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स्थापना दिवस विशेष: 23 बरस का हुआ 'करौली', सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मूल्यों के बाद भी बुनियादी सुविधाओं का है अभाव - राजस्थान न्यूज

करौली जिला रविवार को अपना 23वां स्थापना दिवस मनाने जा रहा है. 23 साल बाद भी यहां पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. जिला होने के बावजूद यहां पर सड़क, पानी, बिजली, चिकित्सा, शिक्षा आदि की भी उचित व्यवस्था नहीं है. शहरवासियों कई मांगों को लेकर सालों से प्रयास कर रहे हैं.

23rd Foundation Day of Karauli, 23वां स्थापना दिवस करौली
23 बरस का हुआ 'करौली'
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Published : Jul 18, 2020, 11:00 PM IST

करौली. रविवार को करौली अपना 23वां स्थापना दिवस मनाने जा रहा है. लेकिन 23 साल बाद भी यहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. शहरवासियों की लंबे समय से चली आ रही प्रमुख मांगें जैसे रोडवेज डिपो, रेल लाइन का कार्य, चंबल लिफ्ट परियोजना आदि अधूरी पड़ी हैं.

23 बरस का हुआ 'करौली'

ऐसा है करौली का इतिहास

करौली जिला राजस्थान के पूर्वी भाग में स्थित है. 19 जुलाई, 1997 को 32वें जिले के रूप में गठित इस भू-भाग में अनेक विभिन्नताएं पाई जाती हैं. जिले को प्रशासनिक दृष्टि से 6 उपखण्डों में विभाजित किया गया है. भौगोलिक दृष्टि से भी इस भूभाग को 3 क्षेत्रों क्रमशः डांग, पहाड़ी एवं समतल भू-भाग में विभाजित किया जा सकता है.

23rd Foundation Day of Karauli
आध्यात्मिक दृष्टि से संपन्न करौली

सांस्कृतिक दृष्टि से भी करौली जिले में अनेक विभिन्नताएं पाई जाती हैं. माड क्षेत्र, जगरोटी के नाम से सांस्कृतिक दृष्टि से विभाजित किया गया है. करौली जिले में सम्पूर्ण रूप ब्रज संस्कृति का प्रभाव देखने का मिलता है. यहां के मेले, त्यौहार सांस्कृतिक मूल्यों के गवाह रहे हैं.

पढ़ें- स्पेशल: अभिज्ञान शाकुंतलम् और हैमलेट जैसे विश्व प्रसिद्ध नाटकों का मंचन करने वाली नाट्यशाला अनदेखी का शिकार

यहां के भूगर्भ में पाए जाने वाले खनिज से भी देश-विदेश में जिले की अलग पहचान है. मंडरायल, मासलपुर, सपोटरा, टोडाभीम एवं हिण्डौन क्षेत्र में अलग-अलग प्रकार के खनिज पदार्थों के भंडार पाए जाते हैं. यहां के सिलिका स्टोन से वाहनों के शीशे बनाने का कार्य बडे़ पैमाना पर किया जा रहा है, तो सैंड स्टोन से निर्मित अनेक ऐतिहासिक एवं आधुनिक इमारतें इसके महत्व को बयां करतीं हैं.

23rd Foundation Day of Karauli
प्राकृतिक सुंदरता से संपन्न करौली

करौली जिले में पर्वतीय हरियाली का वैभव है, तो यहां स्थित सजलतामूलक झरनों, तालाब, जोहड़, बांधों में पक्षियों की चहचहाहट सुंदर वातावरण प्रदान करती है. यहां के भव्य राजप्रसादों की दरो-दीवार जहां इतिहास के उतार-चढाव की गाथा का बखान करते हैं, वहीं आकृर्षित छतरियों, एतिहासिक किलों एवं स्मारकों में छुपा गौरवशाली अतीत अपने आप में अविस्मणीय दस्तावेज के समान परिलक्षित करता है.

23rd Foundation Day of Karauli
ऐतिहासिक विरासत संजोए हुए

पढ़ें- स्पेशल: फसल से खरपतवार हटाने का देसी जुगाड़, समय और खर्च दोनों की बचत

भगवान महावीर की 400 वर्ष पुरानी मूर्ति

महावीर जी जैन धर्म का एक प्रमुख स्थान है. यहां पर भगवान महावीर की 400 वर्ष पुरानी मूर्ति है. जोधराज दीवान पल्लीवाल महावीर स्वामी भगवान के चमत्कार से प्रभावित होकर त्रि-शिखरीय जिनालय का निर्माण करवाया और जैनाचार्य महानंद सागर सूरीश्वरजी जी महाराज से प्रतिष्ठा करवाई. महावीर जी में निर्मित मन्दिर आधुनिक एवं प्राचीन शिल्पकला का बेजोड़ नमूना है.

