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कोरोना संकट के बीच बिगड़े मौसम के मिजाज...भेंट चढ़ी देसी आम की मिठास

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Published : May 24, 2020, 1:36 PM IST

करौली के किसानों को इस साल दोहरी मार पड़ी है. पहले कोरना का संकट उसके बाद आंधी-अंधड़ और ओलावृष्टि से किसानों के आम बगीचे पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं. पेड़ों पर लगी आम की कैरियां तेज हवा की वजह से झड़ गई. जिससे किसानों को काफी नुकसान हुआ है. जिस वजह से इस बार करौली की जनता भी मीठे देसी आम का स्वाद नहीं चख पाएगी.

करौली के आम बगीचे, Mango Gardens of Karauli
भेंट चढ़ी देसी आम की मिठास

करौली. कोरोना संकट के बाद बिगड़े मौसम के मिजाज ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है. बिगडे़ मौसम के मिजाज और तेज अंधड़, ओलावृष्टि से जिलेभर मे किसानों की आम की खेती को उजाड़ कर रख दिया है. जिससे किसान के पास परेशान होने के अलावा और कोई चारा नहीं है.

भेंट चढ़ी देसी आम की मिठास

पहले कोरोना संकट उस पर मौसम की मार

पहले कोरोना संकट फिर मौसम की मार जिसमें भेंट चढ़ी देसी आम की. बीते दिनो बिगड़े मौसम के मिजाज, तेज अंधड और ओलावृष्टि से जिलेभर में आम के पेड़ों को काफी नुकसान हुआ है. बता दे की करौली जिले के मीठे आम और कैरी की फसल को इस बार मौसम की मार ने चौपट कर दिया है. जिससे गांव से लेकर शहरों तक लोगों को देसी आम की मिठास और कैरी के आचार की खटाई कम ही मिल पाएगी.

पढ़ें- जालोर: रानीवाड़ा विधायक और व्यापारियों का धरना प्रदर्शन, हेड कांस्टेबल को हटाने की मांग

वहीं दूसरी ओर कोरोना संक्रमण का डर और लॉक डाउन के चलते जो बची हुई कैरियां है वो बिक नहीं पा रही हैं. जिससे किसान काफी चितिंत है. किसानों ने बताया की इस बार आम के पेड़ों पर खूब कैरी आयी, लेकिन इसी वक्त प्रकृति की बेरुखी, तेज अधंड और ओलावृष्टि के चलते 50 फीसदी फसल खराब हो गई. क्षेत्र के बागवान आम की फसल से अच्छा मुनाफा कमाते हैं. कच्ची कैरी से लेकर पेड़ पर पकने वाले आम और आचार की कैरी तक छोटे हर साल 70 से 80 हजार रुपए तक की पैदावार करते हैं.

आम के पेड़ों को नुकसान, Mango trees suffered damage
कोरोना संकट के बाद बिगड़े मौसम के मिजाज

पिछले साल भी लू से झुलस गए थे पेड़

किसानों ने बताया की पिछले साल भी तेज गर्मी और लू की चपेट में आने से काफी संख्या में पेड़ों की कैरियों के साथ आम के पेड़ भी झुलस गए थे. ऐसे में पेड़ों की संख्या में भी कमी आई है और बारिश कम होने से हर साल पेड़ कम होते जा रहे हैं. वहीं कुछ बागवान पुराने दरख्त पेड़ों के बगीचों को हरे पेड़ों को अच्छी आमदनी होने के बाद भी बेच देने से पेड़ों की संख्या में कमी आई है.

आम के पेड़ों को नुकसान, Mango trees suffered damage
कोरोना संकट के बाद बिगड़े मौसम के मिजाज

बागवानी से अच्छा मुनाफा

क्षेत्र में मिट्टी पानी अच्छा होने से यहां विभिन्न प्रकार के फलदार बगीचे बाहरी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है. कैलादेवी सड़क मार्ग, कोटे, महोली, वाजिदपुर, बीचपुरी और टोडाभीम उपखंड के आस-पास के हिस्से में बागवानी से लोग अच्छा मुनाफा कमाते हैं. यहा तक की करौली जिले के टोडाभीम क्षेत्र में कैरी की पैदावार अच्छी होने की वजह से यहां पर कैरी का आचार काफी पसंद किया जाता है. करौली के आचार की डिमांड जिले, राज्य या देश में ही नहीं बल्कि विदेशों तक हैं.

