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स्पेशल रिपोर्ट: लोडिंग ऑटो चलाने वाले पिता का सपना, बेटे ने CA बनकर किया पूरा

जोधपुर के इंद्रजीत साहनी के बेटे निलेश साहनी ने सीए बन अपने पिता का सपना पूरा किया. पिता की मेहनत जायाए इसके लिए निलेश 10 किलोमीटर साइकिल चलाकर पढ़ाई करने जाते थे.

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Published : Aug 29, 2019, 11:22 AM IST

Updated : Aug 29, 2019, 12:40 PM IST

जोधपुर. ऐसा कहा जाता है कि किसी चीज को शिद्दत से मांगों तो पूरी कायनात उसे मिलाने में लग जाती है. कुछ ऐसा ही हुआ है जोधपुर में लोडिंग ऑटो से अपना परिवार पालने वाले इंद्रजीत साहनी के साथ. साहनी का सपना था कि उनका बेटा भी पढ़ लिखकर कुछ करें, जिससे कि उनका जीवन सफल हो जाए. हालांकि पिता को अपनी मजबूरी का भी एहसास था.

जोधपुर में बेटे ने किया पिता का सपना पूरा

इसके चलते वह उसे इंजीनियर और डॉक्टर नहीं बना सकता थे. लेकिन पढ़ाई के दम पर वह अपने बेटे को चार्टर्ड अकाउंटेंट यानि सीए बनाना चाहता थे. बेटा निलेश भी पिता के सपने को पूरा करने में जुट गया. 12वीं करने के बाद सीए के एंट्रेंस के लिए जब सीपीटी का एग्जाम दिया तो जोधपुर में उसकी चौथी रैंक आई. लेकिन परेशानी थी सीए की पढ़ाई के लिए खर्च उठाने की भारी कोचिंग फीस देनी होती है.

यह भी पढ़ेंः छात्रसंघ चुनाव 2019: बालेसर के राणा उगमसिंह इंदा राजकीय महाविद्यालय में एबीवीपी और एनएसयूआई ने मारी बाजी

निलेश की मेहनत को देखते हुए पहले 25 फीसदी बाद में 50 और अंत में जब इंद्रजीत साहनी टीचर के सामने टैक्सी लेकर पहुंच गए. टीचर ने 100 फीसदी फीस माफ कर दी. निलेश ने भी अपनी मेहनत से और लगन से पढ़ाई करते हुए आखिरकार पिता का सीए बनने का सपना पूरा कर दिया. हाल ही में सीए अंतिम वर्ष के आए परिणाम में निलेश में सफलता प्राप्त कर ली. निलेश के पिता इंद्रजीत साहनी बताते हैं कि जब मैं उसे पढ़ाने लगा तो लोगों का कहना था कि क्यों बर्बाद हो रहे हो. इसे टैक्सी चलाना सिखा दो घर की मदद हो जाएगी. लेकिन इंद्रजीत साहनी ने ठान लिया था कि वह अपने बेटे को पढ़ाएंगे.

यह भी पढ़ेंः Dhyan Chand Birth Anniversary: हॉकी के जादूगर 'ध्यानचंद' का कुछ यूं पड़ा था नाम, मिले थे ये पुरस्कार

वहीं निलेश बताते हैं कि दसवीं पास करने के बाद उसे 10 किलोमीटर दूर पढ़ने के लिए जाना होता था. प्रतिदिन सिटी बस का पैसा नहीं था इसलिए साइकिल से जाते थे. निलेश को यह पता था कि उसके पिता प्रतिदिन तीन से चार सौ कमा रहे हैं. वहीं निलेश में 15 से 16 घंटे पढ़ाई कर पहले सीपीटी की परीक्षा पास की और उसके बाद अब 5 साल में सीए बन गया. निलेश उसके पिता और मां एक किराए के छोटे मकान में रहते हैं. निलेश का कहना है कि मेरा सीए बनना ही उन लोगों के तानों का जवाब है, जो कहा करते थे कि पिता के साथ टैक्सी चलाओ.

जोधपुर. ऐसा कहा जाता है कि किसी चीज को शिद्दत से मांगों तो पूरी कायनात उसे मिलाने में लग जाती है. कुछ ऐसा ही हुआ है जोधपुर में लोडिंग ऑटो से अपना परिवार पालने वाले इंद्रजीत साहनी के साथ. साहनी का सपना था कि उनका बेटा भी पढ़ लिखकर कुछ करें, जिससे कि उनका जीवन सफल हो जाए. हालांकि पिता को अपनी मजबूरी का भी एहसास था.

जोधपुर में बेटे ने किया पिता का सपना पूरा

इसके चलते वह उसे इंजीनियर और डॉक्टर नहीं बना सकता थे. लेकिन पढ़ाई के दम पर वह अपने बेटे को चार्टर्ड अकाउंटेंट यानि सीए बनाना चाहता थे. बेटा निलेश भी पिता के सपने को पूरा करने में जुट गया. 12वीं करने के बाद सीए के एंट्रेंस के लिए जब सीपीटी का एग्जाम दिया तो जोधपुर में उसकी चौथी रैंक आई. लेकिन परेशानी थी सीए की पढ़ाई के लिए खर्च उठाने की भारी कोचिंग फीस देनी होती है.