23rd Foundation Day of Karauli
मदनमोहन जी का मंदिर

मन्दिर को एक बहुत बडे़ प्लेटफार्म पर सफेद मार्बल से बनाया गया है. इसकी विशाल छतरी दूर से ही दिखाई देती है, जो लाल बलुआ पत्थर की है. मन्दिर पर नक्काशी का कार्य भी अति सुन्दर है. उसके ठीक सामने मान स्तम्भ बना हुआ है जिसमें जैन तीर्थकर की प्रतिमा है.

कैलादेवी मन्दिर जहां प्रतिवर्ष भरता है, लख्खी मेला

करौली से 24 कि.मी. दूर यह प्रसिद्व धार्मिक स्थल है. जहां प्रतिवर्ष मार्च-अप्रैल में बहुत बड़ा मेला लगता है. इस मेले में राजस्थान के अलावा दिल्ली, हरियाणा, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश के तीर्थ यात्री भी आते हैं. मुख्य मन्दिर संगमरमर से बना हुआ है. जिसमें कैला (महालक्ष्मी) एवं चामुण्डा देवी की प्रतिमाएं हैं. कैलादेवी की आठ भुजाओं एवं सिंह पर सवारी करते हुए दिखाया गया है. यहां क्षेत्रीय लांगुरियॉ के गीत विशेष रूप से गाये जाते हैं. इसमें लांगुरियां के माध्यम से लोग कैलादेवी को अपनी भक्ति-भाव प्रदर्शित करते हैं.

पढ़ें- SPECIAL: बक्सा व्यवसाय पर कोरोना की चोट

मेहंदीपुर बालाजी मन्दिर

यह एक छोटा सा गांव है, जो टोडाभीम तहसील एवं दौसा जिले कि सिकराय तहसील के मध्य स्थित है. टोडाभीम तहसील से 5 कि.मी. दूर है और जयपुर-आगरा राष्ट्रीय राज्य मार्ग से जुड़ा हुआ है. यह हिन्दुओं की आस्था का महत्वपूर्ण स्थान है. यहां पर पहाड़ी की तलहटी में निर्मित हनुमानजी का बहुत पुराना मन्दिर है. लोग काफी दूर-दूर से यहां आते हैं. ऐसी मान्यता है कि हिस्टीरिया एवं डिलेरियम के रोगी दर्शन लाभ से स्वस्थ होकर लौटते हैं. होली एवं दीपावली के त्यौहार पर काफी संख्या में लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं.

23rd Foundation Day of Karauli
मदनमोहन जी का मंदिर
श्री मदनमोहनजी मन्दिरश्री मदनमोहनजी मन्दिर मुख्यालय के आंचल से महलों के पास वृहद भव्य परिसर के घेरे में स्थित है. जहां भगवान राधा मदन मोहन के साथ श्री गोपालजी की मोहनी प्रतिमाएं प्रतिष्ठित हैं. जिनकी सेवा गौड सम्प्रदायी गुसाइयों के माध्यम से से होती आ रही है. मंगला आरती से शयन झांकी आरती तक हजारों भक्तों का समूह उपस्थित रहता है. मदनमोहन जी की कुल आठ झांकी सकल मनोरथ पूर्ण करने वाली है.
23rd Foundation Day of Karauli
रेल सेवाओं का इंतजार

पढ़ें- स्पेशल: राजस्थान में यहां महादेव की ऐसी प्रतिमा, जो दिन में 3 बार बदलती है रंग

ईटीवी भारत से विशेष बातचीत करते हुए शहरवासियों ने बताया कि करौली जिला बने भले ही 23 साल हो गए हों. लेकिन मूलभूत सुविधाओं के लिए आज भी लोग तरस रहे हैं. शिक्षा हो, चिकित्सा का क्षेत्र हो या उद्योग के क्षेत्र की बात करें, आज भी करौली पिछड़ा जिला ही रहा है.

23rd Foundation Day of Karauli
बस स्टैंड को विकास का इंतजार

डांग जिला के नाम से विख्यात करौली देश के 115 अति पिछड़े जिलों मे भी शामिल है. शासन और प्रशासन की उपेक्षा की वजह से करौली का जितना विकास होना चाहिए था, उतना अभी तक नहीं हुआ है. जिला मुख्यालय होने के बावजूद यह रेल सुविधा से वंचित है जिसकी मांग शहरवासी लंबे अरसे से कर रहे हैं.

