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स्पेशल रिपोर्ट : हाड़ौती में 70 फीसदी फसलें बारिश से बर्बाद, किसानों के सामने अगली फसल के लिए भी संकट

कोटा संभाग में इस बार मानसून ने कहर बरपाया है. कई जिलों में तो दोगुनी तो कई में तीन गुना बारिश रिकॉर्ड की गई है. इसके चलते किसानों को सर्वाधिक नुकसान उठाना पड़ा है. गांवों में बाढ़ आ जाने के चलते उनके खेतों में पानी भर गया. जिससे किसानों की सारी मेहनत पर पानी फिर चुका है. अब ये किसान सरकार से मदद के लिए गुहार लगा रहे हैं.

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Published : Oct 3, 2019, 2:58 PM IST

कोटा. संभाग के चारों जिलों कोटा, बारां, बूंदी व झालावाड़ में जहां 11 लाख 67 हजार हेक्टेयर में खरीफ की फसल की बुवाई हुई थी. जिसमें से 8 लाख हेक्टेयर फसल अतिवृष्टि की भेंट चढ़ गई है. किसानों को कहना है कि उनके पास अब अगली फसल के लिए भी धनराशि नहीं बची है. ऐसे में उसका भी संकट पैदा हो गया है.

बारिश की वजह से अन्नदाताओं की फसलें हुई खराब

पिछले दिनों कोटा दौरे पर आए मंत्री शांति धारीवाल में मान चुके हैं कि किसानों की फसलें लगभग खराब हो चुकी है. इसको लेकर सरकार सर्वे करा रही है. जिसके बाद किसानों को मुआवजा भी दिया जाएगा. साथ ही उन्होंने यह भी माना है कि किसानों के घर भी इस तेज बारिश में बह गए. कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक रामावतार शर्मा का कहना है कि हाड़ौती में सर्वाधिक जहां सोयाबीन की फसल होती है. ऐसे में यहां के किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान का सामना करना पड़ा रहा है.

पढे़ं- कोटा में कृषि विज्ञान मेला, किसानों ने ली खेती से जुड़ी जानकारी

नहीं बची दलहन की फसलें

हाड़ौती में 2 लाख 7 हजार हेक्टेयर में उड़द की फसलें बोई गई थी. जिसमें से 80 से 90 फ़ीसदी खराब हो चुकी हैं. इसके साथ ही 173819 हेक्टेयर उड़द की फसल खेतों में पानी भर जाने के चलते गल चुकी है. इतना ही नुकसान मूंग की फसल में भी हुआ है. हालांकि हाड़ौती में मूंग की फसल कम ही होती है. मात्र 321 फैक्टर में मूंग की फसल किसानों ने बोई थी. जिसमें से 231 हेक्टेयर फसल खराब हो गई है.

पढे़ं- कोटा: भाजपा ने फसल खराब होने पर की किसानों के लिए राहत पैकेज की मांग...कहा- नहीं मिला तो करेंगे हाड़ौती जाम

सितंबर माह में भी लगातार बारिश का क्रम जारी रहा. इससे किसानों को ज्यादा नुकसान हुआ है. धूप नहीं निकलने के चलते उनके खेतों में भरा पानी नहीं सुख पाया. चंबल नदी में कोटा बैराज से पानी छोड़े जाने के चलते कोटा जिले की सीमा और बूंदी जिले की सीमा में जहां-जहां भी यह नदी गुजर रही है, वहां किनारे से डेढ़ किलोमीटर तक के खेतों में चम्बल नदी का पानी आ गया. यह तेज बहाव किसानों की फसलों को ही बहा कर ले गया है. इन क्षेत्रों में 80 से 90 फीसदी फसलें तबाह हो गई है. ऐसे में वहां पर भी 10 से 20 फीसदी ही उत्पादन की संभावना है.

