झुंझुनू. मंडावा विधानसभा कांग्रेस का गढ़ जाता है, लेकिन उपचुनाव में पार्टी के दिग्गज इस चुनावी रण से गायब हैं. यह आश्चर्य की बात है, लेकिन राजनीतिक चर्चाओं के अनुसार यह भी एक रणनीति है. अब रण के अंतिम दौर में सीएम इसे जमीनी पकड़ मजबूत करने का प्रयास करेंगे.
दरअसल, सीएम गहलोत का मंडावा विधानसभा चुनावों में जाने का कोई कार्यक्रम नहीं है. उनकी यहां कोई सभा भी नहीं है, लेकिन कांग्रेस के नेताओं ने उपचुनाव में लाभ-हानि का गणित करने के बाद 18 अक्टूबर यानी चुनाव से 3 दिन पहले गहलोत झुंझुनू आएंगे.
कुछ इस प्रकार है गहलोत की रणनीति...
कांग्रेस के कद्दावर जाट नेता रहे और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष स्वर्गीय रामनारायण चौधरी की 18 अक्टूबर को पुण्यतिथि है. चौधरी की पुत्री रीटा चौधरी ही कांग्रेस की टिकट पर चुनाव मैदान में हैं. चौधरी की समाधि झुंझुनू के विद्यार्थी भवन यानी जाट बोर्डिंग में बनी है जो मंडावा विधानसभा का हिस्सा नहीं है. यहां पर रीटा चौधरी हालांकि हर वर्ष शक्ति प्रदर्शन करती हैं और निश्चित ही यहां मंडावा विधानसभा के लोग भी बड़ी संख्या में शिरकत करेंगे. ऐसे में यह भी नहीं कहा जाएगा कि मुख्यमंत्री चुनाव में उतरे नहीं और सभा भी हो जाएगी. इस प्रकार से गहलोत एक तीर से दो निशाना साधने वाले हैं.
पढ़ें- मंडावा उप चुनाव : 'बुआ-भतीजी' के बीच राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई
कहीं ये आशंका तो नहीं है...
बता दें कि हनुमान बेनीवाल जाट नेताओं की राजनीतिक हत्या का आरोप मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर लगाते हैं. अभी हाल ही में आरसीए में जिस तरह से अशोक गहलोत के पुत्र के सामने जाट नेता रामेश्वर डूडी को शिकस्त खानी पड़ी. उसकी वजह संभवतया कांग्रेस को यह भी आशंका है कि कहीं मंडावा विधानसभा जाट वोट प्रभावित ना हो जाए. इसलिए पुण्यतिथि के कार्यक्रम में सीएम की सभा भी हो जाएगी और वे मंडावा विधानसभा में जाएंगे भी नहीं.