अस्पताल है लेकिन वह भी करौली से 5 किलोमीटर दूर स्थित है. सड़क इतनी खराब है की डिलेवरी के लिए ले जाते समय कई बार महिलाओं को रास्ते में प्रसव पीड़ा झेवनी पड़ती है. यातायात के साधनों का अभाव भी बना हुआ है. चंबल-पांचना-जगर लिफ्ट पेयजल परियोजना उन प्रमुख मांगों में से एक है जो अधुरी पड़ी हुई हैं.

करौली. रविवार को करौली अपना 23वां स्थापना दिवस मनाने जा रहा है. लेकिन 23 साल बाद भी यहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. शहरवासियों की लंबे समय से चली आ रही प्रमुख मांगें जैसे रोडवेज डिपो, रेल लाइन का कार्य, चंबल लिफ्ट परियोजना आदि अधूरी पड़ी हैं.

23 बरस का हुआ 'करौली'

ऐसा है करौली का इतिहास

करौली जिला राजस्थान के पूर्वी भाग में स्थित है. 19 जुलाई, 1997 को 32वें जिले के रूप में गठित इस भू-भाग में अनेक विभिन्नताएं पाई जाती हैं. जिले को प्रशासनिक दृष्टि से 6 उपखण्डों में विभाजित किया गया है. भौगोलिक दृष्टि से भी इस भूभाग को 3 क्षेत्रों क्रमशः डांग, पहाड़ी एवं समतल भू-भाग में विभाजित किया जा सकता है.

23rd Foundation Day of Karauli
आध्यात्मिक दृष्टि से संपन्न करौली

सांस्कृतिक दृष्टि से भी करौली जिले में अनेक विभिन्नताएं पाई जाती हैं. माड क्षेत्र, जगरोटी के नाम से सांस्कृतिक दृष्टि से विभाजित किया गया है. करौली जिले में सम्पूर्ण रूप ब्रज संस्कृति का प्रभाव देखने का मिलता है. यहां के मेले, त्यौहार सांस्कृतिक मूल्यों के गवाह रहे हैं.

पढ़ें- स्पेशल: अभिज्ञान शाकुंतलम् और हैमलेट जैसे विश्व प्रसिद्ध नाटकों का मंचन करने वाली नाट्यशाला अनदेखी का शिकार

यहां के भूगर्भ में पाए जाने वाले खनिज से भी देश-विदेश में जिले की अलग पहचान है. मंडरायल, मासलपुर, सपोटरा, टोडाभीम एवं हिण्डौन क्षेत्र में अलग-अलग प्रकार के खनिज पदार्थों के भंडार पाए जाते हैं. यहां के सिलिका स्टोन से वाहनों के शीशे बनाने का कार्य बडे़ पैमाना पर किया जा रहा है, तो सैंड स्टोन से निर्मित अनेक ऐतिहासिक एवं आधुनिक इमारतें इसके महत्व को बयां करतीं हैं.

23rd Foundation Day of Karauli
प्राकृतिक सुंदरता से संपन्न करौली

करौली जिले में पर्वतीय हरियाली का वैभव है, तो यहां स्थित सजलतामूलक झरनों, तालाब, जोहड़, बांधों में पक्षियों की चहचहाहट सुंदर वातावरण प्रदान करती है. यहां के भव्य राजप्रसादों की दरो-दीवार जहां इतिहास के उतार-चढाव की गाथा का बखान करते हैं, वहीं आकृर्षित छतरियों, एतिहासिक किलों एवं स्मारकों में छुपा गौरवशाली अतीत अपने आप में अविस्मणीय दस्तावेज के समान परिलक्षित करता है.

23rd Foundation Day of Karauli
ऐतिहासिक विरासत संजोए हुए

पढ़ें- स्पेशल: फसल से खरपतवार हटाने का देसी जुगाड़, समय और खर्च दोनों की बचत

भगवान महावीर की 400 वर्ष पुरानी मूर्ति

महावीर जी जैन धर्म का एक प्रमुख स्थान है. यहां पर भगवान महावीर की 400 वर्ष पुरानी मूर्ति है. जोधराज दीवान पल्लीवाल महावीर स्वामी भगवान के चमत्कार से प्रभावित होकर त्रि-शिखरीय जिनालय का निर्माण करवाया और जैनाचार्य महानंद सागर सूरीश्वरजी जी महाराज से प्रतिष्ठा करवाई. महावीर जी में निर्मित मन्दिर आधुनिक एवं प्राचीन शिल्पकला का बेजोड़ नमूना है.