पढ़ेंः भरतपुरः गैंगस्टर लॉरेंस विश्नोई से जुड़े चुरू हत्या के तार, पुलिस ने जेल में आधी रात को ली तलाशी

कृषी-उधान विभाग के सहायक निदेशक रामलाल जाट ने बताया कि जिले में मौसम के बिगड़े मिजाज और तेज अंधड़ से 35 फीसदी से 40 फीसदी तक किसानों की कैरियां झड़कर गिर गई. इस बार निश्चित रूप से किसानों को हानि हुई है. इसलिए किसानों को राहत देना संभव नहीं है. वैसे पूरे प्रदेश में ही आंधी अंधड़ का इस बार माहौल रहा है.

करौली. कोरोना संकट के बाद बिगड़े मौसम के मिजाज ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है. बिगडे़ मौसम के मिजाज और तेज अंधड़, ओलावृष्टि से जिलेभर मे किसानों की आम की खेती को उजाड़ कर रख दिया है. जिससे किसान के पास परेशान होने के अलावा और कोई चारा नहीं है.

भेंट चढ़ी देसी आम की मिठास

पहले कोरोना संकट उस पर मौसम की मार

पहले कोरोना संकट फिर मौसम की मार जिसमें भेंट चढ़ी देसी आम की. बीते दिनो बिगड़े मौसम के मिजाज, तेज अंधड और ओलावृष्टि से जिलेभर में आम के पेड़ों को काफी नुकसान हुआ है. बता दे की करौली जिले के मीठे आम और कैरी की फसल को इस बार मौसम की मार ने चौपट कर दिया है. जिससे गांव से लेकर शहरों तक लोगों को देसी आम की मिठास और कैरी के आचार की खटाई कम ही मिल पाएगी.

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वहीं दूसरी ओर कोरोना संक्रमण का डर और लॉक डाउन के चलते जो बची हुई कैरियां है वो बिक नहीं पा रही हैं. जिससे किसान काफी चितिंत है. किसानों ने बताया की इस बार आम के पेड़ों पर खूब कैरी आयी, लेकिन इसी वक्त प्रकृति की बेरुखी, तेज अधंड और ओलावृष्टि के चलते 50 फीसदी फसल खराब हो गई. क्षेत्र के बागवान आम की फसल से अच्छा मुनाफा कमाते हैं. कच्ची कैरी से लेकर पेड़ पर पकने वाले आम और आचार की कैरी तक छोटे हर साल 70 से 80 हजार रुपए तक की पैदावार करते हैं.

आम के पेड़ों को नुकसान, Mango trees suffered damage
कोरोना संकट के बाद बिगड़े मौसम के मिजाज

पिछले साल भी लू से झुलस गए थे पेड़

किसानों ने बताया की पिछले साल भी तेज गर्मी और लू की चपेट में आने से काफी संख्या में पेड़ों की कैरियों के साथ आम के पेड़ भी झुलस गए थे. ऐसे में पेड़ों की संख्या में भी कमी आई है और बारिश कम होने से हर साल पेड़ कम होते जा रहे हैं. वहीं कुछ बागवान पुराने दरख्त पेड़ों के बगीचों को हरे पेड़ों को अच्छी आमदनी होने के बाद भी बेच देने से पेड़ों की संख्या में कमी आई है.

आम के पेड़ों को नुकसान, Mango trees suffered damage
कोरोना संकट के बाद बिगड़े मौसम के मिजाज

बागवानी से अच्छा मुनाफा

क्षेत्र में मिट्टी पानी अच्छा होने से यहां विभिन्न प्रकार के फलदार बगीचे बाहरी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है. कैलादेवी सड़क मार्ग, कोटे, महोली, वाजिदपुर, बीचपुरी और टोडाभीम उपखंड के आस-पास के हिस्से में बागवानी से लोग अच्छा मुनाफा कमाते हैं. यहा तक की करौली जिले के टोडाभीम क्षेत्र में कैरी की पैदावार अच्छी होने की वजह से यहां पर कैरी का आचार काफी पसंद किया जाता है. करौली के आचार की डिमांड जिले, राज्य या देश में ही नहीं बल्कि विदेशों तक हैं.

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कृषी-उधान विभाग के सहायक निदेशक रामलाल जाट ने बताया कि जिले में मौसम के बिगड़े मिजाज और तेज अंधड़ से 35 फीसदी से 40 फीसदी तक किसानों की कैरियां झड़कर गिर गई. इस बार निश्चित रूप से किसानों को हानि हुई है. इसलिए किसानों को राहत देना संभव नहीं है. वैसे पूरे प्रदेश में ही आंधी अंधड़ का इस बार माहौल रहा है.

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