जोधपुर. हिंदू पौराणिक मान्यता अनुसार आज शुक्रवार यानी 29 सितंबर से श्राद्ध पक्ष की शुरुआत हो गई है. पहले दिन पूर्णिमा और तिथियां में घटित बढ़त के चलते प्रतिपदा का भी श्राद्ध एक ही दिन है. आगे भी तिथियों में भुग्तभोग्य होने से एक तिथि ने दो श्राद्ध होंगे. इस कारण 16 दिन के श्राद्ध 15 दिन में पूरे होते है. पंडित ओम श्रीराम ने बताया कि आज से ही पूर्वजों पितरों की आत्मा शांति के लिए तर्पण कार्य प्रारंभ हो गया है. तर्पण में कुशा और तिल का प्रयोग करते हुए मंत्रोच्चार के साथ जल अर्पित किया जाता है.
जलांजलि का महत्व, पितृ होते है तृप्त : सामान्यतः बड़े तीर्थ स्थलों पर सरोवरों पर पंडित तर्पण कार्य करवाते हैं. जोधपुर में अलग अलग तालाब पर पंडित तर्पण के लोगों के दिवंगत पूर्वजों को जलांजलि दिलवाते हैं. भूतनाथ मंदिर परिसर के जलाशय में पंडितों की ओर से निशुल्क पितृ जलांजलि के इंतजाम हैं. सामग्री भी मंदिर उपलब्ध करवाता है. इसके अलावा शहर के पद्मसागर फतेहसागर सहित अन्य जलाशयों में पंडितों ने विधि-विधान से पूरे श्राद्ध पक्ष तर्पण करवाते हैं. पंडितों के अनुसार हिंदू मान्यता में जलांजलि का महत्व है. क्योंकि पितृ जल से तृप्त होते हैं. इसलिए जलांजलि दी जाती है. कुछ स्थानों पर पिंडदान भी किए जाते हैं.
तिथियों का क्षय होने का प्रभाव रहेगा : हिंदू पंचांग के अनुसार श्राद्ध मध्यान्ह व्यापिनी तिथि को ही किया जाता है. 10 अक्टूबर को व्यापिनी तिथि का अभाव है. इसलिए इस स्थिति में पंचांग ज्योतिष के हिसाब से कोई श्राद्ध नहीं होगा. 9 अक्टूबर को एकादशी और 11 अक्टूबर को द्वादशी का श्राद्ध होगा. इसके बाद तिथियां बराबर हैं. सर्व पितृ अमावस्या का श्राद्ध 14 अक्टूबर को होगा इससे पहले अधिक मास से दो श्रवण मास होने से इस बार श्राद्ध पक्ष 15 दिन देरी से शुरू हुए है.
श्राद्ध पक्ष ने शुभ कार्य वर्जित : श्राद्ध पक्ष में अपने पितृ व पूर्वजों को याद किया जाता है. उनके निमित्त धार्मिक अनुष्ठान व कार्य होते हैं. ऐसे में इस दौरान शुभ् एवं नवीन कार्य नहीं होते हैं. इस पक्ष से पहले अंतिम त्यौहार अनंत चतुर्दशी होता है. श्राद्ध के बाद नवरात्र शुरू होने के साथ ही शुभ कार्य एवं नवीन कार्य प्रारंभ होंगे. यह क्रम लगातार जारी रहेगा. दीपावली तक हिंदू एवं सनातन संस्कृति के धार्मिक उत्सव व त्यौहारों का आयोजन होगा. 14 दिसंबर को सिलसिला मल मास के साथ एक माह के लिए रुक जाएगा.