शाहबाद और मनोहरथाना भी यहां पर स्थित है. यह एमपी बॉर्डर से लगते हुए एरिया है. यहां आदिवासियों की संख्या व जातिगत आधार देखा जाएगा. कोटा रेल और सड़क पर एक्टिविटी में सबसे सुदृढ़ है. यहां पर पानी और बिजली के लिए पर्याप्त उपलब्धता है. यह रेवेन्यू व कनेक्टिविटी सबके आधार पर ही निर्णय होगा. आईआईटी को भी यहां से जोधपुर शिफ्ट कर दिया गया है.
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राज्य सरकार ने 2018 में कमेटी बनाई थी. जिसमें उदयपुर, कोटा और बीकानेर संभाग के आंदोलनरत वकीलों में से दो- दो सदस्य शामिल किए थे. साथ ही इसमें कहा गया था कि हाईकोर्ट बैंच के लिए तीनों संभाग में परीक्षण करवाई जाएगी और इस कमेटी के सामने रखा जाएगा. साथ ही सर्वसम्मति बनाकर जहां सबसे मजबूत आधार मिलेगा, वहां पर बैंच की स्थापना की जाएगी. अब केवल उदयपुर के लिए राजस्थान सरकार ने पत्र लिख दिया है. जो गलत है. सरकार को बीकानेर और कोटा के लिए भी पत्र लिखना चाहिए. तीनों संभाग में परीक्षण करानी चाहिए. जिसमें कोटा संभाग खरा उतरेगा.
पहले कोटा में रह चुका है हाईकोर्ट: कोटा बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष दिनेश कुमार रावल का कहना है कि राजस्थान के निर्माण के समय कोटा में हाईकोर्ट रह चुका है. कोटा का यह हक शुरू से ही रहा है. जब जोधपुर हाईकोर्ट की एक बैंच को जब जयपुर में खोला गया था, तब भी कोटा का ही यह हक था, लेकिन जयपुर को खुश करने के लिए वहां पर बैंच स्थापित की गई. हाड़ौती के साथ कुठाराघात था. सर्वाधिक क्रिमिनल एनडीपीएस फौजदारी के मुकदमे कोटा में होते हैं. उदयपुर में बैंक खोलने की बात कर रहे हैं, लेकिन कोटा के मुकाबले 25 फीसदी भी इस तरह के मामले वहां नहीं होते हैं.
कोटा के अधिवक्ताओं का कहना है कि कोटा संभाग का अंतिम छोर मध्य प्रदेश बॉर्डर में मनोहर थाना और शाहबाद है, जहां से जयपुर काफी दूर है. यहां के मुवक्किल को 500 किलोमीटर दूर काफी पैसा खर्च कर जयपुर जाना पड़ता है. केंद्र और राज्य सरकार से निवेदन है कि कोटा में हाईकोर्ट बैंच की स्थापना न्यायोचित हो. उन्होंने कहा कि हाईकोट उदयपुर व बीकानेर संभाग में भी खोल दी जाए, तब भी हमें कोई दिक्कत नहीं है. जिस तरह से सरकार ने उदयपुर संभाग के लिए पत्र लिखा है, यह पत्थर कोटा पर फेंका गया है. हमारी एक ही मांग है कि कोटा को नजरअंदाज नहीं किया जाए.
40 फीसदी मुकदमों का जयपुर बैंच में अंबार: अभिभाषक परिषद के पूर्व अध्यक्ष दीपक मित्तल का कहना है कि कोटा संभाग के करीब एक लाख मुकदमों का अंबार जयपुर उच्च न्यायालय में लगा है. यह वहां पेंडिंग मामलों के 40 फीसदी है. आज परिस्थिति ऐसी है कि बरसों तक कोटा से जाने वाले मामलों की अपीलों की सुनवाई नहीं हो रही है. गरीब और असहाय लोग 500 किलोमीटर दूर से आ रहे हैं. जयपुर जाने में काफी खर्चा करना पड़ रहा है राजस्थान में कोटा का हक सबसे पहले बन रहा है. आम जनता और व्यापारी वर्ग इस को लेकर आंदोलनरत हैं. हमारी मांगों के लिए इन जनप्रतिनिधियों का घेराव भविष्य में करेंगे.
कोटा अभिभाषक परिषद के अध्यक्ष मनोज गौतम का कहना है कि आंदोलन के पहले चरण में हम यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल व लोकसभा स्पीकर ओम बिरला सहित अन्य नेताओं को ज्ञापन देंगे. इसके बाद अगले चरण में कोर्ट में कार्य स्थगित करेंगे. अगले चरण में जनप्रतिनिधियों का घेराव होगा. अभी माह के तीसरे शनिवार को कार्य स्थगित रहता है. हाईकोर्ट बैंच की मांग को लेकर 19 सालों से हमारा आंदोलन चल रहा है. एक बार 40 दिन तक भी हड़ताल रह चुके है, तत्कालीन विधि मंत्री ने आश्वासन दिया था कि एक समिति बनाकर आगे कार्य रूप देंगे. अभी विधानसभा में लगे प्रश्न के जवाब से ऐसा लगता है कि राज्य सरकार की मंशा कोटा को नहीं देकर उदयपुर को हाईकोर्ट बेंच देने की है. इस तरह से हुआ, तो हम इसे हाड़ौती का जन आंदोलन बना देंगे. हाड़ौती भी बंद करना पड़ा तो करेंगे.