झुंझुनू. राजस्व और सरकारी रिकॉर्ड में जिले का नाम झुंझुनू है, लेकिन आम बोलचाल की भाषा, शेखावाटी की स्थानीय बोली में इसे झुंझुणु कहा जाता है. साक्ष्यों के मुताबिक हिसार से गुजरात जाने वाले व्यापारियों और संतों को झुझार सिंह नेहरा अपने क्षेत्र में संरक्षण देते थे, ताकि उनसे किसी तरह की कोई लूटपाट ना हो. झुझार सिंह नेहरा जहां रहते थे, उसको झूझा टेकड़ी कहा जाता था. ऐसे में गुजराती अपनी बोली के अनुसार झुझार के नाम से झुंझुणु कहने लगे. यही स्थान बाद में झुंझुनू के नाम से प्रसिद्ध हुआ.
झुंझुनू जिला मुख्यालय के पास स्थित एक बड़ी पहाड़ी को अब भी नेहरा पहाड़ कहा जाता है. नरहड़ भी पहले नेहरा जाटों के ही अधीन थी. बाद में वहां पर नवाबों ने अपना शासन स्थापित कर लिया तो झुंझुनू के संस्थापक झुझार सिंह नेहरा के पिता उनके फौजदार बन गए. बाद में कुछ समय झुझार सिंह नेहरा खुद भी नवाब की सेना में जनरल रहे. बाद में उनकी नवाबों से बिगड़ गई.
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झुझार सिंह नेहरा को राजपूत शासक सार्दुल सिंह के समयकाल के समकक्ष माना जाता है. कहा जाता है, कि शार्दुल सिंह और झुझार सिंह में यह संधि हुई थी, कि वे नरहड़ के नवाब को मिलकर परास्त कर देंगे और ऐसा करने पर झुझार सिंह को वे अपना सरदार मान लेंगे. दोनों ने मिलकर ऐसा कर भी दिया लेकिन बाद में तिलक करने के बाद झुझार सिंह को धोखे से शेखावतों ने मार डाला.
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ऐसे में यह तो तय है, कि झुंझुनू की स्थापना झुझार सिंह नेहरा ने ही की थी. बाद में राजपूतों का शासक होने की वजह से इसे जाट रियासत नहीं माना जाता है. हालांकि झुझार सिंह की शहादत के चलते उस समय जाटों को रियासत में कई तरह की रियायतें दी गईं थीं.माना जाता है, कि झुंझुनू की स्थापना 14 वीं शताब्दी के आसपास हुई थी. हर साल 22 फरवरी को झुंझुनू का स्थापना दिवस मनाया जाता है. इसमें सर्व समाज और विशेषकर जाट समाज के लोग एकत्रित होते हैं और समाज के विकास पर भी चर्चा करते हैं. इसके लिए झुंझुनू में वीरवर झुझार सिंह स्मृति स्थल भी विकसित किया गया है.