अगली फसल के लिए भी संकट

दूसरी तरफ किसानों का कहना है कि उन्होंने अपनी फसल को उगाने के लिए जमा पूंजी में से खाद, बीज, ट्रैक्टर हकाई से लेकर और फसलों को ही बीमारियों से बचाने के लिए दवाई छिड़कवाने का काम भी कर दिया था. अब बारिश ज्यादा होने से सब कुछ बह गया है. हमारे हाथ में कुछ भी नहीं है. अगर सरकार हमें मुआवजा नहीं देती है तो हम अगली फसल भी नहीं कर सकते हैं.

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कोटा में बारिश से पूरी फसलें बरबाद

बच्चों के भूखे मरने की नौबत

अंता एरिया के एक सोयाबीन पूरी तरह से गल चुकी है, इसका एक भी दाना नहीं बचा है. अब बच्चों के भूखे मरने की नौबत आ गई है. सरकार से उम्मीद है कि कुछ मुआवजा मिल जाए. किसानों ने कहा कि हमारे पूरे जीवन में इतनी बारिश हमने कभी नहीं देखी है, जो भी जमा पूंजी थी. वह हमने दवाई छिड़कने और कचरा मिटाने में लगा दिए. सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है. अब तो हमारे खाने के भी लाले पड़ रहे हैं.

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किसानों को सता रही अगली फसल की चिंता

जेब की राशि चली गई, घर और जेवर गिरवी रखना पड़ेगा

सांगोद क्षेत्र के किसान का कहना है कि उन्होंने 14 हजार बीघा खेत को मुनाफे पर लेकर धान की फसल बोई थी. जिसमें 15 हजार बीघा का अलग खर्चा आया है, उसमें कुछ नहीं बच रहा है. खेतों में पानी भरा होने से अब नहीं लग रहा है कि धान की फसल में कुछ उपज आएगी. अब किसानों की महंगे दाम पर ऋण लेने और घर के गहनें गिरवी रखने की नौबत आ गई है.

पढे़ं- प्याज के भाव अभी उतरे नहीं कि लहसुन हो गया 150 के पार, फिलहाल राहत की उम्मीद नहीं

कुल बोई गई और खराब हुई फसलों का आकड़ा कुछ इस प्रकार है-

फसल रकबा खराब फसल कितने फीसदी खराब हुई फसल
सोयाबीन 687000 546419 70 से 90 फीसदी
उड़द 260000 173819 80 से 90 फीसदी
मक्का 97813 64760 30 से 60 फीसदी
धान 73045 21011 20 से 25 फीसदी
तिल 4058 3195 70 से 80 फीसदी
ज्वार 1396 1015 20 से 35 फीसदी
मूंग 321 231 80 से 90 फीसदी

हमेशा राहत देने वाली बारिश इस बार आफत बनकर आई है. ऐसी स्थिति में किसान सरकार से मुआवजे की आस लगाए बैठे हैं. अब देखना होगा कि गहलोत सरकार धरती पुत्रों को कितनी राहत दे पाती है.

कोटा. संभाग के चारों जिलों कोटा, बारां, बूंदी व झालावाड़ में जहां 11 लाख 67 हजार हेक्टेयर में खरीफ की फसल की बुवाई हुई थी. जिसमें से 8 लाख हेक्टेयर फसल अतिवृष्टि की भेंट चढ़ गई है. किसानों को कहना है कि उनके पास अब अगली फसल के लिए भी धनराशि नहीं बची है. ऐसे में उसका भी संकट पैदा हो गया है.

बारिश की वजह से अन्नदाताओं की फसलें हुई खराब

पिछले दिनों कोटा दौरे पर आए मंत्री शांति धारीवाल में मान चुके हैं कि किसानों की फसलें लगभग खराब हो चुकी है. इसको लेकर सरकार सर्वे करा रही है. जिसके बाद किसानों को मुआवजा भी दिया जाएगा. साथ ही उन्होंने यह भी माना है कि किसानों के घर भी इस तेज बारिश में बह गए. कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक रामावतार शर्मा का कहना है कि हाड़ौती में सर्वाधिक जहां सोयाबीन की फसल होती है. ऐसे में यहां के किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान का सामना करना पड़ा रहा है.

