झुंझुनू. समय और मानसिकता बदलने के बाद लोग भले ही बेटी की चाहत करते हैं. लेकिन, इसके बाद भी सामाजिक परिवेश में लोग बेटे की चाहत करते हैं. इस बीच झुंझुनू जिले में 51 ऐसी महिलाएं एकत्रित हुई जिनके एकमात्र बेटी है. इसमें यह भी नहीं कि बाद में संतान हुई नहीं, बल्कि उन्होंने एक बेटी के साथ ही अपना परिवार पूरा मान लिया.
बता दें कि कई महिलाओं को समाज और परिवार के ताने भी सहने पड़े. लेकिन, उसके बाद भी उन्होंने बेटी को ही अपना सब कुछ माना ऐसी महिलाएं आज भी गर्व से कहती हैं कि उस समय जो कार्य किया, उस पर आज गर्व हो रहा है. क्योंकि उन्होंने अपनी बेटी को इतना शिक्षित किया है. यहां पर एक महिला तो ऐसी भी थी जिनके खुद के केवल एक ही बेटी थी और आज उनकी बेटी के भी इकलौती संतान बेटी ही है.
मेरी लाडो मेरा गुरूर प्रोग्राम का आयोजन
ऐसे में केंद्रीय विद्यालय में एक गैर सरकारी संगठन की ओर से मेरी लाडो मेरा गुरूर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में 51 महिलाओं और उनकी बेटियों को 1100 रूपये का चेक, एक-एक पौधा गमले और शाल ओढ़ाकर सम्मान किया.
बता दें कि इस कार्यक्रम में उन महिलाओं का भी सम्मान किया गया जिन्होंने पहली बार में बच्ची को जन्म दिया. उसके बाद लड़के को जन्म नहीं दिया और अपनी लड़की को ही अपना गुरूर सम्मान मानती हैं. इसमें मुख्य अतिथि जाने-माने गणितज्ञ डॉ. घासीराम वर्मा थे.