जोधपुर. बीते पांच साल से घाटे में चल रहे जोधपुर डिस्कॉम ने सरकार बदलते ही बड़े बकायादारों के कनेक्शन काटने शुरू कर दिए हैं. खास बात यह है कि इस बार डिस्कॉम ने बरकतुल्लाह खान स्टेडियम का बिजली कनेक्शन काट दिया है. यह स्टेडियम अब राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अधीन है. स्टेडियम का करीब 80 लाख रुपए का बिल बकाया है. यह बकाया जनवरी से चल रहा है. आरसीए अध्यक्ष, पूर्व सीएम अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत के होने से डिस्कॉम इसके पहले बिजली काटने की हिम्मत नहीं जुटा पाया था.
गहलोत के सत्ता से बाहर होते ही डिस्कॉम ने 12 दिसंबर को कैंची चला दी. इसको लेकर अभी तक आरसीए ने कोई कदम नहीं उठाया है. तीन दिन से कनेक्शन कटने से रात को स्टेडियम पूरी तरह से अंधेरे में डूबा रहता है. मैदान की घास को पानी देने का काम भी बंद हो गया है.
दुधिया रोशनी में हुए मैच से बना क्रेज : आरसीए के अधीन जाने के बाद वैभव गहलोत ने यहां पर लीजेंड क्रिकेट लीग और सेलिब्रेटी लीग जैसे मैच करवाए. हाल ही में आरपीएल के दुधिया रोशनी में हुए मैच से जोधपुर के लोगों में मैच को लेकर क्रेज भी बना हुआ है. 2024 में जोधपुर को आईपीएल मैच की मेजबानी भी मिलने की उम्मीद है. लेकिन आरसीए के अधीन होने के बावजूद समय पर बिजली का बिल नहीं भरने से स्टेडियम प्रबंधन पर सवालिया निशान लग गया है.
नोटिस देने के बाद भी नहीं चुकाया बिल : डिस्कॉम के अधीक्षण अभियंता नरेंद्र व्यास ने बताया कि हमने बरकतुल्लाह खान स्टेडियम के बकाया के चलते कई बार नोटिस दिए. इसकी कॉपी आरसीए और जोधपुर विकास प्राधिकरण को भी दी गई. जेडीए ने कहा कि स्टेडियम आरसीए के अधीन है. लेकिन आरसीए की ओर से कोई जवाब नहीं मिला इसलिए स्टेडियम की बिजली का कनेक्शन काट दिया है. जोधपुर डिस्कॉम के अंतर्गत आने वाले सभी जिलों में भी बकाया वसूली के लिए डिस्कॉम की वित्त निदेशक कीर्ति कच्छवाह ने अधिकारियों को निर्देशित किया है. उपभोक्ताओं पर करीब दो हजार करोड़ का बकाया अभी चल रहा है.
32000 करोड़ के घाटे में है डिस्कॉम : डिस्कॉम से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि, केंद्र सरकार ने उदय योजना के तहत पांच साल पहले जोधपुर और अजमेर डिस्कॉम में 65 हजार करोड़ के घाटे को समायोजित कर लिया था. इससे सिर्फ 7 हजार करोड़ का घाटा बचा था. डिस्कॉम के अधिकारियों की मानें तो दो लाख कृषि कनेक्शन देने से ही बीस हजार करोड़ का बोझ बढ गया. इसके बाद मु्फ्त बिजली ने देनदारी बढ़ा दी. सरकार इसका पुर्नभरण भी नहीं कर पाई थी. ऐसे में जितना राजस्व आता है वह बिजली खरीदने और लोन की किश्त में ही चला जाता हैं.