पढे़ं- कोटा में कृषि विज्ञान मेला, किसानों ने ली खेती से जुड़ी जानकारी

नहीं बची दलहन की फसलें

हाड़ौती में 2 लाख 7 हजार हेक्टेयर में उड़द की फसलें बोई गई थी. जिसमें से 80 से 90 फ़ीसदी खराब हो चुकी हैं. इसके साथ ही 173819 हेक्टेयर उड़द की फसल खेतों में पानी भर जाने के चलते गल चुकी है. इतना ही नुकसान मूंग की फसल में भी हुआ है. हालांकि हाड़ौती में मूंग की फसल कम ही होती है. मात्र 321 फैक्टर में मूंग की फसल किसानों ने बोई थी. जिसमें से 231 हेक्टेयर फसल खराब हो गई है.

पढे़ं- कोटा: भाजपा ने फसल खराब होने पर की किसानों के लिए राहत पैकेज की मांग...कहा- नहीं मिला तो करेंगे हाड़ौती जाम

सितंबर माह में भी लगातार बारिश का क्रम जारी रहा. इससे किसानों को ज्यादा नुकसान हुआ है. धूप नहीं निकलने के चलते उनके खेतों में भरा पानी नहीं सुख पाया. चंबल नदी में कोटा बैराज से पानी छोड़े जाने के चलते कोटा जिले की सीमा और बूंदी जिले की सीमा में जहां-जहां भी यह नदी गुजर रही है, वहां किनारे से डेढ़ किलोमीटर तक के खेतों में चम्बल नदी का पानी आ गया. यह तेज बहाव किसानों की फसलों को ही बहा कर ले गया है. इन क्षेत्रों में 80 से 90 फीसदी फसलें तबाह हो गई है. ऐसे में वहां पर भी 10 से 20 फीसदी ही उत्पादन की संभावना है.

अगली फसल के लिए भी संकट

दूसरी तरफ किसानों का कहना है कि उन्होंने अपनी फसल को उगाने के लिए जमा पूंजी में से खाद, बीज, ट्रैक्टर हकाई से लेकर और फसलों को ही बीमारियों से बचाने के लिए दवाई छिड़कवाने का काम भी कर दिया था. अब बारिश ज्यादा होने से सब कुछ बह गया है. हमारे हाथ में कुछ भी नहीं है. अगर सरकार हमें मुआवजा नहीं देती है तो हम अगली फसल भी नहीं कर सकते हैं.

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कोटा में बारिश से पूरी फसलें बरबाद

बच्चों के भूखे मरने की नौबत

अंता एरिया के एक सोयाबीन पूरी तरह से गल चुकी है, इसका एक भी दाना नहीं बचा है. अब बच्चों के भूखे मरने की नौबत आ गई है. सरकार से उम्मीद है कि कुछ मुआवजा मिल जाए. किसानों ने कहा कि हमारे पूरे जीवन में इतनी बारिश हमने कभी नहीं देखी है, जो भी जमा पूंजी थी. वह हमने दवाई छिड़कने और कचरा मिटाने में लगा दिए. सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है. अब तो हमारे खाने के भी लाले पड़ रहे हैं.

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किसानों को सता रही अगली फसल की चिंता

जेब की राशि चली गई, घर और जेवर गिरवी रखना पड़ेगा

सांगोद क्षेत्र के किसान का कहना है कि उन्होंने 14 हजार बीघा खेत को मुनाफे पर लेकर धान की फसल बोई थी. जिसमें 15 हजार बीघा का अलग खर्चा आया है, उसमें कुछ नहीं बच रहा है. खेतों में पानी भरा होने से अब नहीं लग रहा है कि धान की फसल में कुछ उपज आएगी. अब किसानों की महंगे दाम पर ऋण लेने और घर के गहनें गिरवी रखने की नौबत आ गई है.

