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Exclusive: प्रशासन की घोर लापरवाही, झालावाड़ में कोरोना पॉजिटिव के संपर्क में आए लोगों की नहीं की गई जांच

झालावाड़ में प्रशासन की ओर से लापरवाही का मामला सामने आया है. बता दें कि जिले में 27 मई को एक व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव आया था और उसी दिन वह जिले के समराई गांव में लहसुन की खरीदारी करने गया था. इस घटना के 3 दिन बीत जाने के बाद भी ना तो उन ग्रामीणों की स्क्रीनिंग की गई है और ना ही टेस्टिंग हो पाई है. जिसके चलते ग्रामीणों में डर का माहौल बना हुआ है.

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कोरोना की जांच नहीं होने से ग्रामीणों में डर का माहौल
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Published : May 31, 2020, 7:21 PM IST

झालावाड़. कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने के बाद प्रशासन द्वारा उसकी कॉन्टैक्ट व ट्रेवल हिस्ट्री निकाली जाती है, ताकि जितने भी लोग संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आये हैं, उनकी पहचान हो सके. यह इसलिए भी जरूरी है ताकि कोरोना संक्रमण की चेन को रोका जा सके, लेकिन इसी काम को लेकर झालावाड़ जिला प्रशासन व चिकित्सा विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. जिसका खामियाजा झालावाड़ जिले के समराई गांव के 1200 लोगों को भुगतना पड़ रहा है.

कोरोना की जांच नहीं होने से ग्रामीणों में डर का माहौल

दरअसल, झालरापाटन में 27 मई को एक लहसुन का व्यापारी कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया था. जिसकी कॉन्टैक्ट व ट्रेवलिंग हिस्ट्री निकाली गई तो उसमें सामने आया कि वो उसी दिन व 1 दिन पहले समराई गांव में लहसुन की खरीदारी करने गया था. जहां पर वो गांव के कई घरों के अंदर गया और लोगों से बातचीत की. इसी के साथ कई जगह पर उसने चाय व पानी का भी सेवन किया. ऐसे में जब व्यापारी की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव निकलने की सूचना गांव वालों को मिली तो गांव में हड़कंप मच गया, लेकिन प्रशासन व चिकित्सा विभाग ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया.

पढ़ें: झालावाड़ में 14 नए कोरोना केस आये सामने, कुल संख्या 263

बता दें कि ग्रामीण खुद ही कोरोना का टेस्ट करवाने के लिए पहले झालावाड़ शहर के एसआरजी अस्पताल में गए. जहां से उनको लौटा दिया गया. जिसके बाद में ग्रामीण झालरापाटन शहर पहुंचे. वहां पर उनका टेस्ट तो नहीं हुआ, बल्कि पुलिस द्वारा डंडे मारे गए. जिसके बाद ग्रामीण वापस लौट आए. ऐसे में जिस चिकित्सा विभाग को गांव में जाकर सभी लोगों की सैंपलिंग करनी चाहिए थी. उसी विभाग की टीम ने लापरवाही की सारी हदें पार करते हुए उनके पास पहुंचे लोगों का टेस्ट तो दूर, बिना स्क्रीनिंग के ही वापस लौटा दिया. जिसके बाद से ग्रामीण डर के साए में जी रहे हैं.

पढ़ें: कोटा में व्यापारियों, उद्यमियों और कोचिंग संस्थान संगठनों ने की बैठक, UDH मंत्री को सौंपा 32 सूत्रीय मांग-पत्र

ग्रामीणों ने बताया कि आस-पास के गांवों में अफवाह फैल गयी है कि समराई गांव में कोरोना पॉजिटिव निकला है. जिससे ग्रामीण ना तो जरूरी सामान ला पा रहे हैं और ना ही ले जा पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि चिकित्सा विभाग की ओर से ग्रामीणों की स्क्रीनिंग व टेस्टिंग करनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. प्रशासन की लापरवाही के चलते गांव में कोरोना वायरस के संक्रमण की आशंका बनी हुई है.

झालावाड़. कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने के बाद प्रशासन द्वारा उसकी कॉन्टैक्ट व ट्रेवल हिस्ट्री निकाली जाती है, ताकि जितने भी लोग संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आये हैं, उनकी पहचान हो सके. यह इसलिए भी जरूरी है ताकि कोरोना संक्रमण की चेन को रोका जा सके, लेकिन इसी काम को लेकर झालावाड़ जिला प्रशासन व चिकित्सा विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. जिसका खामियाजा झालावाड़ जिले के समराई गांव के 1200 लोगों को भुगतना पड़ रहा है.

कोरोना की जांच नहीं होने से ग्रामीणों में डर का माहौल

दरअसल, झालरापाटन में 27 मई को एक लहसुन का व्यापारी कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया था. जिसकी कॉन्टैक्ट व ट्रेवलिंग हिस्ट्री निकाली गई तो उसमें सामने आया कि वो उसी दिन व 1 दिन पहले समराई गांव में लहसुन की खरीदारी करने गया था. जहां पर वो गांव के कई घरों के अंदर गया और लोगों से बातचीत की. इसी के साथ कई जगह पर उसने चाय व पानी का भी सेवन किया. ऐसे में जब व्यापारी की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव निकलने की सूचना गांव वालों को मिली तो गांव में हड़कंप मच गया, लेकिन प्रशासन व चिकित्सा विभाग ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया.

पढ़ें: झालावाड़ में 14 नए कोरोना केस आये सामने, कुल संख्या 263

बता दें कि ग्रामीण खुद ही कोरोना का टेस्ट करवाने के लिए पहले झालावाड़ शहर के एसआरजी अस्पताल में गए. जहां से उनको लौटा दिया गया. जिसके बाद में ग्रामीण झालरापाटन शहर पहुंचे. वहां पर उनका टेस्ट तो नहीं हुआ, बल्कि पुलिस द्वारा डंडे मारे गए. जिसके बाद ग्रामीण वापस लौट आए. ऐसे में जिस चिकित्सा विभाग को गांव में जाकर सभी लोगों की सैंपलिंग करनी चाहिए थी. उसी विभाग की टीम ने लापरवाही की सारी हदें पार करते हुए उनके पास पहुंचे लोगों का टेस्ट तो दूर, बिना स्क्रीनिंग के ही वापस लौटा दिया. जिसके बाद से ग्रामीण डर के साए में जी रहे हैं.

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ग्रामीणों ने बताया कि आस-पास के गांवों में अफवाह फैल गयी है कि समराई गांव में कोरोना पॉजिटिव निकला है. जिससे ग्रामीण ना तो जरूरी सामान ला पा रहे हैं और ना ही ले जा पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि चिकित्सा विभाग की ओर से ग्रामीणों की स्क्रीनिंग व टेस्टिंग करनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. प्रशासन की लापरवाही के चलते गांव में कोरोना वायरस के संक्रमण की आशंका बनी हुई है.

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