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भाजपा के पूर्व सांसद के ट्वीट ने बढ़ाई हलचल...लिखा- धैर्य की अपनी सीमाएं हैं

राजस्थान की राजनीति में कांग्रेस के भीतर जारी सियासी घमासान पर सभी की नजर है. इस बीच भाजपा के भीतर भी हलचल शुरू होती दिखाई दे रही है. भाजपा से पूर्व सांसद और विश्नोई समाज के नेता जसवंत सिंह (Jaswant Singh Vishnoi tweet increased stir) ने शनिवार को दो ट्वीट करते हुए इशारों में चेता दिया है.

Jaswant Singh Vishnoi tweet increased stir
Jaswant Singh Vishnoi tweet increased stir
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Published : Nov 26, 2022, 7:39 PM IST

Updated : Nov 26, 2022, 8:03 PM IST

जोधपुर. राजस्थान की राजनीति में कांग्रेस के भीतर जारी सियासी घमासान पर सभी की निगाहें टिकी हुई है. जबकि भाजपा के भीतर की रस्साकशी शांत दिखाई दे रही है. इस बीच शनिवार को भाजपा के पूर्व सांसद एवं विश्नोई समाज के कद्दावर नेता जसवंत सिंह विश्नोई (Jaswant Singh Vishnoi tweet increased stir) जो लंबे समय से हाशिए पर चल रहे हैं उन्होंने दो ट्वीट कर सबको चेता दिया.

विश्नोई ने अपने ट्वीट में लिखा है कि धैर्य की अपनी सीमाएं हैं. अगर ज्यादा हो जाता है तो कायरता कहलाता है और चाणक्य ने चोटी नंद वंश के पतन के बाद बांधी थी. मेरे भी चोटी बांधने का समय आ गया है. बता दें कि वे दो बार जोधपुर के सांसद रहे हैं. एक बार विधानसभा सदस्य बने और मंत्री भी बने थे. लेकिन लंबे समय से पार्टी में दरकिनारी के चलते माना जा सकता है कि वे इस बार पाला बदल सकते हैं. हालांकि इसको लेकर उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. ट्वीट को लेकर सिर्फ इतना ही कहा कि मैं अभी पा​रिवारिक कार्यक्रम में व्यस्त हूं.

Jaswant Singh Vishnoi tweet increased stir
पूर्व सांसद का ट्वीट

पढ़ें. भाजपा अंतर्कलह: जेपी नड्डा की नसीहत भी बेअसर, गुटबाजी की बगिया में आखिर कैसे खिलेगा 'कमल' ?

​पूर्व सांसद के ट्वीट ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी. उनके ट्वीट पर समर्थकों ने भी जवाब दिए हैं जिसमें कहा जा रहा है कि उनको भाजपा से एमपी का टिकट मिलेगा नहीं और फलोदी से एमएलए का टिकट मिलना नहीं है. दस साल हो गए अब तैयार होना चाहिए. एक समर्थक ने तो यह लिखा कि पूरे राजस्थान में​ सांसद के रूप में विश्नोई की सीट सिर्फ जोधपुर थी. लेकिन उसे गजेंद्र सिंह शेखावत को दे दी गई है. हम दस साल से वोट दे रहे हैं, अब समय आ गया है निर्णय लेने का.

दस साल से नेपथ्य मेंः जसवंत सिंह विश्नोई 1999 से 2009 तक जोधपुर से भाजपा के सांसद रहे हैं. इसके एक अलावा एक बार वे राजस्थान में मंत्री भी रहे हैं. लेकिन 2009 का चुनाव हारने के बाद से वह नेपथ्य में चल रहे हैं. एक बार मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उन्हें केंद्र सरकार से राजनीतिक नियुक्ति मिली थी. लेकिन वह थोड़े दिन ही रही थी. गत विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने लूणी और फलोदी से दावेदारी की थी, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला था.

जोधपुर. राजस्थान की राजनीति में कांग्रेस के भीतर जारी सियासी घमासान पर सभी की निगाहें टिकी हुई है. जबकि भाजपा के भीतर की रस्साकशी शांत दिखाई दे रही है. इस बीच शनिवार को भाजपा के पूर्व सांसद एवं विश्नोई समाज के कद्दावर नेता जसवंत सिंह विश्नोई (Jaswant Singh Vishnoi tweet increased stir) जो लंबे समय से हाशिए पर चल रहे हैं उन्होंने दो ट्वीट कर सबको चेता दिया.

विश्नोई ने अपने ट्वीट में लिखा है कि धैर्य की अपनी सीमाएं हैं. अगर ज्यादा हो जाता है तो कायरता कहलाता है और चाणक्य ने चोटी नंद वंश के पतन के बाद बांधी थी. मेरे भी चोटी बांधने का समय आ गया है. बता दें कि वे दो बार जोधपुर के सांसद रहे हैं. एक बार विधानसभा सदस्य बने और मंत्री भी बने थे. लेकिन लंबे समय से पार्टी में दरकिनारी के चलते माना जा सकता है कि वे इस बार पाला बदल सकते हैं. हालांकि इसको लेकर उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. ट्वीट को लेकर सिर्फ इतना ही कहा कि मैं अभी पा​रिवारिक कार्यक्रम में व्यस्त हूं.

Jaswant Singh Vishnoi tweet increased stir
पूर्व सांसद का ट्वीट

पढ़ें. भाजपा अंतर्कलह: जेपी नड्डा की नसीहत भी बेअसर, गुटबाजी की बगिया में आखिर कैसे खिलेगा 'कमल' ?

​पूर्व सांसद के ट्वीट ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी. उनके ट्वीट पर समर्थकों ने भी जवाब दिए हैं जिसमें कहा जा रहा है कि उनको भाजपा से एमपी का टिकट मिलेगा नहीं और फलोदी से एमएलए का टिकट मिलना नहीं है. दस साल हो गए अब तैयार होना चाहिए. एक समर्थक ने तो यह लिखा कि पूरे राजस्थान में​ सांसद के रूप में विश्नोई की सीट सिर्फ जोधपुर थी. लेकिन उसे गजेंद्र सिंह शेखावत को दे दी गई है. हम दस साल से वोट दे रहे हैं, अब समय आ गया है निर्णय लेने का.

दस साल से नेपथ्य मेंः जसवंत सिंह विश्नोई 1999 से 2009 तक जोधपुर से भाजपा के सांसद रहे हैं. इसके एक अलावा एक बार वे राजस्थान में मंत्री भी रहे हैं. लेकिन 2009 का चुनाव हारने के बाद से वह नेपथ्य में चल रहे हैं. एक बार मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उन्हें केंद्र सरकार से राजनीतिक नियुक्ति मिली थी. लेकिन वह थोड़े दिन ही रही थी. गत विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने लूणी और फलोदी से दावेदारी की थी, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला था.

Last Updated : Nov 26, 2022, 8:03 PM IST
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