पढे़ं- प्याज के भाव अभी उतरे नहीं कि लहसुन हो गया 150 के पार, फिलहाल राहत की उम्मीद नहीं

कुल बोई गई और खराब हुई फसलों का आकड़ा कुछ इस प्रकार है-

फसल रकबा खराब फसल कितने फीसदी खराब हुई फसल
सोयाबीन 687000 546419 70 से 90 फीसदी
उड़द 260000 173819 80 से 90 फीसदी
मक्का 97813 64760 30 से 60 फीसदी
धान 73045 21011 20 से 25 फीसदी
तिल 4058 3195 70 से 80 फीसदी
ज्वार 1396 1015 20 से 35 फीसदी
मूंग 321 231 80 से 90 फीसदी

हमेशा राहत देने वाली बारिश इस बार आफत बनकर आई है. ऐसी स्थिति में किसान सरकार से मुआवजे की आस लगाए बैठे हैं. अब देखना होगा कि गहलोत सरकार धरती पुत्रों को कितनी राहत दे पाती है.

Intro:कोटा संभाग के चारों जिलों कोटा, बारां, बूंदी व झालावाड़ में जहां 11 लाख 67 हजार हेक्टेयर में खरीफ की फसल की बुवाई हुई थी जिसमें से 8 लाख हेक्टेयर फसल अतिवृष्टि की भेंट चढ़ गई है. इसमें खराबा 20 से लेकर 90 फ़ीसदी तक आया है. हाड़ौती में सर्वाधिक जहां सोयाबीन की फसल की जाती है ऐसे में उन किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान का सामना करना पड़ा है.


Body:कोटा.
कोटा संभाग में इस बार मानसून ने कहर बरपाया है और कई जिलों में दुगनी तो कई में तीन गुनी बारिश रिकॉर्ड की गई है. इसके चलते किसानों को सर्वाधिक नुकसान उठाना पड़ा है. गांवों में बाढ़ आ जाने के चलते उनके खेतों में पानी भर गया वहीं कई गांव तो ऐसे हैं जहां पर किसानों के घर भी बह गए हैं. कोटा संभाग के चारों जिलों कोटा, बारां, बूंदी व झालावाड़ में जहां 11 लाख 67 हजार हेक्टेयर में खरीफ की फसल की बुवाई हुई थी जिसमें से 8 लाख हेक्टेयर फसल अतिवृष्टि की भेंट चढ़ गई है. इसमें खराबा 20 से लेकर 90 फ़ीसदी तक आया है. किसानों को कहना है कि उनके पास अब अगली फसल के लिए भी धनराशि नहीं बची है. ऐसे में उसका भी संकट पैदा हो गया है. पिछले दिनों कोटा दौरे पर आए मंत्री शांति धारीवाल में मान चुके हैं कि किसानों की फसलें लगभग तबाह जैसी ही है. उन्होंने कहा है कि सरकार सर्वे करा रही है उस किसानों को मुआवजा भी दिया जाएगा. साथ ही उन्होंने यह भी माना है कि किसानों के घर भी इस तेज बारिश में बह गए. कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक रामावतार शर्मा का कहना है कि हाड़ौती में सर्वाधिक जहां सोयाबीन की फसल की जाती है. ऐसे में उन किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान का सामना करना पड़ा है.

नहीं बची दलहन, सबसे ज्यादा खराबा
हाडोती में जहां पर 2 लाख 7 हजार हेक्टेयर में उड़द की फसलें की गई थी. जिसमें 80 से 90 फ़ीसदी खराबा हुआ है. हेक्टेयर में बात की जाए तो 173819 हेक्टेयर उड़द की फसल खेतों में पानी भर जाने के चलते गल गई है. इतना ही नुकसान मूंग की फसल में भी हुआ है. हालांकि हाडोती में मूंग की फसल कम की जाती है. मात्र 321 फैक्टर में मूंग की फसल किसानों ने बोई थी. जिसमें से 231 हेक्टेयर फसल खराब हो गई है.


