जोधपुर. विधानसभा चुनाव को देखते हुए नागौर सांसद और आरएलपी (राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी) संयोजक हनुमान बेनीवाल जाटों को अपने पक्ष में लामबंद करने में जुटे हुए हैं. इस बार वे ज्यादा से ज्यादा सीटों पर प्रत्याशी उताकर प्रदेश में अपना वोट शेयर बढ़ाने के प्रयास में हैं. वे किसानों से सत्ता के लिए एकजुट होने का आह्वान कर रहे हैं. जाट बाहुल्य क्षेत्रों में जाकर यह भी बता रहे हैं कि वह अकेले नेता हैं, जिसने 20 साल की मेहनत कर तेजाजी की जय के साथ सबको साथ बैठना सिखाया है.
इन क्षेत्रों पर फोकस : सीकर के दांता रामगढ़ में हाल ही में एक सभा में हनुमान बेनीवाल ने कहा था कि हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्य हमारे हाथ से जा चुके हैं. केंद्र सरकार में पहली बार है कि कैबिनेट में हमारे कौम का एक भी मंत्री नहीं है. आपको अपनी ताकत पहचाननी होगी. मैं अपने भाइयों के लिए लड़ने वाला अकेला नेता हूं, आपको मजबूत कर रहा हूं. बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का फोकस नागौर, जोधपुर, बाड़मेर और शेखावाटी के जाट बेल्ट पर ज्यादा है. इसके चलते वे अब सीधे किसान कौम के नाम पर अपने समाज को अपने पक्ष में लामबंद करने में जुटे हैं.
नागौर के नेताओं को कोसा : बेनीवाल सभाओं में कहते हैं कि हमारे नागौर में तो बहुत बुरा हाल है. नागौर के नेताओं ने हमेशा लोगों के पीछे रखा है. हमारे नेता कहते थे कि गांव में बिजली-सड़क आने से नुकसान होगा. नागौर में ऐसे नेता थे जो कहते थे कि शिक्षा आएगी तो कहते थे कि चोर आ जाएंगे. नेताओं की वजह से नहर का पानी नागौर नहीं आया, अगर आता तो हमारे बच्चे भी विदेश में पढ़ते. नेताओं ने लोगों को बांट कर रखा था, अब सबको एक कर रहा हूं.
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छोटी-छोटी बातों को भूलो : सीकर की सभा में बेनीवाल ने ये भी कहा था कि हमें छोटी-छोटी बातें भूलनी होंगी. नाराजगी भूलनी होगी. एक दूसरे के खिलाफ नहीं होना है. जो भी अच्छा काम कर रहा है, उसका साथ देना चाहिए. पिछले चुनाव में मैंने लोगों का सहयोग किया, समाज के लोगों की चिंता की थी. बेनीवाल ने कहा कि लोगों को कितना भी समझा दो फिर भी वोट देने के समय वो कांग्रेस-भाजपा को ही वोट देते हैं.
मैं किसी से मिला हुआ नहीं हूं : बेनीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार में अगर मेरा काम हो जाता है तो लोग कहते हैं कि मोदी से मिला हुआ हूं. राज्य में काम हो जाता है तो कहते हैं कि गहलोत से मिला हुआ हूं, लेकिन मैं किसी से मिला हुआ नहीं हूं. दो दिन पहले एक फोटो आई जिसमें वुसंधरा, गहलोत और अन्य नेता बैठे हंस रहे हैं, मिला हुआ उनको कहते हैं. खैर, बेनीवाल की इस मुहिम का क्या असर होता है, ये तो आनेवाल समय ही बताएगा.