जोधपुर. बहुचर्चित संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले के आरोपों में घिरे केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के लिए राह अब आसान नजर नहीं आ रही है. राजस्थान हाई कोर्ट से राहत मिलने के बाद तालमेल नहीं होने का तर्क देते हुए एसओजी ने राजस्थान हाईकर्ट में एक तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करते हुए केंद्रीय मंत्री शेखावत को आरोपी बताया है. स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने जो रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की है उसके साथ एक संशोधन प्रार्थना पत्र भी पेश किया. जिसमें बताया कि तालमेल के अभाव में तथ्यात्मक रिपोर्ट कोर्ट में पेश नहीं हो पाई जबकि केंद्रीय मंत्री शेखावत एसओजी की जांच में आरोपी हैं. उनके खिलाफ आरोप भी प्रमाणित माने गए हैं.
एसओजी की तथ्यात्मक रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि शेखावत एक कंपनी नवप्रभा बिलटेक प्राइवेट लिमिटेड में 3 नवंबर 2005 से 10 मार्च 2014 तक डायरेक्टर के पद पर रहे. कंपनी के शेयर की वास्तविक मूल्यांकन दर 31 मार्च 2012 को लगभग 50 रुपये थी. केंद्रीय मंत्री शेखावत सहित अन्य आरोपियों ने शेयरों को 500 प्रति शेयर की दर से क्रय विक्रय किया, जो कि वास्तविक मूल्यांकन दर का लगभग 10 गुना है.
रिपोर्ट में आरोप है कि शेखावत सहित अन्य आरोपियों ने नवप्रभा के शेयर वास्तविक दर से अधिक दर पर क्रय विक्रय कर संजीविनी के निवेशकों के निवेश धन का दुर्विनियोग किया है. एसओजी ने अपनी रिपोर्ट में केंद्रीय मंत्री शेखावत सहित उनके परिजनों पर भी आरोप प्रमाणित माने है. अब एसओजी द्वारा हाईकोर्ट के आदेश को संशोधन करने के लिए भी प्रार्थना पत्र पेश किया गया है.
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गौरतलब है कि जस्टिस कुलदीप माथुर की बेंच में 13 अप्रैल को एसओजी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पैरवी करते हुए कहा था कि केंद्रीय मंत्री शेखावत पर आरोप प्रमाणित नहीं है और न ही एसओजी ने आरोपी माना है. जबकि एसओजी की रिपोर्ट के अनुसार आरोप भी प्रमाणित है और आरोपी भी माना गया है. जिसके बाद हाईकोर्ट के आदेश को संशोधन करने के लिए प्रार्थना पत्र भी पेश किया है.