जोधपुर. ऐसा कहा जाता है कि किसी चीज को शिद्दत से मांगों तो पूरी कायनात उसे मिलाने में लग जाती है. कुछ ऐसा ही हुआ है जोधपुर में लोडिंग ऑटो से अपना परिवार पालने वाले इंद्रजीत साहनी के साथ. साहनी का सपना था कि उनका बेटा भी पढ़ लिखकर कुछ करें, जिससे कि उनका जीवन सफल हो जाए. हालांकि पिता को अपनी मजबूरी का भी एहसास था.
इसके चलते वह उसे इंजीनियर और डॉक्टर नहीं बना सकता थे. लेकिन पढ़ाई के दम पर वह अपने बेटे को चार्टर्ड अकाउंटेंट यानि सीए बनाना चाहता थे. बेटा निलेश भी पिता के सपने को पूरा करने में जुट गया. 12वीं करने के बाद सीए के एंट्रेंस के लिए जब सीपीटी का एग्जाम दिया तो जोधपुर में उसकी चौथी रैंक आई. लेकिन परेशानी थी सीए की पढ़ाई के लिए खर्च उठाने की भारी कोचिंग फीस देनी होती है.
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निलेश की मेहनत को देखते हुए पहले 25 फीसदी बाद में 50 और अंत में जब इंद्रजीत साहनी टीचर के सामने टैक्सी लेकर पहुंच गए. टीचर ने 100 फीसदी फीस माफ कर दी. निलेश ने भी अपनी मेहनत से और लगन से पढ़ाई करते हुए आखिरकार पिता का सीए बनने का सपना पूरा कर दिया. हाल ही में सीए अंतिम वर्ष के आए परिणाम में निलेश में सफलता प्राप्त कर ली. निलेश के पिता इंद्रजीत साहनी बताते हैं कि जब मैं उसे पढ़ाने लगा तो लोगों का कहना था कि क्यों बर्बाद हो रहे हो. इसे टैक्सी चलाना सिखा दो घर की मदद हो जाएगी. लेकिन इंद्रजीत साहनी ने ठान लिया था कि वह अपने बेटे को पढ़ाएंगे.
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वहीं निलेश बताते हैं कि दसवीं पास करने के बाद उसे 10 किलोमीटर दूर पढ़ने के लिए जाना होता था. प्रतिदिन सिटी बस का पैसा नहीं था इसलिए साइकिल से जाते थे. निलेश को यह पता था कि उसके पिता प्रतिदिन तीन से चार सौ कमा रहे हैं. वहीं निलेश में 15 से 16 घंटे पढ़ाई कर पहले सीपीटी की परीक्षा पास की और उसके बाद अब 5 साल में सीए बन गया. निलेश उसके पिता और मां एक किराए के छोटे मकान में रहते हैं. निलेश का कहना है कि मेरा सीए बनना ही उन लोगों के तानों का जवाब है, जो कहा करते थे कि पिता के साथ टैक्सी चलाओ.