झुंझुनू. जिले का विकास राजनीति का शिकार हो रहा है. जो घोषणाएं झुंझुनू के लिए पहले ही कर दी गई उसको जिले से छीनकर राजनेता अपने गृह जिलों को देने जा रहे हैं. मामला झुंझुनू में बनने वाले खेल विश्वविद्यालय से है, जिसको अब बदलकर कांग्रेस सरकार द्वारा जोधपुर में बनाया जाने की कोशिशें की जा रही है. इससे पहले पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के गृहमंत्री कटारिया इसे उदयपुर ले जाने चाहते थे. अब सत्ता परिवर्तन के बाद भी राजनेता अपने ही इलाकों का भला करना चाहते हैं और जिले से यह अवसर छीनना चाहते हैं.
मामला लगभग 6 साल पहले का है जब गहलोत सरकार ने झुंझुनू को खेल विश्वविद्यालय के रूप में सौगात दी. लेकिन जब नई भाजपा सरकार आई तो उन्होंने इसे उदयपुर शिफ्ट करने की कोशिश की. इस विश्वविद्यालय को बनाने के लिए जिस बजट की जरूरत थी वह राज्य सरकार ने कभी दिया ही नहीं और अब उसे झुंझुनू से छीनने की भी तैयारी हो रही है. हालांकि लगभग 2 साल पहले पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने झुंझुनू में इसके लिए जमीन आंवटित कर दी और काजगी प्रक्रिया लगभग पूर्ण हो गई. लेकिन पेंच तब फंसा जब जिले के बाशिंदों को खबर लगी कि कांग्रेस सरकार विश्वविद्यालय को जोधपुर ले जाने की तैयारी कर रही है.
इसके बाद तो झुंझुनू में बाशिंदों में जबरदस्त आक्रोश देखा गया. विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं और युवाओं ने चेतावनी दी है कि यदि यहां से खेल विश्वविद्यालय किसी अन्य जगह शिफ्ट कर दिया गया तो मरते दम तक आंदोलन करेंगे.
सरकार ने मांगी जोधपुर कलेक्टर से खेल विश्वविद्यालय बनाने को लेकर रिपोर्ट
इससे पहले 2014 में भाजपा सरकार इसे उदयपुर ले जाना चाहती थी. तत्कालीन गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने बयान भी दिया था खेल विश्वविद्यालय के लिए लगभग सभी जरूरते उदयपुर में पूरी होती है. विरोध के बाद उन्हें फैसला बदलना पड़ा और अब इसे जोधपुर ले जाने की चर्चाएं चल रही है. बताया जा रहा है कि राज्य सरकार ने जोधपुर के फिजिकल कॉलेज में खेल यूनिवर्सिटी खोलने की संभावनाओं व संसाधनों को लेकर एक प्रस्ताव मांगा है. जिसके लिए वहां के कलेक्टर ने एक कमेटी बनाई. इस कमेटी ने इसी महीने ग्वालियर में खेल यूनिवर्सिटी का अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट भी तैयार कर ली है. जो अब जल्द ही सरकार को भेजी जाएगी. यदि सरकार इस रिपोर्ट पर सकारात्मक रुख अपनाती है तो यह तय है कि यूनिवर्सिटी जोधपुर में ही खुलेगी और ऐसी स्थिति में झुंझुनू को निराशा ही हाथ लगेगी.
गत गहलोत सरकार जाते-जाते देकर गई थी तोहफा
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की गत सरकार में अंतिम बजट में इस खेल विश्वविद्यालय की घोषणा की गई थी. इसके लिए बाकायदा कुलपति भी बनाया गया लेकिन कागजों से निकलकर अस्तित्व में यह विश्वविद्यालय कभी नहीं आया. जमीन की जरूरत हुई तो झुंझुनू जिला मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर स्थित दोरासर गांव में उसे जमीन आवंटित कर दी गई और ग्राम पंचायत ने पूरा-पूरा सहयोग करने की घोषणा की. बाद में भाजपा सरकार ने इसे खेल विश्वविद्यालय की जगह खेल संकुल बनाने का प्रस्ताव भी पास कर दिया था. विश्वविद्यालय का यह खेल इसी तरह से चलता रहा और अब इसे यहां से ले जाने की ही तैयारी चल रही है.