23rd Foundation Day of Karauli
मदनमोहन जी का मंदिर

मन्दिर को एक बहुत बडे़ प्लेटफार्म पर सफेद मार्बल से बनाया गया है. इसकी विशाल छतरी दूर से ही दिखाई देती है, जो लाल बलुआ पत्थर की है. मन्दिर पर नक्काशी का कार्य भी अति सुन्दर है. उसके ठीक सामने मान स्तम्भ बना हुआ है जिसमें जैन तीर्थकर की प्रतिमा है.

कैलादेवी मन्दिर जहां प्रतिवर्ष भरता है, लख्खी मेला

करौली से 24 कि.मी. दूर यह प्रसिद्व धार्मिक स्थल है. जहां प्रतिवर्ष मार्च-अप्रैल में बहुत बड़ा मेला लगता है. इस मेले में राजस्थान के अलावा दिल्ली, हरियाणा, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश के तीर्थ यात्री भी आते हैं. मुख्य मन्दिर संगमरमर से बना हुआ है. जिसमें कैला (महालक्ष्मी) एवं चामुण्डा देवी की प्रतिमाएं हैं. कैलादेवी की आठ भुजाओं एवं सिंह पर सवारी करते हुए दिखाया गया है. यहां क्षेत्रीय लांगुरियॉ के गीत विशेष रूप से गाये जाते हैं. इसमें लांगुरियां के माध्यम से लोग कैलादेवी को अपनी भक्ति-भाव प्रदर्शित करते हैं.

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मेहंदीपुर बालाजी मन्दिर

यह एक छोटा सा गांव है, जो टोडाभीम तहसील एवं दौसा जिले कि सिकराय तहसील के मध्य स्थित है. टोडाभीम तहसील से 5 कि.मी. दूर है और जयपुर-आगरा राष्ट्रीय राज्य मार्ग से जुड़ा हुआ है. यह हिन्दुओं की आस्था का महत्वपूर्ण स्थान है. यहां पर पहाड़ी की तलहटी में निर्मित हनुमानजी का बहुत पुराना मन्दिर है. लोग काफी दूर-दूर से यहां आते हैं. ऐसी मान्यता है कि हिस्टीरिया एवं डिलेरियम के रोगी दर्शन लाभ से स्वस्थ होकर लौटते हैं. होली एवं दीपावली के त्यौहार पर काफी संख्या में लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं.

23rd Foundation Day of Karauli
मदनमोहन जी का मंदिर
श्री मदनमोहनजी मन्दिरश्री मदनमोहनजी मन्दिर मुख्यालय के आंचल से महलों के पास वृहद भव्य परिसर के घेरे में स्थित है. जहां भगवान राधा मदन मोहन के साथ श्री गोपालजी की मोहनी प्रतिमाएं प्रतिष्ठित हैं. जिनकी सेवा गौड सम्प्रदायी गुसाइयों के माध्यम से से होती आ रही है. मंगला आरती से शयन झांकी आरती तक हजारों भक्तों का समूह उपस्थित रहता है. मदनमोहन जी की कुल आठ झांकी सकल मनोरथ पूर्ण करने वाली है.
23rd Foundation Day of Karauli
रेल सेवाओं का इंतजार

पढ़ें- स्पेशल: राजस्थान में यहां महादेव की ऐसी प्रतिमा, जो दिन में 3 बार बदलती है रंग

ईटीवी भारत से विशेष बातचीत करते हुए शहरवासियों ने बताया कि करौली जिला बने भले ही 23 साल हो गए हों. लेकिन मूलभूत सुविधाओं के लिए आज भी लोग तरस रहे हैं. शिक्षा हो, चिकित्सा का क्षेत्र हो या उद्योग के क्षेत्र की बात करें, आज भी करौली पिछड़ा जिला ही रहा है.

23rd Foundation Day of Karauli
बस स्टैंड को विकास का इंतजार

डांग जिला के नाम से विख्यात करौली देश के 115 अति पिछड़े जिलों मे भी शामिल है. शासन और प्रशासन की उपेक्षा की वजह से करौली का जितना विकास होना चाहिए था, उतना अभी तक नहीं हुआ है. जिला मुख्यालय होने के बावजूद यह रेल सुविधा से वंचित है जिसकी मांग शहरवासी लंबे अरसे से कर रहे हैं.

अस्पताल है लेकिन वह भी करौली से 5 किलोमीटर दूर स्थित है. सड़क इतनी खराब है की डिलेवरी के लिए ले जाते समय कई बार महिलाओं को रास्ते में प्रसव पीड़ा झेवनी पड़ती है. यातायात के साधनों का अभाव भी बना हुआ है. चंबल-पांचना-जगर लिफ्ट पेयजल परियोजना उन प्रमुख मांगों में से एक है जो अधुरी पड़ी हुई हैं.

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