धूप इसके चलते भी हुआ नुकसान
सितंबर माह में भी लगातार बारिश का क्रम जारी रहा. इससे किसानों को ज्यादा नुकसान हुआ है. धूप नहीं निकलने के चलते उनके खेतों में भरा पानी नहीं सुख पाया. अतिवृष्टि के कारण जमीन भी पानी पूरा पी चुकी थी, ऐसे में उसे सोखने भी नहीं पाई. खेतों में पानी भरा होने के चलते उनकी पूरी फसल गल कर खराब हो गई है.

नदी का पानी बहा ले गया फसलों को ही
चंबल नदी में कोटा बैराज से पानी छोड़े जाने के चलते कोटा जिले की सीमा और बूंदी जिले की सीमा में जहां-जहां भी यह नदी गुजर रही है, वहां किनारे से डेढ़ किलोमीटर तक के खेतों में चम्बल नदी का पानी आ गया, जो तेज बहाव के साथ किसानों की फसलों को ही बहा कर ले गया है. इन क्षेत्रों में 80 से 90 फीसदी फसलें तबाह हो गई है वही अभी भी कई खेतों में पानी भरा हुआ है. ऐसे में वहां पर भी 10 से 20 फीसदी ही उत्पादन की संभावना है.

अगली फसल के लिए भी संकट
दूसरी तरफ किसानों का कहना है कि उन्होंने अपनी फसल को उगाने के लिए जमा पूंजी में से खाद, बीज, ट्रैक्टर हकाई से लेकर और फसलों को ही बीमारियों से बचाने के लिए दवाई छिड़कवाने का काम भी कर दिया था. अब बारिश ज्यादा होने से सब कुछ बह गया है. हमारे हाथ में कुछ भी नहीं है. अगर सरकार हमें मुआवजा नहीं देती है तो हम अगली फसल भी नहीं कर सकते हैं.

बच्चों के भूखे मरने की नौबत
अंता एरिया के एक सोयाबीन पूरी तरह से गल गई है. एक भी दाना नहीं बचा है. अब बच्चों के भूखे मरने की नौबत आ गई है. सरकार से उम्मीद है कि कुछ मुआवजा मिल जाए.
दूसरे किसान का कहना है कि हमारी पूरे जीवन में इतनी बारिश हमने कभी नहीं देखी है, जो भी जमा पूंजी थी. वह हमने दवाई छिड़कने व कचरा मिटाने में लगा दिए. सोयाबीन पूरी तरह से नष्ट हो गई है. सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है. अब तो हमारे खाने के भी लाले पड़ रहे हैं.


जेब की राशि चली गई, घर व जेवर गिरवी रखना पड़ेगा
सांगोद क्षेत्र के किसान का कहना है कि मैंने ₹14000 बीघा खेत को मुनाफे पर लेकर फसल की थी. धान की फसल लगाई थी, जिसमें ₹15000 बीघा का अलग खर्चा आया है. उसमें कुछ नहीं बच रहा है. धान की पूरी फसल आड़ी पड़ गई है. पानी से अब नहीं लग रहा है कि धान की फसल में कुछ उपज आएगी. सरकार से ही आशा लगाए बैठे हैं. सहायता नहीं मिली तो अब हर किसान महंगी दाम पर ऋण लेने और घर व गहने गिरवी रखने की नौबत आ गई है.


Conclusion:फसल- रकबा - खराबा - कितने फीसदी खराब हुई फसल
सोयाबीन -- 687000 -- 546419 -- 70 से 90 फीसदी
उड़द -- 260000 -- 173819 -- 80 से 90 फीसदी
मक्का -- 97813 -- 64760 -- 30 से 60 फीसदी
धान -- 73045 -- 21011 -- 20 से 25 फीसदी
तिल -- 4058 -- 3195 -- 70 से 80 फीसदी
ज्वार -- 1396 -- 1015 -- 20 से 35 फीसदी
मूंग -- 321 -- 231 -- 80 से 90 फीसदी




बाइट--- रामावतार शर्मा, संयुक्त निदेशक, कृषि विभाग कोटा
बाइट-- शांति धारीवाल, यूडीएच मंत्री, राजस्थान सरकार
बाइट-- पीड़ित किसान
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