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झुंझुनू में 'मेरी लाडो, मेरा गुरूर' कार्यक्रम : 51 महिलाओं की सिर्फ एक बेटी - दुनिया को दिया बदलाव का संदेश

वर्तमान में समय बदल रहा है, मानसिकता बदल रही हैं और उसके साथ ही बेटे बेटी का फर्क भी कहीं ना कहीं मिटने सा लगा है. ऐसे में झुंझुनू में 51 ऐसी महिलाएं एकत्रित हुई, जिनके एक ही बेटी है और उसके बाद उन्होंने किसी संतान को जन्म ही नहीं दिया. इसके जरिए उन्होंने बेटे और बेटी में फर्क करने वालों को बड़ा संदेश दिया.

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Published : Nov 3, 2019, 2:34 PM IST

झुंझुनू. समय और मानसिकता बदलने के बाद लोग भले ही बेटी की चाहत करते हैं. लेकिन, इसके बाद भी सामाजिक परिवेश में लोग बेटे की चाहत करते हैं. इस बीच झुंझुनू जिले में 51 ऐसी महिलाएं एकत्रित हुई जिनके एकमात्र बेटी है. इसमें यह भी नहीं कि बाद में संतान हुई नहीं, बल्कि उन्होंने एक बेटी के साथ ही अपना परिवार पूरा मान लिया.

'मेरी लाडो, मेरा गुरूर' प्रोग्राम का आयोजन

बता दें कि कई महिलाओं को समाज और परिवार के ताने भी सहने पड़े. लेकिन, उसके बाद भी उन्होंने बेटी को ही अपना सब कुछ माना ऐसी महिलाएं आज भी गर्व से कहती हैं कि उस समय जो कार्य किया, उस पर आज गर्व हो रहा है. क्योंकि उन्होंने अपनी बेटी को इतना शिक्षित किया है. यहां पर एक महिला तो ऐसी भी थी जिनके खुद के केवल एक ही बेटी थी और आज उनकी बेटी के भी इकलौती संतान बेटी ही है.

मेरी लाडो मेरा गुरूर प्रोग्राम का आयोजन

ऐसे में केंद्रीय विद्यालय में एक गैर सरकारी संगठन की ओर से मेरी लाडो मेरा गुरूर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में 51 महिलाओं और उनकी बेटियों को 1100 रूपये का चेक, एक-एक पौधा गमले और शाल ओढ़ाकर सम्मान किया.

बता दें कि इस कार्यक्रम में उन महिलाओं का भी सम्मान किया गया जिन्होंने पहली बार में बच्ची को जन्म दिया. उसके बाद लड़के को जन्म नहीं दिया और अपनी लड़की को ही अपना गुरूर सम्मान मानती हैं. इसमें मुख्य अतिथि जाने-माने गणितज्ञ डॉ. घासीराम वर्मा थे.

झुंझुनू. समय और मानसिकता बदलने के बाद लोग भले ही बेटी की चाहत करते हैं. लेकिन, इसके बाद भी सामाजिक परिवेश में लोग बेटे की चाहत करते हैं. इस बीच झुंझुनू जिले में 51 ऐसी महिलाएं एकत्रित हुई जिनके एकमात्र बेटी है. इसमें यह भी नहीं कि बाद में संतान हुई नहीं, बल्कि उन्होंने एक बेटी के साथ ही अपना परिवार पूरा मान लिया.

'मेरी लाडो, मेरा गुरूर' प्रोग्राम का आयोजन

बता दें कि कई महिलाओं को समाज और परिवार के ताने भी सहने पड़े. लेकिन, उसके बाद भी उन्होंने बेटी को ही अपना सब कुछ माना ऐसी महिलाएं आज भी गर्व से कहती हैं कि उस समय जो कार्य किया, उस पर आज गर्व हो रहा है. क्योंकि उन्होंने अपनी बेटी को इतना शिक्षित किया है. यहां पर एक महिला तो ऐसी भी थी जिनके खुद के केवल एक ही बेटी थी और आज उनकी बेटी के भी इकलौती संतान बेटी ही है.

मेरी लाडो मेरा गुरूर प्रोग्राम का आयोजन

ऐसे में केंद्रीय विद्यालय में एक गैर सरकारी संगठन की ओर से मेरी लाडो मेरा गुरूर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में 51 महिलाओं और उनकी बेटियों को 1100 रूपये का चेक, एक-एक पौधा गमले और शाल ओढ़ाकर सम्मान किया.

बता दें कि इस कार्यक्रम में उन महिलाओं का भी सम्मान किया गया जिन्होंने पहली बार में बच्ची को जन्म दिया. उसके बाद लड़के को जन्म नहीं दिया और अपनी लड़की को ही अपना गुरूर सम्मान मानती हैं. इसमें मुख्य अतिथि जाने-माने गणितज्ञ डॉ. घासीराम वर्मा थे.

Intro:समय बदल रहा है मानसिकता बदल रही हैं और उसके साथ ही बेटे बेटी का फर्क भी कहीं ना कहीं मिटने लग गया है। ऐसे में झुंझुनू में 51 ऐसी महिलाएं एकत्रित हुई जिनके एक ही बेटी है और उसके बाद किसी संतान को जन्म ही नहीं दिया गया।


Body:झुंझुनू। समय और मानसिकता बदलने के बाद लोग भले ही बेटी की चाहत करते हैं लेकिन इसके बाद भी सामाजिक परिवेश में लोग बेटे की चाहत करते हैं। इस बीच झुंझुनू जिले में 51 ऐसी महिलाएं एकत्रित हुई जिनके एकमात्र बेटी है इसमें यह भी नहीं कि बाद में संतान हुई नहीं बल्कि उन्होंने एक बेटी के साथ ही अपना परिवार पूरा मान लिया। इसमें कई महिलाओं को समाज व परिवार के ताने भी सहने पड़े लेकिन उसके बाद भी उन्होंने बेटी को ही अपना सब कुछ माना ऐसी महिलाएं आज भी गर्व से कहती हैं कि उस समय जो कार्य किया उस पर आज गर्व हो रहा है। क्योंकि उन्होंने अपनी बेटी को इतना शिक्षित किया है यहां पर एक महिला तो ऐसी भी थी जिनके खुद के केवल एक ही बेटी थी और आज उनकी बेटी के भी एकमात्र बेटी ही है।

मेरी लाडो मेरा गुरूर प्रोग्राम का आयोजन

ऐसे में केंद्रीय विद्यालय मैं एक गैर सरकारी संगठन की ओर से मेरी लाडो मेरा गुरूर कार्यक्रम का आयोजन किया गया, इस कार्यक्रम में 51 महिलाओं व उनकी बेटियों को 1100 रूपये का चेक, एक-एक पौधा गमले, व शाल ओढ़ाकर सम्मान किया। इस कार्यक्रम में उन महिलाओं का सम्मान किया गया जिन्होंने पहली बार में बच्ची को जन्म दिया उसके बाद लड़के को जन्म नहीं दिया और अपनी लड़की को ही अपना गुरूर सम्मान मानती हैं इसमें मुख्य अतिथि जाने-माने गणितज्ञ डॉ घासीराम वर्मा थे।

बाइट1सुशीला

बाइट2सीमा

बाइट3 राजेश अग्रवाल आयोजक


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