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निलेश की मेहनत को देखते हुए पहले 25 फीसदी बाद में 50 और अंत में जब इंद्रजीत साहनी टीचर के सामने टैक्सी लेकर पहुंच गए. टीचर ने 100 फीसदी फीस माफ कर दी. निलेश ने भी अपनी मेहनत से और लगन से पढ़ाई करते हुए आखिरकार पिता का सीए बनने का सपना पूरा कर दिया. हाल ही में सीए अंतिम वर्ष के आए परिणाम में निलेश में सफलता प्राप्त कर ली. निलेश के पिता इंद्रजीत साहनी बताते हैं कि जब मैं उसे पढ़ाने लगा तो लोगों का कहना था कि क्यों बर्बाद हो रहे हो. इसे टैक्सी चलाना सिखा दो घर की मदद हो जाएगी. लेकिन इंद्रजीत साहनी ने ठान लिया था कि वह अपने बेटे को पढ़ाएंगे.

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वहीं निलेश बताते हैं कि दसवीं पास करने के बाद उसे 10 किलोमीटर दूर पढ़ने के लिए जाना होता था. प्रतिदिन सिटी बस का पैसा नहीं था इसलिए साइकिल से जाते थे. निलेश को यह पता था कि उसके पिता प्रतिदिन तीन से चार सौ कमा रहे हैं. वहीं निलेश में 15 से 16 घंटे पढ़ाई कर पहले सीपीटी की परीक्षा पास की और उसके बाद अब 5 साल में सीए बन गया. निलेश उसके पिता और मां एक किराए के छोटे मकान में रहते हैं. निलेश का कहना है कि मेरा सीए बनना ही उन लोगों के तानों का जवाब है, जो कहा करते थे कि पिता के साथ टैक्सी चलाओ.

Intro:


Body:लोडिंग ऑटो चलाने वाले पिता का सपना बेटे ने सीए बन कर किया पूरा


जोधपुर। कहते हैं किसी चीज को शिद्दत से मांगो तो पूरी कायनात उसे मिलाने में लग जाती है कुछ ऐसा ही हुआ है जोधपुर में लोडिंग टैक्सी से अपना परिवार पालने वाले इंद्रजीत साहनी के साथ साहनी का सपना था कि उनका बेटा भी पढ़ लिखकर कुछ करें जिससे कि उनका जीवन सफल हो जाए, हालांकि पिता को अपनी मजबूरी का भी एहसास था जिसके चलते वह उसे इंजीनियर या डॉक्टर नहीं बना सकता था लेकिन पढ़ाई के दम पर वह अपने बेटे को चार्टर्ड अकाउंटेंट यानी सीए बनाना चाहता था और उसको लेकर बचपन से ही उसे अपना सपना बता दिया बेटा निलेश भी पिता के सपने को पूरा करने में जुट गया 12वीं करने के बाद सीए के एंट्रेंस के लिए जब सीपीटी का एग्जाम दिया तो जोधपुर में उसकी चौथी रैंक आई लेकिन परेशानी थी सीए की पढ़ाई के लिए खर्च उठाने की भारी कोचिंग फीस देनी होती है नीलेश की मेहनत को देखते हुए पहले 25 फ़ीसदी बाद में 50 और अंत में जब इंद्रजीत साहनी टीचर के सामने टैक्सी लेकर पहुंच गए तो टीचर ने 100 फ़ीसदी फीस माफ कर दी । नीलेश ने भी अपनी मेहनत से और लगन से पढ़ाई करते हुए आखिरकार पिता का सीए बनने का सपना पूरा कर दिया हाल ही में सीए अंतिम वर्ष के आए परिणाम में नीलेश में सफलता प्राप्त कर ली निलेश के पिता इंद्रजीत साहनी बताते हैं कि जब मैं उसे पढ़ाने लगा तो लोगों का कहना था कि क्यों बर्बाद हो रहे हो इसे टैक्सी चलाना सिखा दो घर की मदद हो जाएगी लेकिन इंद्रजीत साहनी ने ठान लिया था कि वह अपने बेटे को पढ़ाई का निलेश बताते हैं कि दसवीं पास करने के बाद उसे 10 किलोमीटर दूर पढ़ने के लिए जाना होता था प्रतिदिन सिटी बस का पैसा नहीं था इसलिए साइकिल चलाता था निलेश को यह पता था कि उसके पिता प्रतिदिन 300 से ₹400 कमा रहे हैं ऐसे में उसे जी जान लगाकर पढ़ना है निलेश में 15 से 16 घंटे पढ़ाई कर पहले सीपीटी की परीक्षा पास की और उसके बाद अब 5 साल में सीएबी बन गया निलेश उसके पिता और मां एक किराए के छोटे मकान में रहते हैं नीलेश का कहना है कि मेरा सीए बनना ही उन लोगों के तानों का जवाब है जो कहा करते थे कि टैक्सी चला लो पिता के साथ।

Bite 1 इंद्रजीत साहनी, नीलेश के पिता

Bite 2 नीलेश साहनी, सीए





Conclusion:
Last Updated : Aug 29, 2019, 12:40 PM IST
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