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शेखावाटी में फिर पड़ने लगा पाला, किसान इन उपायों से कर सकते हैं बचाव - शेखावाटी में पड़ने लगा पाला

कैस्पियन सागर से उठने वाली हवाओं के कारण जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश में भारी बर्फबारी हुई है. इन हवाओं को पश्चिमी विक्षोभ भी कहा जाता है. पहाड़ी क्षेत्रों में हुई बर्फबारी का असर मैदानी क्षेत्रों में भी देखने को मिल रहा है. यही कारण है, कि शेखावाटी के क्षेत्र में भी सुबह-सुबह पाला पड़ने लग गया है और इसकी वजह से फसलों को नुकसान होने की आशंका है.

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किसान इन उपायों से कर सकते हैं फसलों का बचाव
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Published : Jan 15, 2020, 12:11 PM IST

झुंझुनू. जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र आबूसर की ओर से फसलों को पाले से बचाने के लिए नई एडवाइजरी जारी की गई है. विज्ञान केंद्र आबूसर का कहना है, कि पहाड़ी क्षेत्रों में हुई बर्फबारी की वजह से शेखावाटी के इलाकों में भी फसलों में पाला पड़ने की आशंका है.

किसान इन उपायों से कर सकते हैं फसलों का बचाव

जिसके चलते किसानों को कई तरह के उपाय कर अपनी फसलों को होने वाले नुकसान से बचाने का प्रयास करना चाहिए. ऐसे में स्वामी केशवानंद कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर से सम्बद्ध कृषि विज्ञान केंद्र आबूसर की ओर से किसानों को अपनी फसलों को पाले से बचाने के लिए कई उपाय करने की सलाह दी गई है.

यह भी पढे़ं : विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी 17 जनवरी तक लखनऊ दौरे पर, राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के सम्मेलन में होंगे शामिल

फसल बचाने के उपाय

केवीके की ओर से बताया गया है, कि सबसे पहले तो अपनी फसलों में हल्की-हल्की सिंचाई रखी जानी चाहिए, जिससे पाले का कम से कम प्रकोप हो. इसके अलावा उन्होंने कुछ दवाइयों के नाम भी सुझाए हैं. जिनको बेहद कम मात्रा में पानी में मिलाकर स्प्रे करने से फसलों में पाले से लड़ने की रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा हो जाती है.

झुंझुनू. जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र आबूसर की ओर से फसलों को पाले से बचाने के लिए नई एडवाइजरी जारी की गई है. विज्ञान केंद्र आबूसर का कहना है, कि पहाड़ी क्षेत्रों में हुई बर्फबारी की वजह से शेखावाटी के इलाकों में भी फसलों में पाला पड़ने की आशंका है.

किसान इन उपायों से कर सकते हैं फसलों का बचाव

जिसके चलते किसानों को कई तरह के उपाय कर अपनी फसलों को होने वाले नुकसान से बचाने का प्रयास करना चाहिए. ऐसे में स्वामी केशवानंद कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर से सम्बद्ध कृषि विज्ञान केंद्र आबूसर की ओर से किसानों को अपनी फसलों को पाले से बचाने के लिए कई उपाय करने की सलाह दी गई है.

यह भी पढे़ं : विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी 17 जनवरी तक लखनऊ दौरे पर, राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के सम्मेलन में होंगे शामिल

फसल बचाने के उपाय

केवीके की ओर से बताया गया है, कि सबसे पहले तो अपनी फसलों में हल्की-हल्की सिंचाई रखी जानी चाहिए, जिससे पाले का कम से कम प्रकोप हो. इसके अलावा उन्होंने कुछ दवाइयों के नाम भी सुझाए हैं. जिनको बेहद कम मात्रा में पानी में मिलाकर स्प्रे करने से फसलों में पाले से लड़ने की रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा हो जाती है.

Intro:कैस्पियन सागर से उठने वाली हवाओं के कारण जम्मू-कश्मीर हिमाचल प्रदेश में भारी बर्फबारी हुई है। इन हवाओं को पश्चिमी विक्षोभ भी कहा जाता है। पहाड़ी क्षेत्रों में हुई बर्फबारी का असर मैदानी क्षेत्रों में भी देखने को मिल रहा है और यही कारण है कि शेखावाटी के क्षेत्र में भी सुबह-सुबह पाला पड़ने लग गया है और इसकी वजह से फसलों को खासा नुकसान होने की आशंका है। ऐसे में स्वामी केशवानंद कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर से संबंध कृषि विज्ञान केंद्र आबूसर की ओर से किसानों को अपनी फसलों को पाले से बचाने के लिए कई उपाय करने की सलाह दी गई है।


Body:झुंझुनू। जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र आबूसर की ओर से फसलों को पाले से बचाने के लिए नई एडवाइजरी जारी की गई है। विज्ञान केंद्र आबूसर का कहना है कि पहाड़ी क्षेत्रों में हुई बर्फबारी की वजह से शेखावाटी के इलाकों में भी फसलों में पाला पड़ने की आशंका है और इसलिए किसानों को कई तरह के उपाय कर अपनी फसलों को इससे होने वाले नुकसान से बचाने का प्रयास करना चाहिए।

यह बताएं हैं उपाय
केवीके की ओर से बताया गया है कि सबसे पहले तो अपनी फसलों में हल्की हल्की सिंचाई रखी जानी चाहिए जिससे पहले का कम से कम प्रकोप हो। इसके अलावा उन्होंने कुछ दवाइयों के नाम भी सुझाए हैं जिनको बेहद कम मात्रा में पानी में मिलाकर स्प्रे करने से फसलों में पाले से लड़ने की रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा हो जाती है।


बाइट डॉ दयानंद निदेशक कृषि विज्ञान केंद्र आबूसर


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