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जोधपुर में खुला अनोखा बैंक...मृत व्यक्तियों की अस्थियों को सुरक्षित रखने के लिए, जानें - bone

जोधपुर शहर के सिवांची गेट स्थित पुष्करणा समाज के मोक्ष धाम में मृत्युंजय सेवा संस्थान ने निशुल्क अस्थि बैंक बनाया है. मोक्ष धाम से जुड़े राजेंद्र प्रसाद का कहना है कि यह एक अनूठी पहल है जिसे मृत्युंजय सेवा संस्थान में प्रारंभ की है और यह समाज के हर वर्ग के काम आएगी.

मुक्ति धाम
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Published : Mar 25, 2019, 11:33 PM IST

जोधपुर. प्रदेश सहित देश भर में अलग-अलग प्रकार के बैंक देखने को मिलते है. जिनमें लोग अपना पैसा जमा कराने से लेकर अपने जरूरी सामान जैसे गहने, दस्तावेज आदि जमा करवाते है. लेकिन जोधपुर में स्थित अस्थि बैंक अपने आप में अनोखा बैंक है.

सामान्य बैंक से लेकर ब्लड बैंक, कपड़ा बैंक जैसे बैंक सामान्यत: देखने को मिलते है. किन्तु जोधपुर में एक ऐसा बैंक भी है जो मृत व्यक्तियों की अस्थियों को सुरक्षित रखने के लिए बनाया गया है. अस्थि बैंक के नाम से प्रसिद्ध इस बैंक में मृतकों की अस्थियों को एक साल तक बिना किसी शुल्क के सुरक्षित रखा जाता है.

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यदि किसी व्यक्ति के परिजन की मृत्यु हो जाएं और वो उसकी अस्थियां गंगा में प्रवाहित करने में असमर्थ हो तो वो इस अस्थि बैंक में अपने परिजन की अस्थियां एक साल के लिए सुरक्षित रख सकता है. सूर्य नगरी जोधपुर में स्थापित इस अस्थि बैंक में की यह विशेषता है कि यदि कोई एक साल तक भी अस्थियां नहीं ले जा पाता तो मृत्युंजय समिति द्वारा उन अस्थियों को गंगा में प्रवाहित कर दिया जाता है.

शहर के सिवांची गेट स्थित पुष्करणा समाज के मोक्ष धाम में मृत्युंजय सेवा संस्थान ने निशुल्क अस्थि बैंक बनाया है. मोक्ष धाम से जुड़े राजेंद्र प्रसाद का कहना है कि यह एक अनूठी पहल है जिसे मृत्युंजय सेवा संस्थान में प्रारंभ की है और यह समाज के हर वर्ग के काम आएगी.

जोधपुर. प्रदेश सहित देश भर में अलग-अलग प्रकार के बैंक देखने को मिलते है. जिनमें लोग अपना पैसा जमा कराने से लेकर अपने जरूरी सामान जैसे गहने, दस्तावेज आदि जमा करवाते है. लेकिन जोधपुर में स्थित अस्थि बैंक अपने आप में अनोखा बैंक है.

सामान्य बैंक से लेकर ब्लड बैंक, कपड़ा बैंक जैसे बैंक सामान्यत: देखने को मिलते है. किन्तु जोधपुर में एक ऐसा बैंक भी है जो मृत व्यक्तियों की अस्थियों को सुरक्षित रखने के लिए बनाया गया है. अस्थि बैंक के नाम से प्रसिद्ध इस बैंक में मृतकों की अस्थियों को एक साल तक बिना किसी शुल्क के सुरक्षित रखा जाता है.

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यदि किसी व्यक्ति के परिजन की मृत्यु हो जाएं और वो उसकी अस्थियां गंगा में प्रवाहित करने में असमर्थ हो तो वो इस अस्थि बैंक में अपने परिजन की अस्थियां एक साल के लिए सुरक्षित रख सकता है. सूर्य नगरी जोधपुर में स्थापित इस अस्थि बैंक में की यह विशेषता है कि यदि कोई एक साल तक भी अस्थियां नहीं ले जा पाता तो मृत्युंजय समिति द्वारा उन अस्थियों को गंगा में प्रवाहित कर दिया जाता है.

शहर के सिवांची गेट स्थित पुष्करणा समाज के मोक्ष धाम में मृत्युंजय सेवा संस्थान ने निशुल्क अस्थि बैंक बनाया है. मोक्ष धाम से जुड़े राजेंद्र प्रसाद का कहना है कि यह एक अनूठी पहल है जिसे मृत्युंजय सेवा संस्थान में प्रारंभ की है और यह समाज के हर वर्ग के काम आएगी.

Intro:जोधपुर अगर किसी वजह से कोई परिवार या व्यक्ति अपने गेहूं रिश्तेदार या परिजनों की अस्थियां गंगा में प्रभावित नहीं कर पाते हैं तो ऐसे लोगों के लिए सूर्य नगरी में एक निशुल्क अस्थि बैंक स्थापित किया गया है इस बैंक में 1 साल तक अस्थियां सुरक्षित रखी जा सकती है परिजन इन्हें वापस नहीं ले जाते हैं तो बैंक की अस्थियों को गंगा में प्रवाहित कर देगा यह बैंक हिंदू धर्म के सभी लोगों के लिए काम आ सकेगा। शहर के सिवांची गेट स्थित पुष्करणा समाज के मोक्ष धाम में मृत्युंजय सेवा संस्थान में निशुल्क अस्थि बैंक बनाया है। हस्तियां सुरक्षित रखने का खर्च भी संस्थान ही उठाएगा यह सुविधा लोगों को निशुल्क उपलब्ध करवाई जा रही है हां अगर कोई अपनी इच्छा से सहयोग राशि देना चाहे तो मना ही नहीं है स्त्रियां सुरक्षित रखने के लिए आधार कार्ड की कॉपी और फोन नंबर साथ देने होते हैं इसके बाद 180 टोकन दिया जाता है स्पोकन के आधार पर ही मृत व्यक्ति की स्थिति का रजिस्ट्रेशन हो जाता है खास बात यह भी है कि इस बैंक में ऐसे लोगों की अस्थियां भी सुरक्षित रखी जाएगी जिनके शव का कोई दवा नहीं करता है साल के अंत में अगर परिजन स्त्रियों को लेकर नहीं जाएंगे तो संस्थान ही इनका गंगा में विसर्जन कर देगा


Body:मोक्ष धाम से जुड़े राजेंद्र प्रसाद का कहना है कि यह एक अनूठी पहल है जिसे मृत्युंजय सेवा संस्थान में प्रारंभ की है और यह समाज के हर वर्ग के काम आएगी संस्थान ने जिन लोगों की अस्थियां यहां रखी उनके परिजनों को हर माह फोन या मैसेज से इस चीज की जानकारी दी जाएगी कि उनके अपनों की अस्थियां यहां सुरक्षित है जिससे कि वे उनका खुद भी विसर्जन कर सके।


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