जोधपुर. राजगढ़ विधायक कृष्णा पूनिया को एससी-एसटी कोर्ट जोधपुर महानगर ने पुलिस निरीक्षक विष्णुदत्त विश्नोई आत्महत्या मामले में क्लीन चिट देते हुए अधीनस्थ अदालत के आदेश को निरस्त कर दिया है. पीठासीन अधिकारी प्रीति मुकेश परनामी ने विधायक पूनिया की ओर से पेश आपराधिक पुनरीक्षण प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के बाद अधीनस्थ अदालत के आदेश को निरस्त कर दिया. विधायक पूनिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक बाजवा, उनके सहयोगी कुलदीप सिंह, अधिवक्ता धर्मेन्द्र सुराणा और बलविन्दरसिंह ने पैरवी की.
अधिवक्ता सुराणा ने बताया कि मृतक पुलिस निरीक्षक विष्णुदत्त विश्नोई के भाई संदीप विश्नोई ने थानाधिकारी आरक्षी केन्द्र राजगढ के समक्ष लिखित रिपोर्ट पेश की थी. उसमें बताया कि उसका भाई पुलिस निरीक्षक विष्णुदत्त विश्नोई थानाधिकारी पुलिस थाना राजगढ़, चूरू में पदस्थापित था. 24 मई 2020 को सुबह परिवादी को टेलीविजन के माध्यम से जानकारी मिली की उसके भाई पुलिस निरीक्षक ने थाने में बने सरकारी मकान में आत्महत्या कर ली. परिवादी ने आरोप लगाया कि स्थानीय विधायक कृष्णा पूनिया उसके भाई को परेशान करती थी, जिसके कारण उसने आत्महत्या कर ली.
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जांच में किसी को दोषी नहीं माना : मामला सीआईडी सीबी को जांच के लिए सौंपा गया. इसके बाद सरकार ने मामले को सीबीआई को रेफर कर दिया. सीबीआई ने इस मामले में जांच के बाद एसीएमएम सीबीआई केसेज जोधपुर महानगर के समक्ष अंतिम प्रतिवेदन पेश किया, जिसमें सीबीआई ने अपनी जांच में विधायक पूनिया को दोषी नहीं माना और न किसी अन्य को इस मामले में दोषी माना गया और एफआर पेश कर दी गई. एसीएमएम सीबीआई मामलात जोधपुर महानगर ने सीबीआई की एफआर को अस्वीकार करते हुए 14 फरवरी 2023 को विधायक पूनिया के विरुद्ध धारा 306 भारतीय दंड संहिता के तहत दंडनीय अपराध का प्रसंज्ञान लेते हुए गिरफ्तारी वारंट से तलब किया.
अधीनस्थ अदालत का आदेश निरस्त : विधायक पूनिया की ओर से प्रसंज्ञान लेने के खिलाफ प्रार्थना पत्र पेश किया गया था, जिसपर गिरफ्तारी वारंट पर रोक लगा दी गई. विधायक पूनिया की ओर से एसीएमएम सीबीआई मामलात अदालत के आदेश के खिलाफ पुनरीक्षण प्रार्थना पत्र पेश किया गया, जिस पर लंबी सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद अनुसूचित जाति जनजाति अदालत ने इस मामले में विधायक पूनिया की पुनरीक्षण प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए आदेश दिया कि अधीनस्थ अदालत की ओर से 14 फरवरी 2023 को पारित आदेश को निरस्त किया जाता है. अधीनस्थ अदालत के आदेश के निरस्त होने से विधायक पूनिया को बड़ी राहत मिली है.